कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने आज गुरुवार को भारतीय नागरिक बनने से 3 साल पहले ही सोनिया का नाम वोटर लिस्ट में शामिल करने का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने यह याचिका खारिज की.
शिकायतकर्ता विकास त्रिपाठी की ओर से सीनियर एडवोकेट पवन नारंग ने 10 सितंबर को कहा कि जनवरी 1980 में सोनिया गांधी का नाम नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र के वोटर के रूप में जोड़ा गया था, जबकि तब वह भारत की नागरिक नहीं बनी थीं.
1982 में सोनिया का नाम वोटर लिस्ट से क्यों हटा
याचिका में यह भी कहा गया, “पहले आपको नागरिकता की प्रक्रिया पूरी करनी होती है, तभी आप किसी क्षेत्र के निवासी बन पाते हैं.” उनका कहना था कि 1980 में निवास का प्रमाण संभवतः राशन कार्ड और पासपोर्ट हुआ करता था.
उन्होंने कहा, “अगर सोनिया गांधी भारत की नागरिक थीं, तो 1982 में उनका नाम क्यों हटाया गया? उस समय चुनाव आयोग ने 2 नाम हटाए थे, एक संजय गांधी का, जिनकी एक विमान हादसे में मौत हो गई थी, जबकि दूसरा नाम सोनिया गांधी का था.” गड़बड़ी की आशंका जताते हुए सीनियर एडवोकेट ने कहा कि तब चुनाव आयोग को इस मामले में जरूर कुछ गड़बड़ लगा होगा तभी उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया.
याचिका में पुलिस को जांच का निर्देश देने की मांग
कोर्ट के समक्ष पवन नारंग ने चार सितंबर को सुनवाई के दौरान कहा कि सोनिया गांधी का नाम 1980 में नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र की वोटर लिस्ट में शामिल था, लेकिन साल 1982 में यह हटा दिया गया था और फिर 1983 में भारतीय नागरिकता हासिल करने के बाद फिर से वोटर लिस्ट में दर्ज कर लिया गया. यह याचिका भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 175 (4) (मजिस्ट्रेट को जांच का आदेश देने की शक्ति) के तहत दाखिल की गई थी, जिसमें पुलिस को इस आरोप की जांच करने के निर्देश देने की मांग की गई थी कि सोनिया साल 1983 में भारत की नागरिक बनीं, लेकिन 1980 की वोटर लिस्ट में उनका नाम शामिल था.
इस मामले में उन्होंने कुछ जालसाजी होने और सार्वजनिक प्राधिकरण के साथ धोखाधड़ी किए जाने का दावा किया. नारंग ने कोर्ट के समक्ष कहा, “मेरा सिर्फ यही अनुरोध है कि पुलिस को उचित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया जाए.” याचिका में दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई कि पुलिस केस दर्ज कर मामले की जांच करे और जांच पर अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे.