India May Unlock Business Visas For Chinese
भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अब चीन की बड़ी कंपनियों के अफसरों को भारत आने की इजाज़त देने का मन बना लिया है. इससे वीवो, ओप्पो, शाओमी, बीवाईडी और हायर जैसी कंपनियों के चीनी बॉस और सीनियर अफसरों के लिए भारत आना आसान हो जाएगा. पिछले करीब पांच साल से भारत ने चीन से आने वाले बिज़नेस अफसरों पर रोक लगा रखी थी. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अब सरकार ने इशारा किया है कि जिन लोगों का काम तकनीकी न होकर मैनेजमेंट, सेल्स, मार्केटिंग, फाइनेंस या HR से जुड़ा है, उन्हें वीज़ा मिलने में आसानी होगी.
सीमा विवाद के बाद लगा था वीज़ा पर ब्रेक
दरअसल, साल 2020 में भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव काफी बढ़ गया था. उसी के बाद भारत सरकार ने चीन के अफसरों और बिज़नेस प्रतिनिधियों के भारत आने पर सख्त पाबंदी लगा दी थी. तब से सिर्फ उन्हीं लोगों को भारत आने की इजाज़त मिल रही थी जो तकनीकी काम से जुड़े हों — जैसे इंजीनियर या फैक्ट्री सेटअप वाले एक्सपर्ट. वो भी तभी, जब वो सरकार की PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम वाली कंपनियों के साथ काम करते हों.
सिर्फ वीज़ा ही नहीं, चीन से आने वाले निवेश पर भी लगाम कस दी गई थी. नए नियम बनाए गए, जिनके तहत किसी भी चीनी कंपनी को भारत में निवेश करने से पहले कई मंत्रालयों से मंजूरी लेनी जरूरी कर दी गई. लेकिन अब माहौल बदल रहा है. दोनों देशों के बीच बातचीत फिर से शुरू हो चुकी है. सीधी उड़ानों की बहाली, टूरिस्ट वीज़ा की अनुमति और सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिशों से रिश्तों में धीरे-धीरे नरमी आ रही है.
अब चीन के CEO फिर से देख सकेंगे भारत का बाज़ार
शाओमी इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, हमारी लीडरशिप टीम एक बार फिर भारत आना चाहती है. अगर ये नया नियम लागू होता है, तो हम यहां के बाज़ार को और गहराई से समझ पाएंगे. पिछले कुछ सालों से वीवो इंडिया के जेरोम चेन, ओप्पो इंडिया के फिगो झांग और रियलमी इंडिया के माइकल गुओ जैसे सीनियर अफसर भारत नहीं आ पाए हैं. ये सभी लोग अपनी कंपनियां चीन से ही संभाल रहे थे. Carrier Midea, जो भारत में एयर कंडीशनर बेचती है, वो भी पिछले तीन सालों से अपने एक अफसर के लिए वीज़ा की मंजूरी का इंतज़ार कर रही है. अब तक उसे हरी झंडी नहीं मिली है. ऐसा ही मामला BYD India का है. कंपनी अपने दो डायरेक्टर्स के लिए वीज़ा नहीं मिलने की वजह से भारत के कंपनी कानून का पालन नहीं कर पा रही है, जिसमें जरूरी है कि कम से कम एक डायरेक्टर साल में 182 दिन भारत में मौजूद रहे.
वीज़ा न मिलने से कंपनियों ने बनाए थे भारतीय अफसर
जब चीनी अफसरों को भारत आने की इजाज़त नहीं मिली, तो कई कंपनियों ने अपने बोर्ड में भारतीय सीनियर प्रोफेशनल्स को शामिल करना शुरू कर दिया. उधर, भारत की मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां जैसे डिक्सन टेक्नोलॉजी, एम्बर एंटरप्राइज़ेस और ईपैक ड्यूरेबल्स को बार-बार चीन जाकर मीटिंग्स करनी पड़ीं, क्योंकि उनके चीनी पार्टनर भारत नहीं आ सकते थे. एक बड़ी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के हेड ने कहा, जब चीनी अफसर खुद भारत आकर हमारी फैक्टरी और प्लांट देखते हैं, तो उन्हें हमारी क्षमता और इरादे पर यकीन होता है. इससे बातचीत जल्दी आगे बढ़ती है और फैसले भी तेज़ होते हैं.
भारत को चाहिए चीनी पार्टनर, चीन को चाहिए भारतीय बाज़ार
भारत में मोबाइल, टीवी, गाड़ियाँ और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने में जो पार्ट्स लगते हैं, उनका 50 से 65 फीसदी हिस्सा आज भी चीन से आता है. यानी इस सेक्टर में भारत की चीन पर काफी निर्भरता है. इस हफ्ते चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत आए. उनकी भारतीय अफसरों से हुई बातचीत में दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि अब मिलकर कारोबार को आगे बढ़ाया जाएगा. सरकार की तरफ से चीन की कंपनियों को ये कहा गया है कि वे भारत की कंपनियों के साथ मिलकर उन सेक्टर्स में काम करें, जो सुरक्षा के लिहाज़ से संवेदनशील न हों. यानी ऐसे क्षेत्र जहां देश की सुरक्षा पर असर न पड़े.
बताते चलें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसी महीने के आख़िर में चीन के तिआनजिन शहर जाने वाले हैं. वहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेंगे और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे. ये मोदी की पिछले 7 सालों में चीन की पहली यात्रा होगी. इस दौरे से दोनों देशों के बीच रिश्ते और व्यापार में नई शुरुआत की उम्मीद जताई जा रही है.

