‘कागजों में भाई को बताया मृत…’ पूर्व ADM पर फर्जीवाड़ा कर संपत्ति हड़पने की कोशिश के आरोप, क्या है मामला?

‘कागजों में भाई को बताया मृत…’ पूर्व ADM पर फर्जीवाड़ा कर संपत्ति हड़पने की कोशिश के आरोप, क्या है मामला?
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक तंत्र को हिला कर रख दिया है. यहां एक पूर्व अधिकारी पर आरोप है कि उन्होंने अपने ही सगे भाई को कागज़ों में मृत साबित कर पारिवारिक संपत्ति पर कब्जा करने की कोशिश की. यह साजिश रचने वाला कोई आम व्यक्ति नहीं, बल्कि पूर्व एडीएम मूलचंद किशोरे हैं, जो वर्तमान में एक निजी विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर के पद पर कार्यरत हैं.

अशोका गार्डन स्थित इकबाल नगर निवासी जोखीलाल मेहरा ने पुलिस को दी शिकायत में आरोप लगाया कि उनके छोटे भाई मूलचंद किशोरे ने एक निजी मेडिकल कॉलेज से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया. इसके बाद उसी दस्तावेज के आधार पर भोपाल नगर निगम से भी आधिकारिक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करा लिया गया.

फर्जीवाड़े की कैसे खुली पोल?

इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश तब हुआ, जब यह दस्तावेज जबलपुर हाईकोर्ट में चल रहे पारिवारिक संपत्ति विवाद के दौरान सामने आया. कोर्ट में दाखिल शपथ पत्र में मूलचंद किशोरे ने दावा किया था कि उनके बड़े भाई जोखीलाल का निधन हो चुका है, और उन्होंने अपनी संपत्ति की वसीयत मूलचंद की पत्नी रेखा किशोरे के नाम कर दी है.

जोखीलाल मेहरा को जब इस षड्यंत्र का पता चला, तो उन्होंने 6 सितंबर 2025 को भोपाल क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई. परंतु जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने भोपाल कोर्ट का रुख किया. कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए तत्काल FIR दर्ज करने के आदेश जारी किए.

इसके बाद क्राइम ब्रांच ने मूलचंद किशोरे, उनकी पत्नी रेखा किशोरे, सहयोगी कृष्णा नागवंशी, संध्या मेहरा, और निजी मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अनिल शारदा के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, और आपराधिक साजिश जैसी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है.

फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि मूलचंद किशोरे ने फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र का इस्तेमाल न केवल कोर्ट में किया बल्कि राजस्व विभाग में संपत्ति हस्तांतरण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि मेडिकल कॉलेज ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करते समय किसी भी पहचान-पत्र या दस्तावेज़ की सत्यापन प्रक्रिया नहीं की. यह लापरवाही पूरे संस्थान पर भी सवाल खड़े करती है कि आखिर बिना वैरिफिकेशन के किसी व्यक्ति को मृत कैसे घोषित किया जा सकता है. फिलहाल मामला जांच के अधीन है. पुलिस दस्तावेज़ों की फॉरेंसिक जांच करा रही है और मेडिकल कॉलेज प्रशासन से भी जवाब तलब किया गया है.