TCS में हजारों की छंटनी,बिना नोटिस निकाले जा रहे कर्मचारी, ऑफिस में दहशत का माहौल!

TCS में हजारों की छंटनी,बिना नोटिस निकाले जा रहे कर्मचारी, ऑफिस में दहशत का माहौल!
TCS Lay Off: खतरे में हजारों नौकरियां

देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी TCS में इन दिनों ऐसा माहौल बन गया है कि लोग ऑफिस में डर कर काम कर रहे हैं. जिन लोगों ने 10-15 साल तक कंपनी के लिए काम किया, वही अब एक झटके में बाहर किए जा रहे हैं. कोई कारण नहीं बताया जा रहा, बस अचानक बुलाकर कहा जा रहा है, या तो खुद इस्तीफा दो या फिर टर्मिनेट कर दिए जाओगे. कंपनी ने पहले कहा था कि सिर्फ 2% यानी करीब 12,000 लोगों को हटाया जाएगा, लेकिन हकीकत में ये संख्या 30,000 से भी ज्यादा हो सकती है. ऐसा कहना है कर्मचारियों और आईटी यूनियनों का, जो लगातार विरोध कर रही हैं.

13 साल की वफादारी के बदले मिला टर्मिनेशन

मनी कंट्रोल की एक खबर के मुताबिक, पुणे के एक TCS कर्मचारी, जिन्होंने नाम ना बताने की शर्त पर अपनी कहानी बताई, उन्होंने बताया कि कैसे 13 साल तक TCS में काम करने के बाद भी उन्हें बाहर कर दिया गया. उन्होंने कहा, मेरे प्रोजेक्ट खत्म हो गया था, फिर नया काम नहीं मिल रहा था. मैंने अलग-अलग टीमों से बात की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. HR और RMG बार-बार फोन करके पूछताछ करते थे. यहां तक कि मुझ पर झूठा आरोप लगाया गया कि मैं दूसरी कंपनी में भी काम कर रहा हूं. आखिर में उन्हें जबरन इस्तीफा देने को कहा गया. जब मैने मना किया, तो उन्हें सीधे टर्मिनेट कर दिया गया. ऊपर से 6-8 लाख रुपये की रिकवरी भी मांगी गई, जिसमें से आधा मैने खुद चुकाया. आज मैं अपने दोस्त के घर पर रह रहा हूं. पत्नी और बच्चे गांव में हैं. उन्हें सच तक नहीं बता पाया.’ इनसे जैसे हजारो कर्मचारी भी अपनी नौकरी को लेकर डर कर काम कर रहे हैं. कब किसी नंबर आ जाए किसी को नहीं पता.

अंदरूनी लिस्ट से तय हो रहा किसकी जाएगी नौकरी

कई कर्मचारियों ने बताया कि कंपनी के मैनेजरों के पास एक ‘फ्लूइडिटी लिस्ट’ होती है, जिसमें उन लोगों के नाम होते हैं जिन्हें हटाना है. ये लिस्ट ना तो स्किल के आधार पर बनती है, ना अनुभव के. कई ऐसे लोग भी इस लिस्ट में हैं जिनके पास जरूरी स्किल हैं, जिन्होंने इंटरव्यू पास किया, फिर भी उन्हें प्रोजेक्ट नहीं दिया जा रहा. एक अन्य कर्मचारी ने बताया अगर आपका नाम उस लिस्ट में आ गया, तो फिर आप चाहें जितना मेहनत कर लें, कोई काम नहीं मिलेगा. HR पीछे लग जाती है और कहती है , खुद से इस्तीफा दो वरना टर्मिनेट कर देंगे.

कहीं और नौकरी नहीं मिलने का है डर

कई लोग सामने आकर अपनी बात इसलिए नहीं कह पा रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि कंपनी के खिलाफ जाने पर कोई और नौकरी नहीं मिलेगी. और अगर कोर्ट में केस करें, तो सालों तक लड़ाई चलेगी पैसा, समय और मानसिक तनाव सब अलग. एक दूसरे कर्मचारी ने बताया , कंपनी क्लाइंट्स से झूठ बोल देती है कि ये कर्मचारी बीमार है या फैमिली इश्यू है, जबकि सच में वो उसे प्रोजेक्ट से हटा रही होती है.

यूनियन ने कहा कंपनी ने भरोसा तोड़ा

वहीं IT सेक्टर की कई यूनियनें जैसे FITE, UNITE, AIITEU खुलकर कह रही हैं कि TCS गलत तरीके से लोगों को निकाल रही है. FITE के सेक्रेटरी प्रशांत पंडित ने कहा, 30-35 साल पुराने कर्मचारी जो रिटायरमेंट के करीब थे, उन्हें सिर्फ 30 मिनट में बाहर कर दिया गया. UNITE के महासचिव अलगुनांबी वेल्किन ने बताया कि, कुछ लोग जिनके पास अभी भी प्रोजेक्ट था, उन्हें गलत तरीके से ‘बेंच’ पर डाल दिया गया. बाद में जब उन्होंने नया प्रोजेक्ट ढूंढा, तो उन्हें RMG और HR ने उसमें भी नहीं जाने दिया.

नई पॉलिसी से और बढ़ा डर

जून 2025 में TCS ने एक नई नीति लागू की जिसमें कहा गया कि हर कर्मचारी को साल में कम से कम 225 दिन ‘बिलेबल’ यानी प्रोजेक्ट में एक्टिव रहना होगा. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो नौकरी पर असर पड़ेगा. इसके अलावा, अब कोई कर्मचारी 35 दिन से ज्यादा बेंच पर नहीं रह सकता. पहले RMG प्रोजेक्ट अलॉट करती थी, अब कर्मचारियों को खुद दौड़ लगानी पड़ती है.

कंपनी ने साध रखी है चुप्पी

TCS ने फिलहाल इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, क्योंकि कंपनी अपनी दूसरी तिमाही के नतीजों से पहले साइलेंस पीरियड में है. सभी की निगाहें अब 9 अक्टूबर पर टिकी हैं, जब कंपनी अपने तिमाही नतीजे जारी करेगी और शायद पहली बार इस विवाद पर खुलकर बात करे.