पैसा छापने की मशीन बनेगी SIP! लंबे समय तक उसमें बने रहना होगा फायदेमंद

पैसा छापने की मशीन बनेगी SIP! लंबे समय तक उसमें बने रहना होगा फायदेमंद
पैसा छापने की मशीन बनेगी SIP!

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो SIP (Systematic Investment Plan) के बारे में तो सुना ही होगा. बाजार में निवेश करने वालों के बीच ये आम सोच है कि सही समय पर निवेश करने से ही अच्छा रिटर्न मिलता है. लेकिन Motilal Oswal Mutual Fund की एक स्टडी में इस बात का खुलासा किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, SIP (Systematic Investment Plan) में निवेश शुरू करने का समय चाहे मार्केट में ऊपरी स्तर पर हो या निचले स्तर पर लंबे टाइम में दोनों ही निवेशकों को लगभग समान रिटर्न मिलता है.

साल 2000-2005: डॉट कॉम क्रैश और रिकवरी का दौर

Nifty 500 इंडेक्स का PE रेशियो 24 फरवरी 2000 को 37.26 (सबसे ऊपर) और 21 सितंबर 2001 को 11.58 (सबसे नीचे) था. इसका नतीजा ये है कि फरवरी 2000 को SIP शुरू करने वाले निवेशक को 15.47% का CAGR मिला. सितंबर 2001 को SIP शुरू करने वाले को 15.55% का CAGR मिला. यानी दोनों निवेशकों को लगभग एक जैसा रिटर्न मिला, जबकि बाजार की स्थिति पूरी तरह अलग थी.

साल 2006-2010: वैश्विक मंदी का दौर और रिकवरी

इस अवधि में शेयर बाजार ने एक तेज़ रफ्तार बुल रन देखा, फिर 2008 की वैश्विक मंदी आई और बाद में धीरे-धीरे रिकवरी हुई. जिसका नतीजा ये हुआ कि जनवरी 2008 को SIP शुरू करने वाले (जब PE 27.07 था) को 13.97% का रिटर्न मिला. अक्टूबर 2008 को SIP शुरू करने वाले (जब PE 9.29 था) को 14.36% का रिटर्न मिला. फिर से दोनों को लगभग समान रिटर्न मिला.

साल 2011-2015: Fragile Five और मोदी सरकार की उम्मीदें

2013 में भारत ‘Fragile Five’ देशों में गिना गया, जिससे बाजार में भारी गिरावट आई. लेकिन 2014 में चुनावी माहौल ने बाजार को फिर से रफ्तार दी. इसका नतीजा है कि अगस्त 2013 को SIP शुरू करने वाले को 14.89% रिटर्न मिला. अगस्त 2015 को SIP शुरू करने वाले को 15.26% का रिटर्न मिला. ये फिर साबित करता है कि समय की बजाय नियमित निवेश ज्यादा मायने रखता है.