आम आदमी से यूपी के सीएम तक का सफर… कैसी है योगी आदित्यनाथ की बायोपिक?

आम आदमी से यूपी के सीएम तक का सफर… कैसी है योगी आदित्यनाथ की बायोपिक?
‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी’

वैसे पॉलिटिक्स और सिनेमा का रिश्ता बड़ा पुराना है, कभी राजनेता खुद सिनेमा में आते हैं, तो कभी डायरेक्टर उन पर फिल्म बना देते हैं. लेकिन, इस बार मामला कुछ और है, जिन्हें कंटेंट का उस्ताद कहा जाता है वो रविंद्र गौतम, अब एक ऐसी बायोपिक लाए हैं जो दिखावे से दूर, सीधे कहानी पर फोकस करती है. ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी’. नाम से ही साफ है, ये कहानी है अजय सिंह बिष्ट की, जो आगे चलकर योगी आदित्यनाथ बने.

फिल्म में अनंत जोशी ने योगी का किरदार निभाया है. ये फिल्म 19 सितंबर को सिनेमाघरों में आ चुकी है और इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक नौजवान 22 साल की उम्र में संन्यासी बना और फिर 26 की उम्र में सबसे कम उम्र का सांसद. सीधी बात, नो बकवास! ये फिल्म शांतनु गुप्ता की किताब ‘द मॉन्क हू बिकेम अ चीफ मिनिस्टर’ से इंस्पायर्ड है और इस बायोपिक को लेकर काफी चर्चा है. अब क्या फिल्म के हीरो अनंत जोशी, योगी आदित्यनाथ की कहानी के साथ पूरा न्याय कर पाए हैं, ये जानने के लिए आपको हमारा पूरा रिव्यू पढ़ना पड़ेगा.

क्या है फिल्म की कहानी?

कहानी की शुरुआत साल 1984 के उत्तर प्रदेश से होती है, जहां सब कुछ शांत है. फिर एक बारात का सीन आता है, जिसमें नाच-गाना चल रहा है, लेकिन देखते ही देखते ये खुशी का माहौल खून-खराबे में बदल जाता है. यहीं हमारी मुलाकात दो लड़कों से होती है. एक अजय है, जो पढ़ाई में तेज है और दूसरा उसका भाई, जो अपने पिता की बात मानकर बड़ा होकर बस ड्राइवर बनना चाहता है.

बचपन से होशियार थे योगी आदित्यनाथ

बड़े होने पर दोनों भाई मिलकर टूरिस्ट बस का काम शुरू करते हैं, लेकिन एक ओवर स्मार्ट गुंडा उनके रास्ते में रोड़ा बन जाता है. इस वजह से अजय के पिताजी को उसे आगे की पढ़ाई के लिए बाहर भेजना पड़ता है. कॉलेज के पहले ही दिन उसकी रैगिंग होती है, लेकिन इसी रैगिंग की वजह से उसे दोस्तों का एक ग्रुप मिल जाता है. कुछ घटनाओं के बाद अजय कॉलेज इलेक्शन लड़ता है. हारने के बाद भी वो हिम्मत दिखाता है और अपनी हार की वजह जानने के लिए गुरुजी (परेश रावल) के पास जाता है, जिनका किरदार महाराज अवैद्यनाथ पर आधारित है. यही गुरुजी उसे अजय आनंद से योगी आदित्यनाथ बनने का रास्ता दिखाते हैं. इसके बाद क्या होता है, ये जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर फिल्म देखनी पड़ेगी.

जानें कैसी है ये फिल्म?

‘अजेय’ की सबसे अच्छी बात ये है कि ये कही से भी प्रोपेगंडा फिल्म नहीं लगती. कहानी में अध्यात्म और राजनीति का संतुलन दिखाया गया है. फिल्म की सादगी और ईमानदारी इसे और भी खास बनाती है.

निर्देशन और लेखन

फिल्म के डायरेक्टर रविंद्र गौतम ने बड़े धैर्य (पेशेंस) के साथ इस कहानी को पर्दे पर उतारा है. उनकी डायरेक्शन में कहीं भी जल्दबाजी नजर नहीं आती. अजय के बड़े होने से लेकर योगी आदित्यनाथ बनने तक का सफर उन्होंने बहुत अच्छे से दिखाया है. दरअसल, इस फिल्म में कोई शोशा नहीं है. अगर चाहते तो रविंद्र गौतम भी गाड़ियां उड़ा सकते थे, हर सीन को ग्रैंड बना सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया, बिना किसी मसाले के उन्होंने एक कहानी पेश की, जो सीधे दिल को छू गई.

कैसी है एक्टिंग?

योगी आदित्यनाथ जैसे बड़े राजनेता का किरदार निभाना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन अनंत जोशी ने इस चुनौती को बखूबी निभाया है. वो हर सीन में काफी जमे हैं. उनका परफ़ॉर्मेंस इतना दमदार है कि वो कहीं भी योगी आदित्यनाथ की शख्सियत को पर्दे पर दिखाने के बोझ तले दबते नहीं हैं. ’12वीं फेल’, ‘कटहल’ जैसी फिल्मों के बाद ये रोल उनकी एक्टिंग का लोहा मनवाता है.परेश रावल भी हमेशा की तरह शानदार लगे हैं. दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ की स्क्रीन प्रेजेंस भी कमाल की है. सपोर्टिंग कास्ट ने भी अच्छा काम किया है.

फिल्म की टेक्निकल डिटेल्स

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भी अच्छी है. फिल्म में शामिल किया गया बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म की कहानी को और भी ज्यादा दमदार बनाता है. पारंपरिक भारतीय वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल इसे एक असली और बेहतरीन एहसास देता है. हालांकि, फिल्म के गाने कुछ खास नहीं हैं और उनका कोई रिकॉल वैल्यू भी नहीं है.

देखें या न देखें

अगर आपको बायोपिक, राजनीतिक कहानियां पसंद है, तो ये फिल्म आपके लिए है. फिल्म की ईमानदारी और सादगी इसका प्लस पॉइंट है. लेकिन सवाल ये है कि क्या ये सब सिनेमाघरों में भीड़ खींचने के लिए काफी हैं? ये देखने वाली बात होगी. अगर आपको ड्रामा, रोमांस पसंद है तो ये फिल्म आपके लिए नहीं है. लेकिन अगर आप एक अच्छी कहानी और दमदार एक्टिंग देखना चाहते हैं, तो ‘अजेय’ को एक मौका जरूर दें.