मशहूर शायर जोश मलीहाबादी फरमाते हैं- दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया… जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया… कुछ तारीखें मानों इतिहास की इबारत बन जाती हैं. जब भी इनकी याद आती है दिल की चोटें चैन से रहने नहीं देतीं. सिनेमा संसार में अक्टूबर का महीना इन्हीं सर्द हवाओं का अहसास लेकर आता है, जब कद्रदानों को रेखा और अमिताभ एक साथ याद आते हैं. संयोग इसी को कहते हैं जिस जोड़े की रुहानी कहानी इस मौके पर दुनिया गुनगुनाती और सुनाती है, उनका जन्म दिन भी काल के कपाल पर बस एक दिन से अंतराल पर चस्पां होता है. रेखा 10 अक्टूबर तो अमिताभ बच्चन 11 अक्टूबर. रेखा 71 की हो चलीं तो अमिताभ 83 के.सच, ये क्या तारीख है दोस्तो, ये कौन सा सवाल है, हद्दे निगाह तक जहां मलाल ही मलाल है!
यकीनन रेखा और अमिताभ बच्चन की कहानी में मलाल की भी अपनी एक मौजूदगी है. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में इश्क-मोहब्बत की कहानियां बनने-बिगड़ने के तमाम किस्से हैं. इनमें कोई भी किस्सा अब फसाना नहीं रहा. दिलीप कुमार-मधुबाला की कहानी, देव आनंद-सुरैया की कहानी, राजकपूर-नरगिस की कहानी, गुरुदत्त-वहीदा रहमान की कहानी…वगैरह वगैरह. हर कहानी अब एक खुली किताब है. लेकिन रेखा और अमिताभ की कहानी के पन्ने आज भी राज़ हैं. ये कहानी बॉलीवुड की सबसे बड़ी मिस्ट्री भी है. क्या दोनों मोहब्बत करते थे? हां या ना?
तकरीबन साथ-साथ फिल्म इंडस्ट्री में आए
हिंदी फिल्मों के इतिहास के पन्ने पलटें तो रेखा और अमिताभ तकरीबन कुछ समय के अंतराल पर ही बॉलीवुड में दस्तक देते हैं. अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म सन् 1969 में सात हिंदुस्तानी आती है जबकि रेखा की पहली हिंदी फिल्म एक साल बाद ही सन् 1970 में सावन भादो आती है. सावन भादो के अभिनेता थे नवीन निश्चल. अनोखी बात ये कि अमिताभ बच्चन के पास फिल्मों की कोई विरासत नहीं थी जबकि रेखा के पिता जेमिनी गणेशन तमिल सिनेमा के प्रसिद्ध कलाकार थे. रेखा बाल कलाकार के तौर पर भी काम कर चुकी थीं. हिंदी फिल्म में आने से पहले वह कन्नड़ और तेलुगु फिल्मों में अभिनय करके कवरेज हासिल कर चुकी थीं.
अस्सी के दशक की सबसे ग्लैमरस अभिनेत्री
मुंबई आने के बाद रेखा भी अपने समय की अन्य अभिनेत्रियों मसलन जया बच्चन (भादुड़ी) ज़ीनत अमान, परवीन बॉबी आदि की तरह संघर्ष कर रही थीं. इनमें साउथ से आईं अभिनेत्रियों में रेखा को हेमा मालिनी के मुकाबले जरा देर से नोटिस मिली. रेखा की अदायगी सबको बहुत पसंद आती थी, लेकिन उनका सांवला रंग अक्सर आड़े आता था जिसे उन्होंने कुछ ही सालों में अपने अभिनय और नृत्य कौशल से पूरी तरह से ढक दिया और जल्द ही अस्सी के दशक में बॉलीवुड की सबसे ग्लैमरस अभिनेत्री कही जाने लगी. उस दौर के तमाम कलाकारों में धर्मेंद्र, सुनील दत्त, राकेश रोशन, राजेश खन्ना, विनोद खन्ना, विनोद मेहरा, शत्रुघ्न सिन्हा, राज बब्बर, शेखर सुमन आदि रेखा के ग्लैमरस लुक एंड फील के कायल रहे हैं.
रेखा और अमिताभ पहली बार 1976 में साथ आए
इन तमाम कलाकारों के साथ जोड़ियां बनाने के बावजूद रेखा और अमिताभ की जोड़ी सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुई. आखिर इसकी वजह क्या थी. अमिताभ बच्चन और रेखा ने सबसे पहले जिस फिल्म में काम किया था, वह फिल्म थी- दो अनजाने, यह साल 1976 में आई थी. निर्देशक थे- दुलाल गुहा. यह फिल्म बहुत ही सामान्य सी थी. बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल भी नहीं कर सकी. इस समय तक अमिताभ बच्चन की एंग्री यंग मैन वाली छवि बन चुकी थी, इसमें उसका कोई प्रभाव नहीं था. लेकिन पर्दे पर दोनों कलाकारों की केमिस्ट्री ने बहुत से निर्देशकों का ध्यान खींचा. इसकी वजह थी- दोनों की लंबाई, पर्सनाल्टी.
कैसे बनी रेखा-अमिताभ बच्चन की सदाबहार जोड़ी?
1973 में ही जया से अमिताभ बच्चन का विवाह हो चुका था. पर्दे पर साथ-साथ कई बार आने के बावजूद दोनों की लंबाई गॉसिप का हिस्सा हुआ करती थी. अमिताभ बहुत लंबे थे जबकि जया उनकी लंबाई के हिसाब से छोटी. ऐसे में अमिताभ-रेखा की जोड़ी में लोगों को नयापन लगा. अमिताभ भी पतले-दुबले लंबे और रेखा भी पतली दुबली लंबी. वैसे इस वक्त तक जया फिल्मों से दूर भी होने लगी थीं. बच्चों की देखभाल उनकी प्राथमिकता थी. दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन के लिए यही शिखर काल साबित हुआ. सुपरहिट फिल्मों की एक फेहरिस्त थी. जल्द ही अमिताभ-रेखा की कई और फिल्में आने लगीं. और उनकी केमिस्ट्री को लेकर नई-नई गॉसिप गढ़ी जाने लगी.

1976 से 81 तक सबसे लोकप्रिय फिल्मी जोड़ी
साल 1976 की दो अनजाने के बाद रेखा और अमिताभ बच्चन की धड़ाधड़ कई फिल्में साथ आती हैं. इनमें कुछ बॉक्स ऑफिस पर भले ही बहुत कामयाब नहीं है लेकिन यादगार जरूर हैं. सन् 1977 में उनकी दो फिल्में आईं-आलाप और खून पसीना. खून पसीना में विनोद खन्ना भी थे. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट कहलाई. लेकिन अगले साल यानी 1978 में गंगा की सौगंध और मुकद्दर का सिकंदर ने दोनों की जोड़ी को चर्चा में ला दिया.
मुकद्दर का सिकंदर में सलामे इश्क कि मेरी जां जरा कुबूल कर लो… गाने पर रेखा और अमिताभ की केमेस्ट्री देखते ही बनती है. इसी तरह 1979 में मिस्टर नटवरलाल और सुहाग तो वहीं 1980 में राम बलराम में भी रेखा और अमिताभ अपने प्रशंसकों का प्यार बटोरने में कामयाबी पाते हैं. उनकी साथ वाली कुछ अन्य फिल्में हैं- नमक हराम, ईमान धरम और कसमे वादे.
रेखा-अमिताभ की आखिरी फिल्म सिलसिला
गौरतलब है कि फिल्मों में रेखा और अमिताभ की जोड़ी जया की गैरहाजिरी में बनती है और जैसे ही जया दोबारा से फिल्मों में सक्रिय होती हैं, रेखा और अमिताभ एक बार फिर से फिल्मों में अलग-अलग हो जाते हैं. उनकी जोड़ी की आखिरी फिल्म थी- सिलसिला, जो कि सन् 1981 में आई. इस फिल्म की स्टार केमिस्ट्री यश चोपड़ा की देन थी. यश चोपड़ा की कोशिश से ही रेखा और जया पहली बार साथ-साथ काम करने के लिए तैयार हुए और उसमें अमिताभ बच्चन भी एक प्रमुख किरदार में थे.
हालांकि इसके बाद रेखा और अमिताभ ने कभी साथ-साथ काम भले ही नहीं किया लेकिन अमिताभ बच्चन की दो फिल्में- याराना और आखिरी रास्ता में रेखा ने अपनी आवाज दी थी. याराना में नीतू सिंह तो आखिरी रास्ता में श्रीदेवी के लिए उन्होंने डबिंग की थी. इस तरह वो खुद को खुशकिस्मत मानती हैं कि उन्होंने सिलसिला के बाद भी साथ-साथ काम किया था.
क्या रेखा और अमिताभ बच्चन में मोहब्बत थी?
अब सवाल है कि क्या रेखा और अमिताभ बच्चन क्या सचमुच एक-दूसरे से मोहब्बत करते थे? ऐसा अमिताभ बच्चन ने कभी नहीं कहा. अमिताभ हमेशा से परिवार को संगठित रखने में विश्वास करते रहे हैं. जब रेखा और अमिताभ साथ-साथ अभिनय कर रहे थे तो उनकी केमिस्ट्री पत्र-पत्रिकाओं के लिए गॉसिप्स का मसाला थी. लोग अनुमान लगाते थे कि दोनों रोमांटिक सीन में बहुत आकर्षक लगने के साथ-साथ कंफर्टेबल भी लगते थे.
जहां तक रेखा की बात है तो उन्होंने अपने इश्क का इजहार खुलेआम किया है. उन्होंने कई साक्षात्कारों में यह खुलकर कहा है कि हां, उनसे मैं प्रेम करती थी. रेखा खुद को अमिताभ बच्चन की सबसे बड़ी फैन मानती हैं. बहुत से लोगों को याद होगा जब कुली फिल्म में अमिताभ बच्चन शूटिंग के दौरान जख्मी हो गए थे, अस्पताल में भर्ती थे, जया अस्पताल में थीं तो रेखा मंदिर में हवन करवा रही थीं.

