नेपाल में अंतरिम सरकार गठन की कवायद के बीच कुलमान घिसिंग का नाम सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है. गुरुवार को सेना प्रमुख से मुलाकात में जेनरेशन-जेड (Gen-Z) ने कुलमान के नाम को आगे किया. वो भी तब, जब सेना प्रमुख अशोक राज से खुद सुशीला कार्की मिलने पहुंची थीं.
जमशेदपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले कुलमान घिसिंग की पहचान नेपाल में एक ईमानदार अफसर की है. कुलमान का मामला पिछले साल सुर्खियों में तब आया था, जब उन्हें समय से पहले ही केपी शर्मा ओली की सरकार ने पद से हटा दिया था. इस मामले में ओली सरकार की खूब किरकिरी हुई थी.
इंजीनियर कुलमान घिसिंग कौन हैं?
नेपाल के रामेछेप में जन्मे कुलमान घिसिंग उर्जा विभाग के अधिकारी रहे हैं. 2016 में नेपाल सरकार ने उन्हें उर्जा विभाग के प्रमुख पद पर नियुक्त किया था. घिसिंग इस पद पर 8 साल तक रहे. इसी दौरान घिसिंग ने अपनी छवि एक ईमानदार अफसर की बना ली.
एनआईटी जमशेदपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले कुलमान घिसिंग काठमांडू में रहते हैं. जेनरेशन-जेड के प्रदर्शन को कुलमान ने खुलकर समर्थन दिया था. 54 साल के घिसिंग एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं.
घिसिंग के प्रोफाइल के मुताबिक शुरुआती पढ़ाई उन्होंने नेपाल के सरकारी स्कूल से की है. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद घिसिंग उर्जा विभाग से जुड़ गए, जहां उनके कामों को देखते हुए सरकार ने उन्हें विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी.
कुलमान घिसिंग का नाम आगे क्यों आया?
1. कुलमान घिसिंग उर्जा विभाग में प्रबंध निदेशक रहते हुए केपी ओली शर्मा से सीधा पंगा लिया था. ओली की वजह से ही कुलमान घिसिंग की कुर्सी समय से पहले चली गई. कुलमान के मुद्दे पर नेपाल में जमकर प्रोटेस्ट हुआ. लोगों ने ओली सरकार पर एक ईमानदार अफसर को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया. इस मुद्दे पर केपी ओली सदन से लेकर सड़क तक अलग-थलग पड़ गए. नेपाल के अधिकांश विरोधी पार्टियों ने घिसिंग का समर्थन किया. उस वक्त की सत्तारूढ़ कांग्रेस ने भी घिसिंग के समर्थन में बयान दिए.
2. घिसिंग की पहचान काम करने वाले अफसरों के रूप में होती है. घिसिंग जब नेपाल उर्जा विभाग में आए, तब नेपाल के शहरी इलाकों में सिर्फ 18 घंटे बिजली मिलती थी. घिसिंग ने इसे 24 घंटे कराया. घिसिंग का कहना था कि बिजली निर्बाध रूप से मिलनी चाहिए. आप पैसा लीजिए और काम करिए.
3. सुशीला कार्की के नाम को सिर्फ Gen-G के कुछ लोग सहमत हैं. दलों की तरफ से कार्की का दबी जुबान विरोध किया गया है. कार्की के नाम आने के बाद पूर्व पीएम प्रचंड, केपी शर्मा ओली और कांग्रेस के महासचिव गगन थापा ने बयान जारी किया है. इन लोगों का कहना है कि संविधान से इतर कोई काम न हो. कहा जा रहा है कि सभी को साधने के लिए कुलमान के नाम को आगे किया गया है.