पाकिस्तान के जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को दिलचस्प बयान दिया है। इमरान खान ने कहा है कि सेना के साथ अच्छे रिश्ते न रखना एक तरह की मूर्खता होगी। यह बयान इसीलिए दिलचस्प है क्योंकि इससे पहले इमरान अपने पद से हटाए जाने और 1 साल की जेल की सजा के लिए सेना को दोषी ठहराते आए हैं। इमरान खान पर भ्रष्टाचार से लेकर सरकारी जानकारियों को लीक करने जैसे दर्जनों इल्जाम लगाए गए है। सोमवार को उनको जेल में बंद हुए एक साल का समय पूरा हो जायेगा।
रॉयटर्स को दिए सवालों के लिखित जवाब में इमरान ने यह बातें कही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अमेरिका से भी कोई शिकायत नहीं है। 2022 में प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के लिए इमरान ने अमेरिका को भी जिम्मेदार ठहराया था। “पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति और निजी क्षेत्र में सेना की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए अच्छे रिश्ते न रखना मूर्खता होगी।” उन्होंने आगे कहा, “हमें अपने सैनिकों और सशस्त्र बलों पर गर्व है।” इमरान खान ने कहा कि प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद उन्होंने सेना के बारे में जो भी कहा था वह सिर्फ कुछ व्यक्तियों के लिए कहा था, पूरी सेना के लिए नहीं। उन्होंने कहा, “सैन्य नेतृत्व की आलोचना को पूरी संस्था के खिलाफ आलोचना नहीं माना जाना चाहिए।”
बुधवार को खान ने सेना के साथ बातचीत करने की पेशकश की है। हालांकि इसके लिए उन्होंने कुछ शर्तें भी रखी हैं। उनका कहना है कि वह सेना के साथ इस शर्त पर साझेदारी कर सकते हैं कि देश में पारदर्शी चुनाव हों और उनके समर्थकों के खिलाफ फर्जी मामले वापस लिए जाएं। पाकिस्तानी सरकार और सेना दोनों ने कई बार इमरान खान के दावों का झूठा बताया है। वहीं अमेरिका ने इमरान को पद से हटाने में किसी भी भूमिका से इनकार किया है। अपने जवाबों में 71 वर्षीय पूर्व क्रिकेटर इमरान खान ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह सेना के साथ क्या बातचीत करना चाहते हैं।
पाकिस्तानी सेना, जिसने पाकिस्तान के 76 साल के आजादी के इतिहास में आधे से अधिक समय तक शासन किया है, यहां की राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाती है। किसी भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है और ज्यादातर को जेल की सजा भी काटनी पड़ी है। विश्लेषकों का कहना है कि उनमें से ज्यादातर को सेना के साथ समझौते करने पर ही रिहा किया गया। हालांकि सेना इन दावों से इंकार करती है। इमरान खान को जनरलों के साथ मतभेद के बाद संसद में अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।