कैश कांड मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashvant Verma) को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जज यशवंत वर्मा की याचिका खारिज कर दी है. जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम जांच पैनल की रिपोर्ट को चुनौती दी थी. उसमें उन्हें हटाने की सिफारिश (Legal Action) की गई थी.
जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपनी याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट को अमान्य करार दिया जाए. जस्टिस दीपंकर दत्ता और एजी मसीह की बेंच ने यह फैसला लिया. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज (Cash Case FIR) करने की मांग वाली याचिका भी खारिज की.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपंकर दत्ता ने अपने फैसले में कहा कि हमने यह पाया (Judicial Integrity) है कि इस मामले में याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है. सीजेआई और समिति ने प्रक्रिया को पूरी सावधानी से पालन किया. सिवाय इसके कि फोटो और वीडियो अपलोड नहीं किए गए, लेकिन वह आवश्यक भी नहीं था. और चूंकि उस समय इस मुद्दे को चुनौती नहीं दी गई थी, इसलिए इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
जज साहब ने क्या कहा?
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र भेजना असंवैधानिक नहीं था. हमने कुछ टिप्पणियां की हैं जिनके तहत भविष्य में अगर जरूरत पड़ी तो आप कार्यवाही कर सकते हैं.’ इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अंत में न्यायमूर्ति दत्ता ने बताया कि इन सभी तथ्यों के आधार पर हमने यह रिट याचिका खारिज कर दी है.
पैनल ने क्या सिफारिश की थी
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने का प्रस्ताव लाने की सिफारिश की थी. याचिका में तत्कालीन CJI संजीव खन्ना द्वारा पीएम और राष्ट्रपति को 8 मई को की गई सिफारिश को रद्द करने की भी मांग थी. याचिका में कहा गया था कि उन्हें व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिए बिना ही दोषी ठहराया गया है. याचिका में तीन सदस्यीय जांच पैनल पर आरोप लगाया है कि उसने उन्हें पूरी और निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिए बिना ही प्रतिकूल निष्कर्ष निकाले.
क्या है पूरा कैश कांड
जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड इसी साल मार्च में आया. यह विवाद तब शुरू हुआ जब होली की रात यानी 14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के नई दिल्ली स्थित घर से जले हुए नोट मिले. उनके घर पर आग लग गई थी. आग पर काबू पाने के लिए दमकल विभाग की टीम आई थी. इसी टीम ने उनके घर में कैश देखा था. कुछ कैश जले भी बरामद किए गए थे. इस घटना ने न्यायिक हलकों में हड़कंप मचा दिया. इसके बाद जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया गया और आरोपों की जांच के लिए एक आंतरिक समिति गठित की गई. सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने हटाने की सिफारिश की थी.