मध्य प्रदेश को भारत का हृदय प्रदेश भी कहा जाता है, जो अपनी संस्कृति, कलात्मकता, विरासत और रोचक किस्सों के लिए भी जाना जाता है. प्रदेश में जहां बाबा महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर जैसे दो ज्योतिर्लिंग विराजमान है, तो वहीं पुण्य सलिला मां नर्मदा और सूर्य पुत्री ताप्ती नदी का भी प्रभाव है. यही कारण है कि प्रदेश अपना एक स्वर्णिम इतिहास लेकर चलता है. यह इतिहास आदि-अनादि काल से चला आ रहा है.
नाग पंचमी के मौके पर देशभर में श्रद्धालु नाग देवता की पूजा-अर्चना कर रहे हैं, लेकिन आज हम आपको मध्य प्रदेश के खंडवा स्थित एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे नागों का गांव कहा जाता है. यहां सांप ग्रामीणों के साथ परिवार के सदस्यों की तरह रहते हैं. इन नागों का निवास यहां आदिकाल से बताया जाता है और यही कारण है, जो इस गांव का नाम नागचून पड़ गया है.
नागों का गांव
खंडवा से महज कुछ किलोमीटर दूर पर स्थित नागचून गांव में कई प्रजातियों के जहरीले सांप रहते हैं, लेकिन कभी किसी सांप ने गांव के लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया और ना ही गांव के लोग सांप को कोई नुकसान पहुंचाते हैं. बल्कि वह सांप को भिलट देव कहकर पूजते हैं और अपने परिवार की सदस्य की तरह उनके साथ रहते हैं. नागचून गांव में एक बहुत बड़ा तालाब भी है. इसके आसपास बड़ी संख्या में सांपों की बम्बिया बनी हुई है.
गांव में जहरीले सांपों का बसेरा
इन बांबियों में कई प्रजातियों के सांप रहते हैं, जिसमें कोबरा, रसेल वाइपर, साइमन करेत, पदमा नागिन, धामन और घोड़ा पछाड़ जैसे कई प्रजातियों के सांप रहते हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार, यह क्षेत्र पर्याप्त पानी, खेतिहर जमीन की उपलब्धता, तालाब के किनारे और कमल की दलदलीय बाड़ी होने के चलते सांपों के लिए आवास का एक बेहतर स्थान है. यहां उन्हें पर्याप्त मात्रा में भोजन मिलता है और वह गर्मी के मौसम में भी यहां सुरक्षित आवागमन करते हैं.
जानें क्यों होती सांप की पूजा
स्थानीय किसानों का मानना है कि सांपों के होने से उनके खेत में चूहे, कीट पतंग तथा ऐसे जीव जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं उनसे सुरक्षित रहते हैं. यही कारण है कि गांव के लोग सांपों की पूजा करते हैं. परिवार की तरह उन्हें अपने साथ ही रहने देते हैं. बताया जाता है कि सांप यहां लोगों के किचन, बेडरूम और आंगन में बड़े आराम से घूमते हैं. इन्हीं के साथ लोगों के बच्चे भी रहते हैं, लेकिन कभी किसी सांप ने आज तक किसी बच्चे तक को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया.