स्वाति मालीवाल
दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को आप सांसद स्वाति मालीवाल को 14 वर्षीय बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर करने के आरोप से बरी कर दिया. मालीवाल पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और धारा 228ए के तहत मामला दर्ज किया गया था, जो यौन अपराधों के पीड़ितों की पहचान उजागर करने पर रोक लगाती है.
इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल ने की. इस मामले को लेकर पूर्ण रूप से लिखित आदेश का इंतजार है. मालीवाल पर आरोप था कि पीड़िता के केस के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए इलाके के पुलिस आयुक्त को एक नोटिस भेजा था, जिसमें पीड़िता का नाम उजागर था.
2016 में दर्ज हुआ था मामला
दिल्ली पुलिस ने मालीवाल के खिलाफ 2016 में मामला दर्ज किया था, जब वह दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष थीं. पुलिस का कहना था कि मालीवाल ने पीड़िता का नाम उजागर किया, जो जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के प्रावधानों का घोर उल्लंघन हुआ है. यह प्रावधान यौन अपराध की नाबालिग पीड़िता की पहचान की रक्षा करता है.
नाबालिग लड़की ने 23 जुलाई 2016 को एक अस्पताल में अपना दम तोड़ दिया था. बताया गया कि उसके पड़ोसी ने उसके गले में एक संक्षारक पदार्थ (corrosive substance) डाल दिया था. इस केमिकल से अंदर के अंगों को नुकसान पहुंचा था.
क्या था आरोप?
पुलिस ने बताया कि मालीवाल ने इलाके के पुलिस उपायुक्त को एक नोटिस भेजा था, जिसमें उन्होंने मामले की जांच के बारे में जानकारी मांगी थी. बताया जा रहा था कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दिए गए इस नोटिस में कथित तौर पर पीड़िता का नाम भी शामिल था. इसी वजह से मालीवाल के खिलाफ दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि नोटिस को जानबूझकर अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुपों पर प्रसारित किया गया और टीवी चैनलों पर दिखाया गया.