लगातार क्यों गिर रहा भारत का शेयर बाजार, क्या टैरिफ और वीजा ही है वजह?

लगातार क्यों गिर रहा भारत का शेयर बाजार, क्या टैरिफ और वीजा ही है वजह?


शेयर बाजार

जब से अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच1बी वीजा के शुल्क में इजाफा किया है. तब से शेयर बाजार लगातार हिचकोले खा रहा है. ट्रंप वीजा आदेश के बाद से निवेशकों में एक बार फिर से दोनों देशों के बीच ट्रेड डील को लेकर भी शंकाएं पैदा हो गई हैं. जिसकी वजह से बाजार और भी ज्यादा दबाव महसूस कर रहा है. लगातार चार दिनों में शेयर बाजार में डेढ़ फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी है. खास बात तो ये है कि शेयर बाजार के लिए जो माहौल जीएसटी रिफॉर्म ने बनाया था, जो बढ़त हासिल की थी, उसमें आधी बढ़त का सफाया ट्रंप के इस फैसले की वजह से हो गया और निवेशकों को काफी मोटा नुकसान हुआ.

सवाल ये है कि क्या अमेरिकी ट्रेड डील और वीजा हाइक ही शेयर बाजार में गिरावट की असल वजह हैं? ये कहना गलत नहीं होगा कि ये दोनों कारण शेयर बाजार में गिरावट की बड़ी वजह हैं. लेकिन सेंसेक्स और निफ्टी पर दबाव डालने वाले और भी फैक्टर काम कर रहे हैं. जिसमें सबसे अहम विदेशी निवेशकों का शेयर बाजार से लगातार पलायन है. वहीं दूसरी ओर करेंसी मार्केट में डॉलर के मुकाबले में रुपया लगातार रि​कॉर्ड लो पर देखने को मिल रहा है.

आईटी शेयरों में दबाव देखा जा रहा है. जीएसटी रिफॉर्म की वजह से ऑटो स्टाॅक्स में जो तेजी देखने को मिली थी, उसके बाद निवेशकों ने मुनाफावसूली चालू कर दी है. डॉलर में तेजी और कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा ये वो तमाम कारण हैं जिनका असर भारत के शेयर बाजार में साफ देखने को मिल रहा है. आइए आपको भी आंकड़ों की भाषा में समझाने की कोशिश करते हैं कि आखिर सितंबर महीने के पहले और दूसरे हाफ में शेयर बाजार किस तरह से बदलता हुआ दिखाई दिया.

सितंबर में कैसे हुआ शेयर बाजार का मूड स्विंग्स?

पहले जीएसटी का असर

सितंबर महीने को शेयर बाजार के लिहाज से दो भागों में आराम से बांटा जा सकता है. पहले हाफ में जहां शेयर बाजार का निवेशकों को खुश होने का मौका दे रहा था. वहीं दूसरी ओर दूसरे हाफ में बाजार ने निवेशकों को एक बार फिर से चिंता सागर में डुबो दिया. शुरुआज हैपी फेज से करते हैं. 3 सितंबर को जीएसटी काउंसिल की मीटिंग शुरू हुई. जिसमें सभी को टैक्स स्लैब कम होने की उम्मीद थी. यही वजह थी कि शेयर बाजार का मोमेंटम बनना शुरू हो गया था.

2 सितंबर को सेंसेक्स 80,157.88 अंकों बंद हुआ था और जीएसटी की मीटिंग और रिफार्म के ऐलान के बाद महज 15 दिनों में सेंसेक्स ने 3.56 फीसदी की छलांग लगा डाली. 18 सितंबर तक सेंसेक्स 83,013.96 अंकों के लेवल पर पहुंच चुका था यानी 2,856.08 अंकों की तेजी देखने को मिल चुकी थी. कुछ ऐसे ही आंकड़े निफ्टी के भी देखने को मिले थे. 2 सितंबर को निफ्टी 24,579.60 अंकों पर था, जो 18 सितंबर को 844 अंक यानी 3.43 फीसदी की तेजी के साथ 25,423.60 अंकों पर आ गया.

इस तेजी में ट्रंप के उन बयानों का भी योगदान था, जब उन्होंने भारत और मोदी के करीब आने और उनसे मुलाकात करने की इच्छा जाहिर की थी. तब ऐसा लगना शुरू हो गया था कि जल्द ही दोनों देशों के बीच सभी दूरियां मिट जाएंगी और भारत का है​वी टैरिफ समाप्त होगा. साथ ही बेहतर ट्रेड डील होगी.

दोबारा ट्रंप ने दिखाए ​तेवर

18 सितंबर तक ऐसा लग रहा था कि पूरे सितंबर में शेयर बाजार निवेशकों की मौज कराएगा. लेकिन 21 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक ऐसा बयान दिया, जिसका अंदाजा किसी को भी नहीं था. ट्रंप ने अमेरिकी एच1बी वीजा के शुल्क को बढ़ाकर 1 लाख डॉलर यानी 88 लाख रुपए से ज्यादा कर दिया. इस इजाफे के बाद से भारत की अमेरिका में काम कर रही टेक कंपनियों या फिर उन अमेरिकी कंपनियों का कॉस्ट बढ़ जाएगा जो भारत के लोगों को नौकरी पर रख रहे हैं. पूरी दुनिया में इस वीजा का 70 फीसदी इस्तेमाल भारत की ओर से होता है.

सोमवार को जब बाजार खुले इस आदेश का असर शेयर बाजार में जबरदस्त तरीके से देखने को मिला. वैसे शुक्रवार को शेयर बाजार में मामूली गिरावट देखने को मिल चुकी थी. आंकड़ों पर बात करें तो संंसेक्स 18 सितंबर को 83,013.96 अंकों पर था. जोकि 24 सितंबर तक 81,715.63 अंकों पर आ गया. इसका मतलब है कि सेंसेक्स में तब से अब तक 1,298.33 अंक यानी 1.56 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है.

वहीं दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की बात करें तो उसका भी काफी बुरा हश्र देखने को मिल चुका है. 18 सितंबर को जहां निफ्टी 25,423.60 अंकों पर देखने को मिली थी. लगातार दिनों दिनों की गिरावट के बाद 24 सितंबर को 25,056.90 अंकों पर आ गई. इसका मतलब है कि निफ्टी में 366.7 अंक यानी 1.44 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है.

शेयर बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण

  1. वीजा फीस हाइक: अमेरिकी प्रेसीडेंट के एच1बी वीजा चार्ज हाइक का असर शेयर बाजार में साफ देखने को मिल रहा है. भारत की कई कंपनियां अमेरिका में आईटी सर्विस प्रोवाइड करा रही हैं. जहां पर कई इंडियंस भी काम करते हैं. ऐसे में वीजा हाइक का असर कंपनियों और इंप्लॉयज पर साफ देखने को मिल रहा है.
  2. यूएस टैरिफ: भारत पर टैरिफ का असर शेयर बाजार में कम नहीं हुआ है. वीजा फीस हाइक के बाद दोनों देशों के बीच जो बातचीत होगी, उसके डायनामिक भी बदलेंगे. जहां कुछ मोर्चों पर भारत को पीछे हटना होगा तो कुछ जगहों पर अमेरिका को भी झुकना होगा. फिलहाल ये ट्रेड डील थोड़ी मुश्किल होती दिखाई दे रही है. अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है.
  3. आईटी स्टॉक में गिरावट: पहल ट्रेड डील और वीजा हाइक, दोनों का ही असर भारत की आईटी कंपनियों में साफ देखने को मिल रहा है. देश की बड़ी आईटी कंपनियों के शेयरों में लगातार मुनाफावसूली हो रही है. टीसीएस से लेकर इंफोसिस, विप्रो, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक आदि कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिल रही है. वीजा हाइक के बाद इन कंपनियों के कॉस्ट में काफी इजाफा होगा.
  4. शेयर बाजार में मुनाफा वसूली: जीएसटी रिफॉर्म के बाद जिस तरह से शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली थी. उसके बाद निवेशकों ने शेयर बाजार से मुनाफावूसली करना शुरू कर दिया है. उसका कारण भी है. ग्लोबली ट्रेड और जियो पॉलिटिकल टेंशन लगातार देखने को मिल रही है. यूरोप भी इसकी चपेट में आता दिखाई दे रहा है. कभी शेयर बाजार ग्लोबल फैसलों से धराशाई हो सकता है.
  5. रिकॉर्ड लो पर रुपया: वहीं दूसरी ओर डॉलर के मुकाबले में रुपया भी रिकॉर्ड लोअर लेवल पर आ गया है. 88.75 पर बंद होने वाला रुपया जल्द 89 और 90 के लेवल को भी पार कर सकता है. मौजूदा साल में रुपए में डॉलर के मुकाबले में 5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी है. जिसकी वजह से शेयर बाजार में भी इसका असर देखने को मिल रहा है.
  6. डॉलर में तेजी: वहीं दूसरी ओर भले ही डॉलर में मौजूदा साल में बड़ी गिरावट देखने को मिल चुकी है. लेकिन हाल के दिनों में डॉलर इंडेक्स बेहतर स्थिति में आया है. बीते 5 कारोबारी दिनों में 0.50 फीसदी और 3 महीनों में 0.70 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल चुकी है और 98 के लेवल के करीब कारोबार कर रहा है.
  7. कच्चे तेल में इजाफा: वहीं दूसरी ओर इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखने को मिली है. उसका कारण है मिडिल ईस्ट में तनाव. मिडिल ईस्ट को इजराइल की ओर से खतरा महसूस होने लगा है. कुछ दिन पहले यूएई ने भी इस बात की चेतावनी दी थी. ऐसे में ब्रेंट एक बार फिर से 70 डॉलर प्रति बैरल के करीब दिखाई दे रहा है. जबकि कुछ हफ्तों पहले ब्रेंट के दाम 66 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गए थे.
  8. विदेशी निवेशकों का पैसा निकालना: वहीं सबसे अहम कारणों में से एक विदेशी निवेशकों का शेयर बाजार से पलायन है. जिसमें कोई कमी देखने को ​नहीं मिल रही है. एनएसडीएल के आंकड़ों को देखें तो सितंबर के महीने में विदेशी निवेशक शेयर बाजार से 11,582 करोड़ रुपए निकाल चुके हैं. जबकि मौजूदा साल में ये आंकड़ा 1,42,217 करोड़ रुपए पहुंच चुका है.

चार दिनों में निवेशकों को कितना नुकसान?

अगर बात शेयर बाजार निवेशकों के नुकसान की बात करें तो चार दिनों में काफी हो चुका है. 18 सितंबर को बीएसई का मार्केट कैप 4,65,73,486.22 करोड़ रुपए था. जोकि 24 सितंबर को घटकर 4,60,56,946.88 करोड़ रुपए पर आ गया. इसका मतलब है कि इन चार दिनों में निवेशकों को 5,16,539.34 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. जबकि जीएसटी रिफॉर्म के बाद निवेशकों को 12 लाख करोड़ रुपए का फायदा हुआ था.