Anil Ambani की रिलायंस कम्युनिकेशंस को SBI ने बताया फ्रॉड, फंड घोटाले से जुड़ा मामला

Anil Ambani की रिलायंस कम्युनिकेशंस को SBI ने बताया फ्रॉड, फंड घोटाले से जुड़ा मामला

भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) के लोन खाते को ‘धोखाधड़ी’ घोषित कर दिया है। बैंक ने भी कंपनी के पूर्व निदेशक अनिल अंबानी का नाम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को देने का निर्णय लिया है। इस घोषणा से अनिल अंबानी और उनकी कंपनी एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं।

लोन फंड के दुरुपयोग का आरोप

एसबीआई की फ्रॉड आइडेंटिफिकेशन कमेटी (FIC) ने हाल ही में जारी पत्र में आरोप लगाया है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस ने बैंक से लिए गए लोन फंड का गलत इस्तेमाल किया। रिपोर्ट के मुताबिक, Anil Ambani की कंपनी ने कुल ₹31,580 करोड़ के लोन में से लगभग ₹13,667 करोड़ यानी करीब 44% राशि दूसरे कर्ज चुकाने में और ₹12,692 करोड़ संबद्ध पक्षों को भुगतान में खर्च कर दी। यह बैंकिंग नियमों का सीधा उल्लंघन है।

बैंक के अनुसार, कंपनी ने लोन दस्तावेजों की शर्तों का पालन नहीं किया और जब जवाब मांगा गया तो संतोषजनक स्पष्टीकरण भी नहीं दिया।

Anil Ambani: अन्य बैंकों के फंड्स का भी गलत इस्तेमाल

एसबीआई ने यह भी बताया कि देना बैंक से मिले ₹250 करोड़ का ऋण, जो वैधानिक बकाया चुकाने के लिए था, उसे रिलायंस कम्युनिकेशंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (RCIL) के माध्यम से इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट में बदल दिया गया। बाद में इसका उपयोग विदेशी वाणिज्यिक कर्ज (ECB) चुकाने में किया गया।

इसी तरह इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (IIFCL) से लिए गए ₹248 करोड़ में से भी एक बड़ी राशि रिलायंस ग्रुप की अन्य कंपनियों को कर्ज चुकाने के लिए दी गई।

दिवालिया प्रक्रिया में फंसी है कंपनी

रिलायंस कम्युनिकेशंस (Anil Ambani) फिलहाल कॉर्पोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) के तहत है, जो 2019 में शुरू हुई थी। कंपनी का कहना है कि यह मामला 2016 से पहले का है और दिवालिया कानून (IBC) के तहत समाधान योजना लागू होने के बाद पुराने मामलों में उसे कानूनी छूट मिल सकती है।

कंपनी ने दावा किया कि अगर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) समाधान योजना को मंजूरी दे देता है तो CIRP से पहले के कथित अपराधों के लिए कंपनी और उसके निदेशकों को दायित्व से राहत मिल जाएगी।

Anil Ambani: कार्रवाई की संभावनाएं और कानूनी पेच

एसबीआई के इस कदम के खिलाफ अनिल अंबानी के वकीलों ने नाराजगी जताई है। उन्होंने इस निर्णय को “एक्स-पार्टे” और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ बताया है। वकीलों का कहना है कि बैंक ने अनिल अंबानी को सुनवाई का मौका नहीं दिया और यह फैसला सुप्रीम कोर्ट, बॉम्बे हाई कोर्ट और आरबीआई के दिशानिर्देशों के विरुद्ध है।

आरबीआई के नियमों के मुताबिक, जब किसी खाते को ‘फ्रॉड’ घोषित किया जाता है तो बैंक को 21 दिनों के भीतर इसकी जानकारी आरबीआई और जांच एजेंसियों को देनी होती है। साथ ही, धोखाधड़ी में शामिल निदेशकों को पांच साल तक किसी भी सरकारी बैंक या वित्तीय संस्थान से ऋण लेने पर प्रतिबंध लग जाता है।

अनिल अंबानी के लिए एक और बड़ा झटका

यह ताजा विवाद Anil Ambani के लिए एक और बड़ा झटका साबित हो सकता है। पहले से ही वित्तीय संकटों और कानूनी विवादों से घिरे अनिल अंबानी का कारोबारी साम्राज्य लगातार कमजोर होता जा रहा है।

रिलायंस कम्युनिकेशंस ने कहा है कि वह इस मामले में कानूनी सलाह ले रही है और आगे की कार्रवाई पर विचार कर रही है। हालाँकि, फ्रॉड की घोषणा के बावजूद, अनिल अंबानी या उनकी कंपनी के खिलाफ अभी तक कोई सख्त आपराधिक कार्रवाई नहीं शुरू हुई है।