हिंदू सगठनों ने रावण दहन का किया विरोध
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व दशहरा इस बार पूरे देश में 2 अक्टूबर को धूमधाम से मनाया जाएगा. इस दौरान रावण के पुतले का दहन भी होगा लेकिन धार्मिक नगरी उज्जैन में महाकाल सेना और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन का विरोध करते हुए शहर भर में पोस्टर लगाए हैं. उसके साथ ही ब्राह्मणों से यह अपील भी की गई है कि वो रावण दहन के कार्यक्रमों में शामिल न हो. ये भी कहा गया है कि इतिहास या रामायण में कहीं भी रावण दहन का उल्लेख नहीं है.
अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज और महाकाल सेवा के प्रमुख पंडित महेश शर्मा ने बताया कि बैठक के दौरान हमने रावण के पुतले का दहन करने पर विरोध जताया है. पिछले 1 वर्ष से हमारी यही मांग है कि अब रावण के पुतले का दहन करना बंद करना चाहिए. रामायण और इतिहास के किसी भी ग्रंथ में रावण दहन का कोई उल्लेख नहीं है. रावण तो भगवान शिव का भक्त होने के साथ ही महाज्ञानी था और त्रिकालदर्शी होने के कारण उसने अपना मुक्ति मार्ग निकालने के लिए मां सीता का हरण किया था. साथ ही उसने अपनी बहन शूर्पणखा के नाक, कान काटे जाने पर भी ऐसा कदम उठाया था. लेकिन वर्तमान में जिस दंड के लिए रावण के पुतले का दहन किया जाता है अब तो उससे भी ज्यादा गंभीर अपराध करने वाले लोग हैं. अब रावण की बजाय ऐसे लोगों के पुतलों का दहन करना चाहिए.
पोस्टर में मांगा सवालों का जवाब
अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज और महाकाल सेना ने शहर भर में कई स्थानों पर पोस्टर लगाकर यह सवाल पूछा है कि आखिर रावण के पुतले का ही दहन क्यों किया जाए. रावण ने मां सीता का अपहरण किया लेकिन कभी अत्याचार नहीं किया. रावण राम जी के निवेदन पर प्रसिद्ध रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कराने पहुंचा था. पुतला जलाकर इनका अपमान क्यों? रावण ने अपनी बहन के साथ हुए अत्याचार रूपी चुनौती को स्वीकार किया और मोक्ष प्राप्त किया तो इसमें गलत क्या था? लक्ष्मण क्षत्रिय थे, उन्होंने भी शूर्पणखा जो कि ब्राह्मण कन्या के नाक और कान काट दिए, क्या यह उचित था? सीता जी पर उंगली उठाकर उनके चरित्र पर संदेह करने और पुन: सीता जी को वनवास जाने पर विवश होने पर उस रजक (धोबी) को कोई दंड क्यों नहीं?
सीएम को लिखा था पत्र
अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रमुख पंडित महेश शर्मा ने पिछले वर्ष भी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को एक पत्र लिखकर यह मांग की थी कि द्वापर युग से रावण के पुतले का दहन किया जा रहा है. लेकिन अब रावण के पुतला दहन पर रोक लगना चाहिए, क्योंकि इससे न सिर्फ ब्राह्मणों का अपमान होता है, बल्कि इस कलयुग में तो ऐसे लोग हैं जो मां-बहनों के साथ दुष्कर्म कर उनकी हत्या तक कर डालते हैं. अब रावण की बजाय ऐसे लोगों का पुतला दहन होना चाहिए.