दक्षिणी अमेरिकी देश ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ट्रंप के टैरिफ लगाने की धमकी पर लूला ने कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है. लूला ने अपने बयान में कहा है कि ब्राजील एक संप्रभू देश है और कोई उसे हिला नहीं सकता है. लूला पहले राष्ट्राध्यक्ष नहीं हैं, जिन्होंने अमेरिका को आंखें दिखाई हैं. इन्हीं नेताओं की कहानी डिटेल में पढ़िए…
1. ह्यूगो चावेज- दक्षिणी अमेरिकी देश वेनेजुएला को अमेरिका का धुर-विरोधी माना जाता है. 1999 में वेनेजुएला के राष्ट्रपति बनते ही ह्यूगो चावेज ने अमेरिका के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. चावेज गाहे-बगाहे अमेरिकी राष्ट्रपतियों की आलोचना करने लगे.
चावेज का कहना था कि अमेरिका समाजवादी देश वेनेजुएला में पूंजीवाद को लागू करना चाहता है. चावेज ने अमेरिका पर तख्तापलट का भी आरोप लगाया. 2002 में चावेज का तख्तापलट हुआ था, लेकिन आम नागरिकों की पहल पर उन्हें फिर से कुर्सी मिल गई.
वेनेजुएला में वर्तमान में भी चावेज की विचारधारा को मानने वाली सरकार कार्यरत है. वर्तमान राष्ट्रपति मादुरै चावेज के करीबी माने जाते थे.
2. फिदेल कास्त्रो- क्यूबा अमेरिका के करीब है और वहां पर 1958 तक अमेरिकी समर्थित सरकार ही था, लेकिन फिदेल कास्त्रो ने इस सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. कास्त्रो ने अमेरिकी समर्थित सरकार को क्यूबा से उखाड़कर फेक दिया. क्यूबा में 1959 में कास्त्रो के नेतृत्व में कम्युनिष्ट की सरकार आई.
कास्त्रो को इसके बाद सबक सिखाने की अमेरिका ने कई कवायद की, लेकिन उसकी दाल नहीं गल पाई. कास्त्रो ने अमेरिका के पूंजीवाद का खुलकर विरोध किया. क्यूबा कास्त्रो की वजह से अभी भी अमेरिकी विरोधी विचारधारा को तरजीह देता है.
3. किम जोंग इल- किम जोंग उन के पिता और नॉर्थ कोरिया के तानाशाह रहे किम जोंग इल को भी अमेरिका का सबसे बड़ा विरोधी माना जाता था. किम जोंग इल खुलकर अमेरिका के खिलाफ बोलते थे. उसके खिलाफ राजनीति करते थे.
किम और अमेरिका के बीच विरोधी की एक वजह दक्षिण कोरिया है. कोरिया के युद्ध मे किम ने दक्षिण कोरिया के अधिकांश भागों पर कब्जा कर लिया, लेकिन अमेरिकी बम की वजह से उसे पीछे हटना पड़ा.
उत्तर कोरिया ने इसके बाद अपना सैन्य ढांचा मजबूत करना शुरू किया. नॉर्थ कोरिया के पास वर्तमान में 50 परमाणु हथियार है. उसके पास मिसाइल और तोपों का भी जखीरा है.
4. अयातुल्ला खोमैनी- ईरान के पहले सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खोमैनी को अमेरिका का दुश्मन माना जाता था. खोमैनी की वजह से ही वर्तमान की सरकार भी अमेरिका विरोधी है. खोमैनी ने अमेरिका को शैतान बताया था.
1979 में दोनों के बीच टकराव तब और ज्यादा बढ़ गया, जब तेहरान स्थित अमेरिकी दूतावास पर ईरानी छात्रों ने हमला कर दिया. इस अटैक की वजह से दूतावास के 44 अधिकारी 6 दिन तक बंधक रहे.