जबलपुर के इस गांव की धरती में मिले सोने के अंश
मध्य प्रदेश के जबलपुर में बेला और बिनैका गांव हैं. ये गांव इन दिनों सुर्खियों में हैं. हाल ही में यहां की जमीन में सोने के कण और धातु के कथित अंश मिलने की जानकारी सामने आई है. इस खबर के बाद से न सिर्फ स्थानीय प्रशासन और भू-वैज्ञानिकों की नजर इस क्षेत्र पर टिक गई है. जहां एक ओर यह खोज इन गांवों के लिए संभावित विकास और खनन के अवसर लेकर आ सकती है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों के मन में गहरी आशंकाएं भी पैदा हो गई हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकार या खनन कंपनियां इस क्षेत्र को अपने कब्जे में लेती हैं, तो उनकी पुश्तैनी जमीन और खेती छिन सकती है. यही वजह है कि वे उत्साह से ज्यादा चिंता में डूबे हुए हैं.
गांव वालों को सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि यदि यहां वाकई खदान विकसित होती है तो उनके खेत और जमीन अधिग्रहित कर ली जाएंगी. इस क्षेत्र के अधिकांश परिवार खेती पर निर्भर हैं. पीढ़ियों से यही उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत रही है. ऐसे में जमीन छिनने का डर उनकी नींद उड़ा रहा है.
बिनैका गांव के ग्रामीण बोले…
बिनैका गांव के निवासी विनोद कुमार दाहिया कहते हैं, हमारे लिए खेती ही सब कुछ है. अगर सरकार हमारी जमीन लेती है तो हमें पहले यह भरोसा चाहिए कि उसके बदले हमें कुछ ठोस मिलेगा—चाहे रोजगार हो या फिर दूसरी जमीन का विकल्प.
‘हमें अपने भविष्य की सुरक्षा चाहिए’
वहीं बेला गांव के ग्रामीण रवि सिंह ठाकुर का कहना है, यहां अगर खुदाई होती है तो हमारी रोज़ी-रोटी छिन जाएगी. हमें सिर्फ सोने की चमक नहीं चाहिए, हमें अपने भविष्य की सुरक्षा चाहिए.
ग्रामीणों का कहना है कि सिर्फ बेला और बिनैका ही नहीं, बल्कि सिहोरा तहसील के केवलारी, महगवां और आसपास के अन्य गांव भी इस संभावित खनन से प्रभावित हो सकते हैं. शुरुआती आकलन के मुताबिक करीब 100 हेक्टेयर (लगभग 250 एकड़) क्षेत्र में सोने के कण और धातु मिलने की बात कही जा रही है. ग्रामीणों का दावा है कि अगर बड़े पैमाने पर खनन शुरू होता है, तो सरकार या कोई निजी कंपनी उनकी जमीन अधिग्रहित कर सकती है.
ग्रामीण ओंकार पटेल कहते हैं, हम खनन के विरोधी नहीं हैं, लेकिन हमारी जिंदगी की कीमत पर नहीं. हमें पहले रोजगार और पुनर्वास की गारंटी चाहिए. जमीन के बदले जमीन दो या फिर पक्की नौकरी दो, तभी हम सहयोग करने के बारे में सोच सकते हैं. फिलहाल तो जमीन छिनने की चिंता सता रही है.
GSI के डायरेक्टर क्या बोले?
इसी बीच जबलपुर पहुंचे जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) के डायरेक्टर जनरल असित साहा ने स्थिति को स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि अभी केवल परीक्षण चल रहे हैं और सोने का अकूत भंडार मिलने की बात करना जल्दबाजी होगी. उनके अनुसार, इलाके में सोने से जुड़े जो संकेत मिले हैं, वे शुरुआती स्तर के हैं. अभी यह तय नहीं है कि जमीन के नीचे वास्तव में कितना सोना मौजूद है. उन्होंने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश में GSI के 40 प्रोजेक्ट खनिज अन्वेषण के लिए चल रहे हैं और सिहोरा का यह सर्वे उनमें से एक हिस्सा है.
ग्रामीणों की चिंताएं जहां वाजिब हैं, वहीं सरकारी स्तर पर भी इस स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पारदर्शिता और संवाद की आवश्यकता महसूस की जा रही है. ग्रामीणों की मांग है कि अगर खनन की प्रक्रिया आगे बढ़ती है तो उन्हें पहले से ही स्पष्ट बताया जाए कि उनके साथ क्या होगा, उन्हें क्या मिलेगा और उनकी रोजी-रोटी का क्या विकल्प रखा जाएगा.
अगर बेला और बिनैका जैसे गांवों में खनन और विकास की दिशा में कदम बढ़ाए जाते हैं, तो यह बेहद जरूरी है कि स्थानीय लोगों को विश्वास में लिया जाए. तभी यहां के ग्रामीण अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त महसूस करेंगे और सोने के ढेर पर बैठकर भी अपनी जमीन खोने के डर में नहीं जिएंगे.