साइबर ठगों का हथियार राजीनामा, फरियादी को वापस मिल रही रकम; ठगा जा रहा सिस्टम

साइबर ठगों का हथियार राजीनामा, फरियादी को वापस मिल रही रकम; ठगा जा रहा सिस्टम

साइबर ठगी नेटवर्क चलाने वाले सरगना सैकड़ों ठगी करते हैं, लेकिन पुलिस इन तक किसी एक या दो मामलों में ही पहुंच पाती है। जब यह पकड़े जाते हैं, तो पुलिस की गिरफ्त में आते ही इनके वकील और गैंग के सदस्य फरियादी से राजीनामा के लिए घेराबंदी में जुट जाते हैं।

पुलिस की बारीक पड़ताल भी इनकी तिकड़म के आगे फेल हो जाती है, क्योंकि यह फरियादी को ठगी की रकम या इससे भी अधिक पैसा लौटा देते हैं। ऐसे में फरियादी राजीनामा कर लेता है और यह बच निकलते हैं। ग्वालियर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। आखिर में जब राजीनामा हो गया तो पुलिस भी पीछे हट गई, लेकिन सच्चाई यह है कि ऐसे में पूरा सिस्टम ठगा जा रहा है।

दुबई तक साम्राज्य फैलाने वाला कुणाल बच निकला

ग्वालियर में मार्च 2024 में डिजिटल अरेस्ट की पहली घटना हुई थी, जिसमें शिक्षिका के साथ 51 लाख रुपये ठगे गए थे। मामले में गैंग के सरगना कुणाल जायसवाल को पुलिस ने भिलाई (छत्तीसगढ़) से पकड़ा था। उसने दुबई तक ठगी का साम्राज्य फैला रखा था। उसके वकीलों ने सीधे फरियादी से राजीनामा कर लिया। फरियादी ने एफआइआर रद्द करने के लिए आवेदन दे दिया। बड़ी मुश्किल से यह आरोपित व इसकी गैंग पकड़ी थी, लेकिन यह लोग बच निकले।

2.53 करोड़ की ठगी, हाई कोर्ट में केस खत्म करने की याचिका

ग्वालियर के थाटीपुर स्थित रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी सुप्रदिप्तानंद को डिजिटल अरेस्ट कर 2.53 करोड़ रुपये की ठगी हुई थी। 17 मार्च से 11 अप्रैल तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया। मामले में आरोपित वरदान कुमार निवासी दिल्ली और दीपांशु मौर्य निवासी दिल्ली को 26 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। अब दोनों आरोपितों ने कोर्ट में केस खत्म करने की याचिका लगाई है। इसमें उन्होंने स्वामी सुप्रदिप्तानंद से समझौता होने की बात कही है।

नोएडा की कंपनी में काम करने वाले पंकज जैन के साथ इसी साल जनवरी में ठगी हुई थी। जयपुर में ठगी का काल सेंटर चलाने वाले जितेंद्र गुर्जर, श्रवण शर्मा ने आइसीआइसीआइ बैंक का कर्मचारी बनकर 4.50 लाख रुपये की ठगी की थी। आरोपित पकड़े गए। दोनों ने रुपए लौटा दिए और समझौता कर केस खत्म करा लिया। इसी तरह, 2022 में ग्वालियर निवासी युवती से क्रेडिट कार्ड के नाम पर 8.50 लाख रुपये की ठगी हुई थी। आरोपितों ने राजीनामा कर लिया।

पुलिस अगर संपत्ति अटैच करे तो कसेगी लगाम

भारतीय न्याय संहिता में प्रविधान है कि अपराध से अर्जित संपत्ति अटैच की जा सकती है। अगर पुलिस इसका उपयोग करे तो ठगों पर लगाम कसी जा सकेगी।

एक केस पर लाखों खर्च, स्थानीय पुलिस सहयोग तक नहीं करती

साइबर ठगी के मामले में जब आरोपितों को पकड़ा जाता है, तो इसमें शासन के लाखों रुपए तक खर्च होते हैं, क्योंकि अपराधियों के तार दूसरे राज्यों से जुड़े होते हैं। साइबर क्राइम विंग के एक अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ग्वालियर पुलिस पश्चिम बंगाल, नूह-मेवात व झारखंड के कई ऐसे इलाकों से आरोपितों को पकड़कर लाई, जहां जान तक दांव पर लगानी पड़ी। स्थानीय पुलिस से सहयोग नहीं किया। फिर भी ऐसे आरोपित राजीनामा कर बच निकले।

पुलिस को मजबूती के साथ तथ्य रखने चाहिए

साइबर ठगी के मामलों में आउट आफ कोर्ट राजीनामा के कई मामले सामने आए हैं। यह अपराध तेजी से बढ़ रहा है। राजीनामा हो जाए, फिर भी ट्रायल में पुलिस को मजबूती के साथ तथ्य रखने चाहिए, जिससे आरोपितों को सजा मिले। फरियादी को भी सजा दिलाने में सहयोग करना चाहिए। – जस्टिस बीके दुबे, सेवानिवृत्त न्यायाधीश, मप्र हाई कोर्ट