केंद्र सरकार की ओर से 8वें वित्त आयोग को मंजूरी दिए जाने बाद से ही कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन कितनी बढ़ेगी. कितना फिटमेंट फैक्टर लागू होगा. इस पर अनुमान लगाए जा रहे हैं. अब कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट से इन सभी बातों का जवाब मिल गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार सैलरी में बढ़ोतरी करीब 13% रहने वाली है, जो 7वीं पे कमिशन की तुलना में कम है. 7वीं पे कमिशन के वक्त करीब 14.3% की बढ़ोतरी हुई थी.
कितनी बढ़ेगी सैलरी?
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर फिटमेंट फैक्टर 1.8 ही फाइनल हुआ, तो बेसिक सैलरी सीधे 80% बढ़ेगी, यानी मौजूदा बेसिक पे को 1.8 से गुणा किया जाएगा. फिलहाल केंद्रीय कर्मचारियों का न्यूनतम बेसिक वेतन 18,000 रुपये है, जो बढ़कर करीब 32,000 रुपये हो सकता है लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि आपकी सैलरी 80% बढ़ जाएगी, तो ये पूरी बात नहीं है. दरअसल, डियरनेस अलाउंस (DA) जो अभी बेसिक सैलरी का 55% है, उसे इस पे कमिशन के बाद शून्य कर दिया जाएगा और बाद में दोबारा से बढ़ाया जाएगा.
उदाहरण से समझते हैं, मान लिजिए अगर आपकी बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है, तो वो बढ़कर करीब 90,000 रुपये हो जाएगी. लेकिन फिलहाल आपके 50,000 रुपये बेसिक पे के साथ करीब 27,500 रुपये का DA भी मिलता है, जिससे कुल सैलरी लगभग 77,500 रुपये हो जाती है. DA हटने की वजह से कुल बढ़ोतरी कम दिखेगी. इसके अलावा, DA हर छह महीने में बढ़ता है और 8वीं पे कमिशन लागू होने तक ये 60% के पार हो सकता है.
राष्ट्रीय कर्मचारी मंच (नेशनल काउंसिल-जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी) के स्टाफ साइड के सदस्यों ने पहले ही संकेत दे दिया है कि वे फिटमेंट फैक्टर कम से कम 7वीं पे कमिशन जितना ही चाहते हैं. लेकिन माना जा रहा है कि सरकार 1.8 फिटमेंट फैक्टर पर ही डटी रहेगी.
7वीं पे कमिशन की वजह से 2017-18 में सरकार पर 1.02 लाख करोड़ रुपये का भार पड़ा था. वहीं, कोटक रिपोर्ट के अनुसार, 8वीं पे कमिशन लागू होने पर सरकार की जेब पर 2.4 से 3.4 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
ग्रेड C कर्मचारियों को मिलेगा फायदा
8वीं पे कमिशन का सबसे बड़ा लाभ ग्रेड C के कर्मचारियों को होगा. क्योंकि ये वर्ग देश के कुल सरकारी कर्मचारियों का लगभग 90% हिस्सा है, इसलिए इनकी सैलरी में बढ़ोतरी से सीधे तौर पर उनकी जीवनशैली में सुधार आएगा. कोटक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कदम देश की अर्थव्यवस्था में भी पॉजिटिव असर डालेगा क्योंकि ये कर्मचारी अपनी बढ़ी हुई आमदनी से ज्यादा खर्च करेंगे.