सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने PMLA (Prevention of Money-Laundering Act) एक्ट के विभिन्न प्रावधानों को बरकरार रखने के मामले पर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ईडी धोखेबाज की तरह काम नहीं कर सकता. उसे कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ईडी को सख्त लहजे में याद दिलाया कि केंद्रीय एजेंसी को कानून के दायरे में रहकर काम करना चाहिए. साथ ही कोर्ट ने ईडी से कहा, आप बदमाश की तरह काम नहीं कर सकते.
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुयान और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने शीर्ष अदालत के जुलाई 2022 के उस फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ईडी की गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती की शक्तियों को बरकरार रखा गया था.
“ED की छवि के बारे में भी चिंतित”
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस उज्ज्वल भुयान ने कम दोषसिद्धि दरों की ओर इशारा किया. पूछा-5-6 साल की न्यायिक हिरासत के बाद अगर लोग बरी हो जाते हैं. तो इसकी कीमत कौन चुकाएगा? मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में दोषसिद्धि दर 10% से कम होने का जिक्र करते हुए जस्टिस उज्ज्वल भुयान ने कहा अदालत न केवल लोगों की स्वतंत्रता के बारे में बल्कि ईडी की छवि के बारे में भी चिंतित है.
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुयान और जस्टिस एनके सिंह की बेंच विजय मदनलाल चौधरी मामले में 2022 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
“कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा”
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की इस दलील के संदर्भ में कि अभियुक्तों को ईसीआईआर की प्रति उपलब्ध कराना कोई बाध्यता नहीं है. जस्टिस भुयान ने कहा कि आप एक बदमाश की तरह काम नहीं कर सकते, आपको कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा. मैंने एक अदालती कार्यवाही में देखा कि आपने लगभग 5000 ईसीआईआर दर्ज की हैं.
दोषसिद्धि की दर 10% से भी कम है. इसलिए हम जोर देते हैं – अपनी जांच और गवाहों में सुधार करें. हम लोगों की आजादी की बात कर रहे हैं. हमें ईडी की छवि की भी चिंता है. 5-6 साल की न्यायिक हिरासत के बाद अगर लोग बरी हो जाते हैं, तो इसका खर्च कौन उठाएगा.
2022 में PMLA एक्ट के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी. लेकिन, SC याचिकाओं को खारिज करते हुए PMLA एक्ट के प्रावधानों को बरकरार रखा था. कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम व अन्य ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी.