चीन ने अब अफ्रीकी देश अंगलोला पर अपनी नजरें गड़ा दी है. चीन का मकसद साफ है, खर्च करो, जमीन हासिल करो और अनाज उगाकर अमेरिका और ब्राजील पर अपनी खाने-पीने की जरूरतों के लिए जो निर्भरता है, उसे धीरे-धीरे खत्म कर दो.
हाल ही में चीन की दो सरकारी कंपनियों ने अंगोला में करीब 2900 करोड़ रुपये (350 मिलियन डॉलर) का निवेश करने का करार किया है. इसके तहत वो वहां की हजारों हेक्टेयर जमीन पर सोयाबीन, मक्का और अनाज की खेती करेंगे. हाल के वर्षों में वह तंजानिया, इथियोपिया और बेनिन जैसे देशों में भी सोयाबीन परियोजनाओं में निवेश कर चुका है.
कौन-कौन कर रहा निवेश?
साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक SinoHydro Group को 25 साल के लिए टैक्स फ्री जमीन मिली है, जहां वो 30 हजार हेक्टेयर में अनाज उगाएगी. इसका 60% हिस्सा सीधे चीन जाएगा. Citic Group अगले 5 साल में 250 मिलियन डॉलर लगाएगी और 1 लाख हेक्टेयर जमीन पर सोयाबीन और मक्का की खेती करेगी. पहले से ही 8,000 हेक्टेयर जमीन पर काम शुरू हो चुका है.
अफ्रीकी देशों को चीन ने दिया लालच
अमेरिका की तरफ से लगाए गए भारी-भरकम टैक्सों के बीच चीन ने अफ्रीकी देशों को बड़ी राहत देने की पेशकश की है. जून में बीजिंग ने ऐलान किया कि वो अपने लगभग सभी अफ्रीकी साझेदारों से आयात पर लगने वाले शुल्क खत्म कर देगा. CNN की एक खबर के मुताबिक अफ्रीकी देशों के पास अब साउथ-साउथ ट्रेड (विकासशील देशों के बीच व्यापार) को मज़बूत करने का इससे बेहतर मौका नहीं है.
खर्च कर के बना रहा है पकड़
विशेषज्ञों का मानना है कि ये सिर्फ खेती नहीं, चीन की एक सोची-समझी रणनीति है. जानकार मानते हैं कि चीन लंबे समय के लिए टैक्स फ्री जमीन ले रहा है, ताकि अमेरिका और ब्राजील से आयात कम हो और अफ्रीका में उसकी पकड़ मजबूत हो जाए.चीन और अंगोला का रिश्ता पहले तेल के बदले इंफ्रास्ट्रक्चर मॉडल पर था.
अब अंगोला भी अपनी अर्थव्यवस्था को तेल पर निर्भर रहने से बचाना चाहता है और खेती को बढ़ावा दे रहा है. जैसा कि हमने पहले बताया चीन पहले से ही तंजानिया, इथियोपिया और बेनिन जैसे देशों में कृषि प्रोजेक्ट चला रहा है. लेकिन 2024 में उसका ज्यादातर सोयाबीन अमेरिका और ब्राज़ील से आया. अब बीजिंग चाहता है कि अफ्रीका उसका अगला अनाज गोदाम बने.