भारत और भूटान के बीच ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए 570 मेगावाट के वांगछू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को लेकर समझौता हुआ है। शनिवार, 5 सितंबर को अदाणी पावर और भूटान की सरकारी बिजली कंपनी ड्रुक ग्रीन पावर कॉर्प लिमिटेड (DGPC) ने शेयरहोल्डर्स एग्रीमेंट (SHA) पर हस्ताक्षर किए।
पीएम और गौतम अदाणी की मौजूदगी
भूटान की राजधानी में हुए इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग तोबगे और अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी मौजूद रहे। इस दौरान पावर परचेस एग्रीमेंट (PPA) पर सैद्धांतिक सहमति बनी और साथ ही भूटान सरकार के साथ कंसेशन एग्रीमेंट (CA) पर भी हस्ताक्षर किए गए।
60 अरब का निवेश, BOOT मॉडल पर काम
यह प्रोजेक्ट BOOT मॉडल (बिल्ड, ओन, ऑपरेट, ट्रांसफर) पर तैयार होगा। इसमें करीब 60 अरब रुपए का निवेश होगा और रन-ऑफ-रिवर आधारित पावर प्लांट के साथ आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर भी खड़ा किया जाएगा।
भूटान की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भूटान (India-Bhutan) की अर्थव्यवस्था के लिए सिर्फ ऊर्जा उत्पादन नहीं, बल्कि स्थानीय रोजगार, तकनीकी विकास और राजस्व विविधीकरण का बड़ा अवसर है। भूटान की अर्थव्यवस्था अभी पर्यटन और बिजली निर्यात पर अधिक निर्भर है, ऐसे में यह प्रोजेक्ट नए विकास की दिशा दिखाएगा।
भारत को ऊर्जा सुरक्षा का लाभ
भारत के लिए यह समझौता ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास की दिशा में अहम है। आंकड़े बताते हैं कि भूटान के कुल निर्यात में बिजली की हिस्सेदारी पहले से ही 40% से ज्यादा है, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा भारत को जाता है। इस प्रोजेक्ट से दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे।