अमेरिका में कार खरीदने की सोच रहे लोगों को अब ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी। डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति से हर नई कार की कीमत में लगभग $2000 का इजाफा हो सकता है। इसका असर न केवल पेट्रोल-डीजल गाड़ियों पर बल्कि इलेक्ट्रिक वाहन बाजार पर भी दिखाई देगा।
अमेरिका में कारें होंगी महंगी, ट्रंप के टैरिफ का असर शुरू
अमेरिका में नई कार खरीदने की योजना बना रहे ग्राहकों को अब ज्यादा खर्च के लिए तैयार रहना होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति के चलते देश में कारों की कीमत करीब 2000 डॉलर तक बढ़ सकती है। इसका सीधा असर न सिर्फ पारंपरिक गाड़ियों पर बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर भी पड़ेगा।
एलिक्सपार्टनर्स की रिपोर्ट में इस बदलाव को लेकर कई बड़े खुलासे हुए हैं, जिनमें ऑटो इंडस्ट्री पर इसका असर, कंपनियों के नुकसान और ग्राहकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ का जिक्र किया गया है।
क्यों बढ़ रहे हैं दाम?
डोनाल्ड ट्रंप की “अमेरिका को फिर से महान बनाओ” (Make America Great Again) नीति के तहत यह टैरिफ लागू किया जा रहा है। इसका मुख्य मकसद विदेशी कारों और ऑटो पार्ट्स पर अमेरिकी निर्भरता को घटाना है ताकि देश में डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिल सके।
हालांकि, इस फैसले से अमेरिकी ग्राहकों की जेब पर सीधा असर होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, ऑटो कंपनियां इस अतिरिक्त लागत का लगभग 80% हिस्सा ग्राहकों से ही वसूलेंगी। यानी, हर ग्राहक को एक नई कार पर औसतन 1760 डॉलर अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा।
ऑटो बिक्री पर भारी असर
एलिक्सपार्टनर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इन टैरिफ्स के कारण अगले तीन वर्षों में अमेरिका में करीब 10 लाख (1 मिलियन) कम कारें बिक सकती हैं। हालांकि, अनुमान है कि 2030 तक वार्षिक ऑटो बिक्री 1.7 करोड़ (17 मिलियन) यूनिट तक पहुंच सकती है, लेकिन तब तक जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई मुश्किल होगी।
जनरल मोटर्स और फोर्ड को अरबों डॉलर का नुकसान
टैरिफ नीति से सबसे बड़ा नुकसान अमेरिकी कंपनियों को होगा। जनरल मोटर्स को लगभग 5 अरब डॉलर और फोर्ड को करीब 2.5 अरब डॉलर के नुकसान का अनुमान है।
इन कंपनियों ने ग्राहकों पर कीमतों का बोझ डालने और आंशिक रूप से इन घाटों की भरपाई करने की योजना बनाई है। हालांकि, इसका असर सीमित ही रहेगा और बाजार में बिक्री पर दबाव बना रहेगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों को भी लगेगा बड़ा झटका
ट्रंप प्रशासन यदि इलेक्ट्रिक वाहनों पर मिलने वाले 7500 डॉलर के टैक्स क्रेडिट को खत्म करता है, तो इससे EV बाजार को भारी झटका लगेगा। पहले जहां उम्मीद थी कि 2030 तक EV कुल ऑटो बिक्री का 31% हिस्सा बन जाएंगे, अब यह घटकर सिर्फ 17% रहने की आशंका है।
इससे ग्राहक एक बार फिर पेट्रोल-डीजल वाहनों की ओर रुख कर सकते हैं। EV निर्माता कंपनियों के लिए यह एक बड़ा झटका होगा, जो पहले से ही EV तकनीक में भारी निवेश कर रही थीं।
ICE गाड़ियों की वापसी
जहां इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी घटने की आशंका है, वहीं इंटरनल कंबशन इंजन (ICE) वाली गाड़ियों की मांग फिर से बढ़ने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ICE वाहनों की बाजार हिस्सेदारी 33% से बढ़कर 50% तक पहुंच सकती है। दूसरी ओर, प्लग-इन हाइब्रिड और एक्सटेंडेड रेंज EV की हिस्सेदारी 10% से घटकर सिर्फ 6% रहने की संभावना है।
अमेरिका के लिए ग्लोबल कॉम्पिटिशन में नुकसान…
- दुनिया भर के कई देश, खासकर चीन, इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन अमेरिका में इस नई नीति के कारण देश पीछे छूट सकता है।
- एलिक्सपार्टनर्स के अनुसार, EV तकनीक को विकसित करने के लिए अमेरिकी कंपनियों को भविष्य में चीन से लाइसेंसिंग या जॉइंट वेंचर का सहारा लेना पड़ सकता है।
- इस तरह, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिश में अमेरिका ग्लोबल EV कॉम्पिटिशन में पिछड़ सकता है और इसका असर अमेरिका की ऑटो इंडस्ट्री पर लंबे समय तक बना रहेगा।
ग्राहकों की बढ़ती चिंता
- आम अमेरिकी ग्राहक पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे हैं। ऐसे में यदि कारों के दाम और बढ़ते हैं, तो कार खरीदना और भी मुश्किल हो जाएगा।
- खासतौर पर मिडिल क्लास और युवाओं के लिए यह एक चिंता का विषय है क्योंकि नई तकनीक और EV गाड़ियों की कीमतें और ज्यादा बढ़ जाएंगी।