Trump Tariff से बचने Apple ने अमेरिका पहुंचाए 600 टन iPhone, चेन्नई एयरपोर्ट बना ग्रीन कॉरिडोर

Trump Tariff से बचने Apple ने अमेरिका पहुंचाए 600 टन iPhone, चेन्नई एयरपोर्ट बना ग्रीन कॉरिडोर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाए जाने के तुरंत बाद Apple ने भारत से बड़ी मात्रा में iPhone शिपमेंट की। इस कदम के पीछे अमेरिका में कीमतों को स्थिर रखना और सप्लाई चेन को सुचारू बनाए रखना प्रमुख कारण रहे। भारत अब Apple की रणनीति का अहम हिस्सा बन चुका है।

भारत से मंगाए 15 लाख iPhone

ट्रंप के टैरिफ की घोषणा के तुरंत बाद Apple की बड़ी कार्रवाई

टेक्नोलॉजी जगत से एक बड़ी और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन से आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा के तुरंत बाद Apple ने भारत से 600 टन iPhone की शिपमेंट अमेरिका के लिए रवाना कर दी। इसका मतलब है कि करीब 15 लाख iPhone विशेष एयर कार्गो फ्लाइट्स से अमेरिका भेजे गए हैं।

iPhone की कीमतों पर मंडरा रहा था बड़ा खतरा

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ट्रंप द्वारा घोषित टैरिफ लागू हो जाता, तो अमेरिका में iPhone जैसे हाई-एंड डिवाइसेज़ की कीमतें काफी बढ़ जातीं। उदाहरण के तौर पर, iPhone 16 Pro Max की कीमत $1,599 से बढ़कर $2,300 तक हो सकती थी। ऐसे में Apple ने त्वरित निर्णय लेते हुए भारत को सप्लाई चेन का विकल्प बनाया और वहां से सीधी शिपमेंट शुरू की।

Foxconn में रविवार को भी चल रहा है उत्पादन

भारत से इतनी बड़ी मात्रा में शिपमेंट संभव हो सकी क्योंकि Apple ने बीते कुछ वर्षों में भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग आधार को मज़बूत किया है। खासकर चेन्नई के पास स्थित Foxconn फैक्ट्री ने इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस फैक्ट्री ने वर्ष 2024 में 2 करोड़ से अधिक iPhones का निर्माण किया, जिसमें लेटेस्ट iPhone 15 और iPhone 16 सीरीज़ भी शामिल हैं।

Apple ने भारत को बनाया चीन का विकल्प

सबसे अहम बात यह है कि अब यह फैक्ट्री सप्ताह के सातों दिन काम कर रही है, जिसमें रविवार को भी उत्पादन जारी रहता है। इससे यह संकेत मिलता है कि Apple भारत को चीन का विकल्प मानकर गंभीरता से निवेश कर रहा है।

चेन्नई एयरपोर्ट पर बना ‘ग्रीन कॉरिडोर’

Apple की इस रणनीति को सफल बनाने में चेन्नई एयरपोर्ट का भी विशेष योगदान रहा है। एयरपोर्ट अधिकारियों ने Apple के अनुरोध पर कस्टम क्लीयरेंस की प्रक्रिया को बेहद तेज़ किया। पहले जहां कस्टम क्लीयरेंस में औसतन 30 घंटे लगते थे, वहीं अब इसे घटाकर मात्र 6 घंटे कर दिया गया है। इसके लिए एयरपोर्ट पर एक “ग्रीन कॉरिडोर” तैयार किया गया, जिससे iPhone की शिपमेंट बिना किसी रुकावट के अमेरिका भेजी जा सके।

क्या है ट्रंप का नया टैरिफ प्लान?

इस पूरी घटना के पीछे की असली वजह ट्रंप का नया टैरिफ है, जो खासकर चीन से आयातित उत्पादों पर लागू किया गया है। ट्रंप प्रशासन ने यह टैरिफ 54% से बढ़ाकर 125% कर दिया, जिससे चीन में बने इलेक्ट्रॉनिक सामान की कीमतें अमेरिका में बहुत महंगी हो जातीं। Apple जैसी कंपनियों की सप्लाई चेन का बड़ा हिस्सा चीन में होने के कारण यह टैरिफ उनके लिए गंभीर चुनौती बन सकता था।

भारत से आयात पर कम टैरिफ, यही बनी बड़ी वजह

ऐसे में Apple ने भारत की ओर रुख किया, जहां से आयात पर केवल 26% टैरिफ लगता है, जो चीन के मुकाबले बहुत कम है। इस कारण Apple ने भारत से सीधी शिपमेंट को प्राथमिकता दी और अमेरिकी बाजार को संभावित कीमतों में उछाल से बचा लिया।

भारत बना Apple की सप्लाई चेन का अहम हिस्सा

Apple का यह फैसला ना सिर्फ कंपनी के मुनाफे को सुरक्षित रखने वाला है, बल्कि यह भारत के लिए भी बड़ी उपलब्धि है। भारत अब तेजी से Apple की ग्लोबल सप्लाई चेन में एक अहम स्थान बना रहा है। Counterpoint Research की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब अमेरिका में बेचे जाने वाले iPhones में से हर पांचवां iPhone भारत से आता है।

Foxconn और Tata Electronics ने मिलाया हाथ

Apple के भारत में मुख्य साझेदार जैसे Foxconn और Tata Electronics अब मिलकर भारत में तीन फैक्ट्रियों का संचालन कर रहे हैं और दो नई फैक्ट्रियों का निर्माण भी किया जा रहा है। यह साझेदारी भारत को वैश्विक तकनीकी मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर रही है।

सरकारी समर्थन बना गेमचेंजर

भारत सरकार की ओर से भी Apple को भरपूर सहयोग मिल रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने संबंधित अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि वे Apple की सहायता करें ताकि कस्टम क्लीयरेंस और शिपमेंट की प्रक्रिया में कोई रुकावट न आए। इसका सीधा लाभ यह हुआ कि Apple को न केवल तेज़ निर्यात की सुविधा मिली बल्कि भविष्य में भी भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित करने की नींव मजबूत हुई।

भारत बन रहा ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पावर

Apple का यह कदम वैश्विक स्तर पर एक संकेत देता है कि अब टेक्नोलॉजी कंपनियां चीन पर निर्भरता कम करने के विकल्प तलाश रही हैं और भारत इस दिशा में एक प्रमुख विकल्प के रूप में उभर रहा है। भारत में उच्च गुणवत्ता वाला उत्पादन, कम लागत, प्रशिक्षित श्रमिक बल और सरकार की अनुकूल नीतियां इन सभी कारणों से Apple जैसे वैश्विक ब्रांड भारत में निवेश बढ़ा रहे हैं।