बेंगलुरु जैसे ट्रैफिक-भरे शहर में जहां बाइक टैक्सी सेवा लोगों के लिए राहत का जरिया बनी थी, अब वहां यह सेवा पूरी तरह बंद होने जा रही है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने ओला, उबर और रैपिडो की याचिका खारिज कर दी है। जानिए क्या है पूरा मामला।
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
कर्नाटक में कैब एग्रीगेटर कंपनियों ओला, उबर और रैपिडो को बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने इन कंपनियों द्वारा बाइक टैक्सी सेवाओं पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग को खारिज कर दिया है। इस फैसले के चलते राज्य में 16 जून 2025 से बाइक टैक्सी सेवाएं पूरी तरह बंद हो जाएंगी।
क्या है पूरा मामला?
ओला, उबर इंडिया और रैपिडो जैसी कंपनियों ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर कर यह मांग की थी कि बाइक टैक्सी को कानूनी मान्यता दी जाए और पीली नंबर प्लेट वाले वाहनों को ट्रांसपोर्ट व्हीकल के रूप में रजिस्टर करने की अनुमति मिले।
हालांकि, कोर्ट ने इस पर अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति बीएम. श्याम प्रसाद की बेंच ने स्पष्ट कहा कि बिना नियमों और दिशानिर्देशों के बाइक टैक्सी सेवा वैध नहीं मानी जा सकती।
तीन महीने में बनाने होंगे नियम
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह मोटर वाहन अधिनियम के तहत बाइक टैक्सी सेवाओं के लिए तीन महीने के भीतर स्पष्ट गाइडलाइन और नियम तैयार करे।
जब तक यह नियम नहीं बन जाते, तब तक बाइक टैक्सी चलाना गैरकानूनी रहेगा और किसी भी कंपनी को इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी।
अभी तक का घटनाक्रम
इससे पहले अप्रैल 2025 में कोर्ट ने कंपनियों को 15 जून 2025 तक बाइक टैक्सी सेवाएं संचालित करने की अंतरिम अनुमति दी थी।
अब कोर्ट ने इस राहत को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है। इसके चलते सोमवार, 16 जून 2025 से पूरे राज्य में ओला, उबर और रैपिडो जैसी कंपनियों की बाइक टैक्सी सेवाएं बंद हो जाएंगी।
इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी योजना भी बंद
गौरतलब है कि कर्नाटक सरकार ने 2021 में इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी योजना शुरू की थी। इसका उद्देश्य शहरों में प्रदूषण घटाना और ट्रैफिक की समस्या को कम करना था।
मार्च 2024 में सरकार ने इस योजना को सुरक्षा और नियमों की कमी के चलते बंद कर दिया था। इसके बाद से ही बाइक टैक्सी सेवाओं को लेकर असमंजस बना हुआ था।
यात्रियों को होगा बड़ा नुकसान
बेंगलुरु जैसे ट्रैफिक-भरे शहर में बाइक टैक्सी सेवा लोगों के लिए काफी मददगार साबित हो रही थी।
- यह सेवा किफायती थी।
- यातायात जाम में भी बाइक टैक्सी से जल्दी गंतव्य तक पहुंचा जा सकता था।
- खासकर मिडिल क्लास और स्टूडेंट्स के बीच यह सेवा काफी लोकप्रिय थी।
अब इन सेवाओं के बंद होने से यात्रियों को महंगी टैक्सी और ऑटो का सहारा लेना पड़ेगा। इसके चलते रोजमर्रा के सफर का खर्च बढ़ जाएगा।
ड्राइवरों की कमाई पर भी असर
इस फैसले का सबसे बड़ा असर उन हजारों गिग वर्कर्स और ड्राइवरों पर पड़ेगा, जो इन सेवाओं से रोजी-रोटी चला रहे थे।
- कई ड्राइवरों ने लोन लेकर बाइक खरीदी थी।
- अब EMI चुकाना मुश्किल हो सकता है।
- अचानक से बेरोजगारी का संकट खड़ा हो गया है।
- अगर तीन महीने में सरकार कोई स्पष्ट नीति नहीं लाती है, तो इन ड्राइवरों के लिए रोज़गार का दूसरा विकल्प ढूंढना आसान नहीं होगा।
क्या फिर से शुरू हो सकती है सेवा?
- हाई कोर्ट ने सरकार को तीन महीने का समय दिया है ताकि बाइक टैक्सी सेवाओं के लिए नियम बनाए जा सकें।
- यदि सरकार इस अवधि में दिशा-निर्देश बना देती है और बाइक टैक्सी को वैध मान्यता मिल जाती है, तो भविष्य में यह सेवा दोबारा शुरू हो सकती है।
- लेकिन फिलहाल यात्रियों और ड्राइवरों को तीन महीने तक इंतजार करना पड़ेगा।
राज्य सरकार के सामने बड़ी चुनौती…
- सुरक्षित और व्यवस्थित बाइक टैक्सी सेवा के लिए नियम तैयार करना।
- ड्राइवरों और यात्रियों दोनों के हितों का ध्यान रखना।
- ट्रैफिक, सुरक्षा और बीमा जैसे मुद्दों का समाधान निकालना।
- यदि सरकार इस दिशा में तेजी से काम करती है, तो बाइक टैक्सी सेवाएं फिर से सड़कों पर लौट सकती हैं।
गिग वर्कर्स की कमाई में झटका
- कर्नाटक हाई कोर्ट का यह फैसला राज्य के ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए बड़ा झटका है। जहां एक ओर स्टूडेंट्स और मिडिल क्लास को सस्ती और तेज सेवा मिलती थी, वहीं गिग वर्कर्स के लिए यह कमाई का जरिया थी।
- अब सरकार पर जिम्मेदारी है कि वह जल्द से जल्द नियम बनाए ताकि यह सेवा फिर से शुरू हो सके। फिलहाल यात्रियों को कुछ समय के लिए महंगी टैक्सी और ऑटो पर निर्भर रहना होगा।