Apple के नए COO के सामने हैं ये चुनौतियां, कैसे कराएंगे कंपनी का बेड़ापार?

Apple के नए COO के सामने हैं ये चुनौतियां, कैसे कराएंगे कंपनी का बेड़ापार?

Apple ने अपने नए चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) के तौर पर भारतीय मूल के साबीह खान को चुना है और अब उनके कंधों पर कंपनी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की जिम्मेदारी है. 58 साल के साबीह खान, जो उत्तर प्रदेश के मोरादाबाद में जन्मे थे, अब Apple की ग्लोबल सप्लाई चेन को संभालने के साथ-साथ कई चुनौतियों का सामना करेंगे. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की धमकियों से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की रेस में पिछड़ने तक, साबीह के सामने कई मुश्किलें हैं लेकिन Apple के CEO टिम कुक उन्हें एक “शानदार रणनीतिकार” मानते हैं और उनका मानना है कि साबीह इन चुनौतियों से पार पा लेंगे.

1995 में जॉइन किया था Apple

साबीह खान का जन्म 1966 में उत्तर प्रदेश के मोरादाबाद में हुआ था. पांचवीं कक्षा में उनके परिवार ने सिंगापुर का रुख किया, जहां उनकी शुरुआती पढ़ाई पूरी हुई. इसके बाद वो अमेरिका चले गए और वहां टफ्ट्स यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री हासिल की. साथ ही, रेनसेलर पॉलिटेक्निक इंस्टिट्यूट से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स भी किया. Apple में शामिल होने से पहले साबीह ने GE Plastics में बतौर एप्लिकेशन डेवलपमेंट इंजीनियर और की अकाउंट टेक्निकल लीडर काम किया.

1995 में साबीह ने Apple जॉइन किया, उस वक्त कंपनी पर्सनल कंप्यूटर्स के लिए जानी जाती थी, न कि आज के आइकॉनिक iPhone के लिए. पिछले तीन दशकों में साबीह ने Apple की ग्लोबल सप्लाई चेन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. अभी तक वो सीनियर वाइस प्रेसिडेंट ऑफ ऑपरेशंस के तौर पर कंपनी की सप्लाई चेन और प्रोडक्ट क्वालिटी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. अब वो मौजूदा COO जेफ विलियम्स की जगह लेंगे, जो इस महीने के अंत में रिटायर हो रहे हैं.

Apple Coo Sabih Khan

टैरिफ का तूफान कैसे झेलेंगे साबीह?

साबीह खान की नई जिम्मेदारी ऐसे वक्त में मिली है, जब Apple को कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने Apple को साफ शब्दों में कहा है कि अगर कंपनी ने अपने प्रोडक्ट्स का प्रोडक्शन अमेरिका में वापस नहीं लाया, तो भारी-भरकम टैरिफ का सामना करना पड़ेगा. ट्रंप ने खास तौर पर भारत और चीन में Apple के मैन्युफैक्चरिंग को निशाना बनाया है. वेडबश सिक्योरिटीज के मैनेजिंग डायरेक्टर डैनियल आइव्स का कहना है, “चीन और भारत के साथ ट्रंप का टैरिफ तूफान साबीह के लिए बड़ी चुनौती है.”

Apple ने हाल के वर्षों में अपनी सप्लाई चेन को चीन से बाहर ले जाने की कोशिश की है. कंपनी ने भारत और वियतनाम में अपनी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाया है. ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फॉक्सकॉन इस साल भारत में 25-30 मिलियन iPhone यूनिट्स असेंबल करने की योजना बना रहा है, जो पिछले साल की तुलना में दोगुना है. लेकिन ट्रंप का दबाव है कि प्रोडक्शन अमेरिका में हो, जिससे साबीह के सामने “चाइना+1” रणनीति को लागू करने की जटिल चुनौती है. टेकएजल के संस्थापक अनुराग अग्रवाल का कहना है, “Apple की सप्लाई चेन को मल्टीपोलर दुनिया के लिए फिर से लिखना साबीह की सबसे बड़ी चुनौती होगी. ये ऐसा है जैसे अंतरिक्ष यान के इंजन को उल्कापिंडों के बीच में डिजाइन करना.”

हाल ही में, खबर आई थी कि चीन ने फॉक्सकॉन की भारत की फैक्ट्री से 300 चीनी इंजीनियर्स को वापस बुला लिया है, जिससे भारत की Apple की ग्लोबल वैल्यू चेन में अहम भूमिका निभाने की महत्वाकांक्षा पर सवाल उठने लगे हैं. साबीह को इस जटिल स्थिति में भारत, चीन और अमेरिका के बीच संतुलन बनाना होगा, ताकि Apple की प्रोडक्ट्स की डिलीवरी समय पर हो और कीमतों में अचानक उछाल न आए.

Apple Iphone Production

Apple Iphone Production

AI की रेस में बहुत पीछे है Apple

सप्लाई चेन के अलावा, साबीह को AI के मोर्चे पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. Apple को AI रेस में अपने प्रतिद्वंदियों से पीछे माना जा रहा है. हाल ही में Apple के AI डिपार्टमेंट के प्रमुख रुओमिंग पांग को मेटा ने अपने साथ जोड़ लिया, जो Apple के लिए बड़ा झटका है. डैनियल आइव्स का कहना है कि Apple को AI में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भविष्य में अधिग्रहण की जरूरत पड़ सकती है. साबीह को इस क्षेत्र में Apple की रणनीति को तेज करना होगा, ताकि कंपनी अपनी प्रतिस्पर्धी स्थिति को बरकरार रख सके.

टिम कुक को है साबीह पर पूरा भरोसा

साबीह खान ने Apple की सस्टेनेबिलिटी पहल में भी अहम भूमिका निभाई है. उनके नेतृत्व में Apple ने अपने कार्बन फुटप्रिंट को 60 फीसदी से ज्यादा कम किया है. कंपनी का लक्ष्य 2030 तक पूरी सप्लाई चेन को कार्बन न्यूट्रल करना है, और साबीह को इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए नई तकनीकों और ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग साझेदारियों को बढ़ावा देना होगा. टिम कुक ने कहा, “साबीह ने एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग में नई तकनीकों को बढ़ावा दिया है और Apple को ग्लोबल चुनौतियों का सामना करने में चपलता प्रदान की है.”

साबीह खान उन भारतीय मूल के टॉप टेक्नोलॉजी एग्जीक्यूटिव्स की बढ़ती फेहरिस्त में शामिल हैं, जो अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियों के C-सूट में अपनी जगह बना रहे हैं. Apple के CFO केविन परेख भी भारतीय मूल के हैं, जिन्होंने इस साल जनवरी में यह जिम्मेदारी संभाली थी. इडियास्पोरा के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर संजीव जोशीपुरा ने कहा, “वैश्विक भू-राजनीतिक बदलाव, सप्लाई चेन में रुकावट और AI के बढ़ते प्रभाव के बीच, Apple जैसे ग्लोबल दिग्गज में COO की भूमिका हासिल करना एक शानदार उपलब्धि है.”

Apple Ceo Tim Cook

Apple Ceo Tim Cook

Apple का बेड़ापार के लिए क्या है जरूरी?

साबीह खान के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी Apple की ग्लोबल सप्लाई चेन को मजबूत रखना, ताकि iPhone, MacBook और Vision Pro जैसे उत्पाद समय पर ग्राहकों तक पहुंचे, उनकी क्वालिटी बरकरार रहे और कीमतों में कोई बड़ा उछाल न आए. टेकएजल के अग्रवाल ने इसे Apple का ” धड़कता दिल” बताया है. साबीह को अमेरिका, चीन और भारत जैसे देशों के बीच संतुलन बनाना होगा, ताकि ट्रंप के टैरिफ दबाव के बावजूद कंपनी की लागत और डिलीवरी प्रभावित न हो. इसके साथ ही, AI में कंपनी की प्रगति को तेज करना और सस्टेनेबिलिटी के लक्ष्य को हासिल करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल होगा. साबीह खान का अनुभव और टिम कुक का भरोसा बताता है कि वो इन चुनौतियों से पार पाने में सक्षम हैं. लेकिन क्या वो Apple को इस जटिल दौर में नई दिशा दे पाएंगे? ये आने वाला वक्त ही बताएगा.