मुख्यमंत्री डॉ. यादव का बड़ा बयान; गौ-शालाओं को स्वावलंबी बनाना समय की मांग

मुख्यमंत्री डॉ. यादव का बड़ा बयान; गौ-शालाओं को स्वावलंबी बनाना समय की मांग

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि आत्मनिर्भर गौशाला, प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। गौ-शालाएं गोबर, गौमूत्र आदि अपशिष्ट से धन अर्जित कर संपन्न बन सकती हैं। स्वावलंबी गौशालाएं विकसित करने के लिए दुग्ध उत्पादों सहित गौमूत्र-गोबर आदि से निर्मित सामग्री के विक्रय की व्यवस्था विकसित की जाए।

मुख्यमंत्री ने गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने पर जोर दिया

  • मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आत्मनिर्भर गौशालाएं प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।
  • गौशालाएं गोबर, गौमूत्र आदि अपशिष्ट से धन अर्जित कर संपन्न बनाई जा सकती हैं।
  • स्वावलंबी गौशालाओं के लिए दुग्ध उत्पादों और गौमूत्र-गोबर से बने उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था विकसित करने की आवश्यकता है।
  • गौशालाओं में उपलब्ध स्थान का उपयोग सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकता है।
  • प्रदेश के विभिन्न अंचलों में स्थानीय परिवेश के अनुरूप देसी नस्ल के गौपालन को प्रोत्साहित किया जाए।
  • गौशालाओं के प्रबंधन में धार्मिक संस्थाओं और दानदाताओं को जोड़ा जाए।
  • प्रदेश में पशु चिकित्सकों की संख्या कम होने के कारण गौवंश के बेहतर प्रबंधन और दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • मुख्यमंत्री ने यह निर्देश मध्यप्रदेश गौसंवर्धन बोर्ड की मंत्रालय में सोमवार को हुई बैठक में दिए। बैठक में पशुपालन एवं डेयरी विकास राज्यमंत्री लखन पटेल, मुख्य सचिव अनुराग जैन सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्य दिशा-निर्देश

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुसार देसी नस्ल (गिर, साहीवाल, मालवी, नागौरी) के पशुधन को प्रोत्साहित किया जाए।
  • जनजातीय अंचलों में गौपालन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए नवाचार किए जाएं।
  • पशुपालन, कृषि, उद्यानिकी और नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में समन्वित कार्य करने से किसानों की आय और दुग्ध उत्पादन में वृद्धि संभव होगी।

गौसंवर्धन बोर्ड की उपलब्धियां

  • गौशाला समितियों के बैंक खातों में राज्य स्तर से सीधे राशि अंतरित की जा रही है।
  • 937 नवीन गौशालाओं की स्थापना के उपरांत पंजीयन किया गया, जिसमें 1,10,000 गौवंश को आश्रय प्राप्त है।
  • वर्ष 2024-25 में विदिशा, देवास, आगर-मालवा, ग्वालियर, दमोह, सतना, रीवा में बायोगैस सह जैविक खाद निर्माण संयंत्र स्थापित किए गए।
  • नगर निगम ग्वालियर, इंदौर और उज्जैन ने वृहद गौशालाओं का संचालन आरंभ किया।
  • भोपाल और जबलपुर में गौशालाओं की स्थापना का कार्य जारी है।
  • बैठक में स्वावलंबी गौशालाओं की स्थापना की नीति की प्रगति की समीक्षा भी की गई।