लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर युवाओं के नेतृत्व में बुधवार को बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई, जिसमें हालात बेकाबू हो गए। लेह में भाजपा कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया और बाहर खड़ी एक गाड़ी को भी जला दिया गया। स्थिति को संभालने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों में भिड़ंत
पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े। वहीं, प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ भाजपा दफ्तर (Ladakh Protest) के बाहर जुटी और वहां आगजनी की। समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा साझा किए गए वीडियो में कार्यालय से धुआं उठता हुआ देखा जा सकता है।
लेह में BJP कार्यालय ने आग लगा दी गई.
लद्दाख के लोग कई दिन से मोदी सरकार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए.
आज प्रदर्शनकारी छात्रों पर लाठियां चलवाई गई, जिसके बाद प्रदर्शन उग्र हो गया. pic.twitter.com/Njf6Ev26oE
— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) September 24, 2025
वार्ता से पहले बढ़ा दबाव
ये प्रदर्शन ऐसे समय में हुए हैं जब 6 अक्टूबर को केंद्र सरकार और लद्दाख प्रतिनिधियों के बीच नई वार्ता होनी है। इस प्रतिनिधिमंडल में लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के सदस्य शामिल होंगे। माना जा रहा है कि इस विरोध के जरिए सरकार पर बातचीत तेज़ करने का दबाव बनाया जा रहा है।
भूख हड़ताल से शुरू हुआ आंदोलन
एलएबी की युवा शाखा ने 10 सितंबर से 35 दिन की भूख हड़ताल (Ladakh Protest) शुरू की थी। इस दौरान 15 में से 2 लोग अस्पताल पहुंच गए, जिसके बाद विरोध और उग्र हो गया। आंदोलनकारियों ने साफ कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।
सोनम वांगचुक की अपील
प्रसिद्ध पर्यावरणविद और आंदोलन का हिस्सा बने सोनम वांगचुक ने शांति की अपील की है। ताज़ा झड़पों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा—
“लेह में बहुत दुखद घटनाएं हुईं। मेरी शांतिपूर्ण आंदोलन की अपील आज असफल रही। मैं युवाओं से गुजारिश करता हूं कि हिंसा बंद करें, यह सिर्फ हमारे मकसद को नुकसान पहुंचाएगी।”
2019 से जारी मांग
गौरतलब है कि 2019 में लद्दाख (Ladakh Protest) को केंद्र शासित प्रदेश (UT) का दर्जा मिलने के बाद से ही स्थानीय लोग राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। एलएबी और केडीए बार-बार कह चुके हैं कि बिना राज्य का दर्जा मिले लद्दाख के लोगों के अधिकार और पहचान सुरक्षित नहीं हो पाएंगे।