वक्फ अधिनियम 1995 की 44 धाराओं में संशोधन करने वाला एक विवादास्पद विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। ऐसा कहा जा रहा है कि संशोधन के बाद गैर-मुस्लिम व्यक्तियों और मुस्लिम महिलाओं को भी केंद्रीय और राज्य वक्फ निकायों में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा, 1923 के वक्फ अधिनियम को खत्म करने के लिए एक और विधेयक पेश किया जाएगा। इस बिल को पेश किए जाने से पहले मंगलवार रात को इसकी कॉपी लोकसभा सदस्यों को दे दी गईं।
सरकार वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले 1995 के कानून में संशोधन करने के लिए संसद में एक विधेयक लाने वाली है ताकि इनके कामकाज में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके तथा इन संस्थाओं में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित हो सके। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, संशोधन के तहत 1995 के कानून का नाम बदलकर यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एंपावरमेंट एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट कर दिया जाएगा। इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन करना है।
वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने वाला विधेयक वक्फ बोर्ड के लिए अपनी संपत्तियों का वास्तविक मूल्यांकन सुनिश्चित करने को लेकर जिलाधिकारियों के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य कर देगा। देश में 30 वक्फ बोर्ड हैं। सूत्रों ने बताया कि सभी वक्फ संपत्तियों से प्रति वर्ष 200 करोड़ रुपये का राजस्व आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि हालांकि यह वक्फ के पास मौजूद संपत्तियों की संख्या के अनुरूप नहीं है।
वक्फ अधिनियम में ऐसे अनेक प्रावधान हैं जिसमें वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार दिए गए हैं। किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया जाए तो उसका मालिक सर्वोच्च अदालत में भी उसे चुनौती नहीं दे सकता है। वक्फ संपत्ति का प्रशासन में पंजीकरण नहीं हो सकता है। नए विधेयक में इस प्रकार के सभी असीमित अधिकारों को कम करके पारदर्शिता लाने का प्रयास किया जा रहा है।
नए वक्फ प्रस्ताव
केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में दो महिलाएं होनी चाहिए। परिषद में अब एक केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, मुस्लिम संगठनों के तीन प्रतिनिधि और तीन मुस्लिम कानून विशेषज्ञ शामिल होंगे। इसमें दो पूर्व न्यायाधीश, या तो सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के, चार ‘राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व्यक्ति’ और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे। इनमें से कम से कम दो महिलाएं होनी चाहिए।
संयोग से, इन बदलावों के लिए परिषद और बोर्डों के लिए एक गैर-मुस्लिम श्रेणी बनाने की आवश्यकता थी क्योंकि सांसदों और सरकारी अधिकारियों को धार्मिक आधार पर निकायों के लिए नामित नहीं किया जा सकता है। नए कानून के तहत किसी भी संपत्ति को वक्फ के रूप में पंजीकृत करने से पहले नोटिस की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, यह पंजीकरण एक केंद्रीकृत वेबसाइट पर होना चाहिए। वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण का अधिकार अब जिला कलेक्टर या उनके डिप्टी को दिया जाएगा। बोर्ड के फैसले के 90 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में अपील दायर करने का भी प्रावधान होगा।
इसके अलावा, केवल मुस्लिम धर्मावलंबियों को ही अपनी चल या अन्य संपत्ति वक्फ परिषद या बोर्ड को दान करने की अनुमति होगी। साथ ही, केवल कानूनी मालिक ही यह निर्णय ले सकता है।