संविधान की प्रस्तावना बच्चों के लिए माता-पिता की तरह, इसे बदला नहीं जा सकता: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

संविधान की प्रस्तावना बच्चों के लिए माता-पिता की तरह, इसे बदला नहीं जा सकता: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना बच्चों के लिए माता-पिता की तरह है और इसे बदला नहीं जा सकता, चाहे कोई कितनी भी कोशिश कर ले. उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना को लेकर कई मुद्दे रहे हैं. भारतीय संविधान की प्रस्तावना बच्चों के लिए माता-पिता की तरह है. आप चाहे जितनी कोशिश कर लें, आप अपने माता-पिता की भूमिका को नहीं बदल सकते. यह संभव नहीं है.

कोच्चि स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्टडीज (एनयूएएलएस) में छात्रों और संकाय सदस्यों के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से किसी भी देश के संविधान की प्रस्तावना में बदलाव नहीं हुआ है. मगर, भारत के संविधान की प्रस्तावना में आपातकाल के दौरान बदलाव किया गया. उन्होंने कहा, हमारे संविधान की प्रस्तावना उस समय बदली गई जब सैकड़ों और हजारों लोग जेल में थे, जो कि हमारे लोकतंत्र का सबसे अंधकारमय काल यानी आपातकाल था.

हाल ही में आरएसएस का आया था ये बयान

उनका यह बयान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा संविधान की प्रस्तावना में शामिल शब्दों समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष की समीक्षा की हाल ही में की गई मांग के संदर्भ में आया है. आरएसएस का कहना है कि ये शब्द डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान में नहीं थे. इन्हें आपातकाल के दौरान जोड़ा गया था.

आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा था, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द कभी नहीं थे. आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए.

लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात था आपातकाल

दत्तात्रेय होसबले ने कहा था, आपातकाल लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात था. उस दौरान संविधान की प्रस्तावना में जबरन ‘समाजवाद’ और ‘पंथनिरपेक्षता’ जैसे शब्द जोड़े गए. आज हमें विचार करना चाहिए कि क्या यह शब्द रहने चाहिए. जिन लोगों ने इमरजेंसी थोपकर संविधान और लोकतंत्र का दमन किया, उन्होंने आज तक माफी नहीं मांगी. उन्हें अपने पूर्वजों के नाम पर माफी मांगनी चाहिए.