बॉलीवुड के दो दिग्गज स्टार शत्रुघ्न सिन्हा और परेश रावल जब एक साथ एक जगह इंटरव्यू के लिए आए तो वो यादगार बन गया. इस दौरान उन्होंने खूब मस्ती-मजाक की और कई ऐसे किस्से सुनाए जो मजेदार थे. इसी बीच जब शत्रुघ्न सिन्हा से दहेज के बारे में बात की गई तो उन्होंने अपनी शादी से जुड़ा एक पुराना किस्सा सुना दिया. जिसमें उन्होंने बताया कि दहेज के काबिल तो उन्हें किसी ने समझा ही नहीं था. ऐसा क्यों हुआ था और उनकी सास शादी से पहले क्यों भड़क गई थीं, आइए बताते हैं.
कर्ली टेल्स यूट्यूब चैनल पर शत्रुघ्न सिन्हा और परेश रावल का लेटेस्ट इंटरव्यू अपलोड किया गया. इंटरव्यू में शत्रुघ्न सिन्हा ने कार में बैठी एक लड़की की बात की. एक्टर ने कहा था कि कार में बैठी लड़की एक बार मिल जाए तो कार भी अपनी हो जाएगी. इसपर उनसे पूछा गया कि अगर दहेज में आपको वो कार ना मिलती तब आप क्या करते. इसके जवाब में एक्टर ने अपनी शादी से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी शेयर की.
‘जब मेरी शादी हुई थी तो…’
शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, ‘दहेज के लायक तो मुझे कभी समझा ही नहीं गया था. जब मेरी शादी हुई थी तो वो भी बड़ी मुश्किल से हो पाई थी. पत्नी के घरवालों ने जब हां की तो वो कितने सालों के इंतजार के बाद पूरा हुआ था. मेरे बड़े भाई जो साइंटिस्ट हैं डॉ राम सिन्हा वो मेरा रिश्ता लेकर उनके (पूनम) घर गए. तो मेरी सास ने सीधा इंनकार कर दिया था. बोलीं- तुमने शक्ल देखी है अपने भाई की, कालिया लगता है, उसकी शक्ल देखो कैसा कटा-फटा शक्ल है, गली का गुंडा दिखता है. मेरी बेटी को देखो कितना दूध की धुला दिखती है, एकदम गोरी है, मिस इंडिया है मेरी बेटी. दोनों को खड़ा करके कलर फोटो खींची जाएगी ना तो ब्लैक एंड व्हाइट फोटो निकलेगी.’
‘उन्होंने बोला था कि ये जोड़ी बनती ही नहीं है और उस समय शादी कट गई थी. अच्छी किस्मत रही कि बाद में मान गईं वो और शादी हुई. लेकिन प्वाइंट वो था कि दहेज के काबिल नहीं समझा तो बता दूं कि शादी में मुझको कुछ नहीं मिला था. खैर मुझे लेना भी नहीं था, लेकिन मिला भी नहीं. एक अंगूठी मिली थी जो दिखने में बहुत अच्छी थी, मुझे लगा वेडिंग गिफ्ट है, कुछ तो मिला. लेकिन मैंने उसे पहना तो छोटी लगी, मैंने अपनी सास को बताया कि ये मुझे फिट नहीं हो रही. वो अच्छी अंगूठी थी, उसमें सोना, डायमंड सब लगा था, लेकिन मैंने जब उनसे कहा तो वो उस रिश्तेदार को बुलाकर बोलीं कि ये अंगूठी लेकर जाओ और सही करवाकर लाओ. वो दिन था और आज का दिन है, वो अंगूठी कहां गई पता नहीं चला.’