भोपाल में पुरुष अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों ने तीन दिवसीय अधिवेशन आयोजित किया। इस अधिवेशन में पुरुष आयोग के गठन की मांग की गई और कहा गया कि महिलाओं के पक्ष में कानून होने से लोगों का भरोसा टूट रहा है और परिवार बिखर रहे हैं। पुरुषों की सुनवाई के लिए समान कानून की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
समाज और कानून को यह समझना होगा कि पीड़ित केवल महिलाएं नहीं होतीं। कई बार पुरुष भी महिलाओं के हाथों प्रताड़ित होते हैं पर कानून उनकी मदद नहीं कर पाता। यदि लैंगिक रूप से समान कानून होगा तो दोनों पक्षों को समान रूप से न्याय मिल सकेगा।
अतुल सुभाष के भाई विकास यादव भी शामिल हुए
भोपाल के भौंरी गांव के एक रिसार्ट में आयोजित इस अधिवेशन में पत्नी की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या करने वाले बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष के भाई विकास मोदी भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि कानून महिला-पुरुष सभी के लिए समान होने चाहिए। पुरुषों की सुनवाई के लिए भी अलग आयोग बनना चाहिए। न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार के कारण ही समय पर न्याय नहीं मिल पाता।
उनके भाई का सुसाइड नोट के साथ वीडियो भी आया। देश भर में गुस्सा था, लेकिन जिम्मेदारों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं हुई। जबकि भाई की मौत के साथ उनका परिवार उजड़ गया। भोपाल अगेंस्ट इन जस्टिस (भाई) संस्था के अध्यक्ष जकी अहमद ने बताया कि तीन दिवसीय सम्मेलन में देशभर से आए 27 संगठनों के पदाधिकारी, विधि विशेषज्ञ एवं मनोवैज्ञानिक भाग ले रहे हैं।
अधिवेशन में ये उठीं मांगें
- पुरुष आयोग का गठन किया जाए।
- लिंग भेदी कानून समाप्त किए जाएं।
- पति, पत्नी के विवाद के चलते बच्चों की साझा परवरिश की व्यवस्था में मदद की जाए।
- कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न कानून के दुरुपयोग पर रोक लगे।
- दोष सिद्ध होने तक दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई न की जाए।
महिलाओं के लिए बने कानून का दुरुपयोग
महिला हित में बने कुछ कानून का दुरुपयोग हो रहा है, उसे कैसे रोका जाए, इस पर सम्मेलन में चर्चा की गई। ऐसे कानून बनने चाहिए जिनका कोई भी दुरुपयोग न कर सके। – डॉ. सुमंत जैन, सचिव वेलफेयर सोसायटी
कानून की समीक्षा करना जरूरी
महिला हित में बने कई कानून बरसों पुराने हैं। अब यह प्रासंगिक नहीं हैं। अब इनका दुरुपयोग हो रहा है, इस कारण कई मामलों में बेगुनाह पुरुषों को दोषी ठहरा दिया जाता है। कानून की समीक्षा करना जरूरी है। – सतीश कुमार चंद्राकर, मेंस राइट्स एसो. भिलाई छग