एलआईसी पब्लिक शेयर होल्डिंग में इजाफा करने के लिए साल के अंत शेयर बाजार में एक बार फिर से आ सकती है.
केंद्र सरकार साल के अंत तक एलआईसी में 1-1.5 अरब डॉलर (8,800-13,200 करोड़ रुपए) की हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है. अगले कुछ हफ्तों में रोड शो होने की संभावना है. उन्होंने बताया कि यह कदम सेबी के निर्देशानुसार पब्लिक शेयर होल्डिंग को 10 फीसदी तक बढ़ाने के सरकार के प्रयास का हिस्सा है. सरकार ने मई 2022 में आईपीओ के जरिए एलआईसी में 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 20,557 करोड़ रुपए जुटाए थे, जो भारत में सबसे बड़ी शेयर बिक्री में से एक है.
मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग लिमिट को पूरा करने के लिए उसे 16 मई, 2027 तक 6.5 फीसदी और हिस्सेदारी बेचनी होगी, जिसका वर्तमान मूल्य 4.2 अरब डॉलर या 37,000 करोड़ रुपए से थोड़ा अधिक है. सरकार के पास वर्तमान में 96.5 फीसदी हिस्सेदारी है. सूत्रों ने बताया कि कंपनी डेड लाइन के भीतर 6.5 फीसदी हिस्सेदारी को पार्ट में बेचने का विचार कर रही है, लेकिन इसे धीरे-धीरे बेचा जाएगा.
निवेशकों की डिमांड पर होगा फैसला
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि शेयर की कीमत में गिरावट न आए और मौजूदा शेयरधारकों पर इसका असर न पड़े. इस मामले से अवगत एक मर्चेंट बैंकर ने कहा कि हिस्सेदारी बिक्री कई चरणों में की जाएगी और हमें उम्मीद है कि पहला फेज चालू तिमाही के अंत से पहले हो जाएगी.
3 जुलाई से एलआईसी का शेयर मूल्य आईपीओ के 949 के स्तर से नीचे चल रहा है. मंगलवार को यह मामूली बढ़त के साथ 900.7 रुपए पर बंद हुआ. जिसके बाद कंपनी का मार्केट कैप 5.7 लाख करोड़ रुपए हो गया. मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस प्रोसेस को संभालने वाले निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग ने अगली हिस्सेदारी बिक्री की सटीक समयसीमा और मात्रा को अंतिम रूप देने के लिए विचार-विमर्श तेज कर दिया है.
यह भी तय करने की प्रक्रिया में है कि इस लेनदेन को योग्य संस्थागत प्लेसमेंट (क्यूआईपी) या बिक्री के लिए प्रस्ताव (ओएफएस) कैसे आगे बढ़ाया जाए. एक सूत्र ने बताया कि यह फैसला आने वाले हफ्तों में होने वाले रोड शो में निवेशकों की डिमांड के आधार पर लिया जाएगा. एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस मामले पर बातचीत चल रही है, लेकिन अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि फ़िलहाल इस बारे में कोई भी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी.
सेबी ने बढ़ाई थी डेडलाइन
मई 2024 में, LIC को SEBI से 10 फीसदी पब्लिक फ्लोट की आवश्यकता को पूरा करने के लिए तीन साल का विस्तार मिला. LIC को मई 2032 तक 25 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग की आवश्यकता पूरी करनी है. रेगुलेटर ने बैंकों जैसे सरकारी वित्तीय संस्थानों सहित कई बड़ी संस्थाओं के लिए अनिवार्य 25 फीसदी पब्लिक फ्लोट की जरुरत को पूरा करने की समय सीमा बढ़ा दी है ताकि किसी भी समय शेयरों की अधिक सप्लाई के जोखिम से बचा जा सके.
दोलत कैपिटल मार्केट के इक्विटी हेड अमित खुराना ने ईटी की रिपोर्ट में कहा कि मजबूत सरकारी समर्थन और बाजार में अपनी अग्रणी स्थिति के कारण LIC को अपने अतिरिक्त शेयरों के लिए खरीदार खोजने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. हालांकि नए GST की घोषणा के बाद मार्जिन में कमी को लेकर कुछ चिंताएं हैं, LIC को संस्थानों और खुदरा निवेशकों, दोनों के बीच अपने शेयरों के लिए खरीदार मिल जाएंगे.
22 सितंबर को GST में बड़े बदलाव के बाद पर्सनल हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18 फीसदी शुल्क समाप्त कर दिया गया. इसका अर्थ यह है कि बीमा कंपनियां संबंधित ऑपरेशनल एक्सपेंडिचर पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकतीं.

