टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड (TCS) ने इस वित्तीय साल में करीब 12,200 कर्मचारियों की छंटनी करने का फैसला लिया है, जिससे मिड और सीनियर लेवल के कर्मचारियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा. देश की सबसे बड़ी आईटी सर्विस कंपनी अपनी इतिहास की सबसे बड़ी छंटनी कर रही है. इसकी वजह है भविष्य के हिसाब से तैयार स्किल्स पर फोकस और AI को बड़े पैमाने पर अपनाना. ऐसे में जॉब लॉस इंश्योरेंस, जो पहले बहुत कम लोग लेते थे, अब फिर से चर्चा में आ गया है.
जॉब लॉस इंश्योरेंस क्या होता है?
अगर किसी की नौकरी अचानक चली जाए तो जॉब लॉस इंश्योरेंस व्यक्ति को जरूरी खर्चे चलाने में मदद करता है. यह तब तक सहारा देता है जब तक कोई दूसरी नौकरी नहीं मिल जाती. यह लोन की किस्तें, किराया, बिजली-पानी के बिल और मेडिकल खर्च जैसे जरूरी खर्चे कवर करने में मदद करता है ताकि सेविंग्स में हाथ न डालना पड़े.
बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट गुरदीप सिंह बत्रा के मुताबिक, यह उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है जो नौकरी जाने की चिंता में रहते हैं. खासकर आईटी, स्टार्टअप और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टरों में जहां बार-बार छंटनी अब आम बात हो गई है और सिर्फ मंदी तक सीमित नहीं है.
कैसे काम करता है पेमेंट और प्रीमियम
जॉब लॉस इंश्योरेंस में पेमेंट का तरीका पहले से तय होता है. कुछ पॉलिसी हर महीने कुछ समय तक रकम देती हैं, तो कुछ एक साथ पूरा पैसा देती हैं. अधिकतर पॉलिसी में तय मॉडल होता है जिसमें व्यक्ति को बेरोजगार रहने के दौरान हर महीने तय रकम मिलती रहती है. लेकिन पेमेंट तभी शुरू होता है जब व्यक्ति कुछ दिनों तक लगातार बेरोजगार रहता है.
आम तौर पर व्यक्ति को उसकी सैलरी का 70% तक मिलता है, लेकिन यह अलग-अलग बीमा कंपनियों में अलग हो सकता है. उदाहरण देते हुए बत्रा ने कहा, किसी को हर महीने 10,000 रुपए तक तीन महीने तक मिल सकते हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि कितने दिन बेरोजगार रहा और पॉलिसी में वेटिंग पीरियड क्या है. उन्होंने कहा, कुछ पॉलिसी ऐसी भी हैं जिसमें पहले महीने 5,000 रुपए, दूसरे में 10,000 रुपए और तीसरे में 15,000 रुपए मिलते हैं, ताकि व्यक्ति लगातार नई नौकरी ढूंढता रहे है.
इस इंश्योरेंस का प्रीमियम व्यक्ति की सैलरी, पॉलिसी की अवधि, जॉब रिस्क और यह अकेले लिया गया है या ग्रुप में, इन बातों पर निर्भर करता है. बत्रा ने कहा, कंपनी या बैंक से मिलने वाली ग्रुप पॉलिसी में प्रीमियम कम होता है. प्रीमियम इंडस्ट्री या जॉब रोल पर भी निर्भर करता है. ज्यादा रिस्क वाले सेक्टरों में प्रीमियम ज्यादा हो सकता है.
कौन ले सकता है जॉब लॉस इंश्योरेंस?
यह इंश्योरेंस सिर्फ फॉर्मल सेक्टर के सैलरीड कर्मचारियों के लिए होता है. कर्मचारी चाहे मल्टीनेशनल कंपनी में हो या स्टार्टअप में, अगर कंपनी फॉर्मल सेक्टर में आती है तो वह कवर होगा, ऐसा कहना है सज्जा प्रवीण चौधरी का, जो पॉलिसीबाजार फॉर बिजनेस के डायरेक्टर हैं.
जॉब लॉस इंश्योरेंस आमतौर पर बिजनेस और मेडिकल कारणों से होने वाली अनैच्छिक बेरोजगारी को कवर करता है. चौधरी ने कहा, अगर किसी को कंपनी में स्ट्रक्चर बदलने, खर्च घटाने या सरकारी आदेश के चलते निकाला गया है तो वह कवर होगा. अभी के उदाहरण देखें तो कंपनी में AI की वजह से नौकरी जाने पर भी यह कवर हो सकता है.
इन मामलों में नहीं मिलेगा क्लेम
- खुद का काम करने वाले या पहले से बेरोजगार व्यक्ति को
- ट्रायल पीरियड में नौकरी जाने पर
- जल्दी रिटायरमेंट या अपनी मर्जी से इस्तीफा देने पर
- पहले से किसी बीमारी के कारण नौकरी जाने पर
- परफॉर्मेंस खराब होने, धोखाधड़ी या सस्पेंशन के कारण नौकरी जाने पर
कब रिजेक्ट हो सकता है क्लेम
बत्रा के मुताबिक, भारत में यह प्रोडक्ट अभी नया है, इसलिए हर कंपनी के नियम अलग हो सकते हैं. आम तौर पर स्वैच्छिक इस्तीफा, रिटायरमेंट, ट्रायल पीरियड में नौकरी जाना या अनुशासनहीनता की वजह से निकाले जाने पर क्लेम नहीं मिलता. इसके अलावा अगर नौकरी कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड, सीजनल, टेम्परेरी या कंपनी के डायरेक्ट पेरोल पर न हो तो भी क्लेम नहीं मिलेगा. पहले से बीमारी या महामारी जैसी स्थितियों में नौकरी जाने पर भी क्लेम नहीं मिलेगा जब तक पॉलिसी में अलग से इसका कवरेज न हो
क्या यह इंश्योरेंस लेना सही है?
देखने में यह सेफ्टी नेट लगता है लेकिन इसमें एक पेंच है. कई बड़ी कंपनियां छंटनी के वक्त 3 महीने तक सैलरी देती हैं, उसके बाद कर्मचारी को खुद इस्तीफा देना होता है. जो कागजों पर स्वैच्छिक इस्तीफा माना जाता है. चौधरी ने कहा, कंपनियां ऐसा इसलिए करती हैं ताकि कर्मचारी के करियर में निकाले जाने का दाग न लग. कोई भी यह नहीं चाहता कि उसके रिज्यूमे में लिखा हो कि उसे निकाला गया था, इसलिए कंपनियां यह सुविधा देती हैं.
लेकिन कागजों पर यह स्वैच्छिक इस्तीफा माना जाता है, इसलिए जॉब लॉस इंश्योरेंस का क्लेम नहीं मिलता, जब तक कर्मचारी साबित न कर दे कि उसे निकाला गया था.
ऐसे समय में ये विकल्प भी होने चाहिए
- आपात फंड तैयार रखें: 6 महीने के खर्च जितना पैसा बचाकर रखें ताकि अचानक नौकरी जाने पर दिक्कत न हो.
- लोन के साथ इंश्योरेंस लें: इससे नौकरी जाने पर लोन की ईएमआई बीमा कंपनी भरती है और आपकी प्रॉपर्टी सुरक्षित रहती है.