ई कोर्ट ने अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में साफ किया कि जब वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा है, तो केस ट्रांसफर कराने की आवश्यक नहीं है। इसी के साथ न्यायमूर्ति एके पालीवाल की एकलपीठ ने कुटुम्ब न्यायालय, इंदौर में विचाराधीन मामला जबलपुर स्थानांतरित किए जाने की मांग अस्वीकार कर दी।
पति-पत्नी ने कुटुम्ब न्यायालय में दायर की थी याचिका
याचिका जबलपुर निवासी सुजाता राठौर की ओर से दायर की गई थी। जिसमें कहा गया था कि उसने अपने पति के विरुद्ध हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत आवेदन दायर किया था। जबलपुर कुटुम्ब न्यायालय में उसके आवेदन की सुनवाई लंबित है। इसके बाद पति ने भी इंदौर कुटुम्ब न्यायालय में हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत आवेदन दायर किया है। याचिका में राहत चाही गई थी कि इंदौर कुटुम्ब न्यायालय में पति द्वारा दायर आवेदन को सुनवाई के लिए जबलपुर स्थानांतरित किया जाए।
हाई कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों की सुविधा देखना आवश्यक
याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि वह अपने पिता के साथ रहती है और सीआरपीसी की धारा 24 में पत्नी की सुविधा को प्राथमिकता दी जाती है। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित विभिन्न आदेश का हवाला देते हुए कहा कि दोनों पक्षों की सुविधा देखना आवश्यक है। कुटुम्ब न्यायालय इंदौर व जबलपुर में वीडियो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध है।
उचित भुगतान के संबंध में आदेश पारित कर सकता है
प्रकरण की सुनवाई के दौरान विशेष परिस्थितियों में भौतिक उपस्थिति की आवश्यकता होती है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के अनुसार कुटुम्ब न्यायालय उचित भुगतान के संबंध में आदेश पारित कर सकता है। हाई कोर्ट ने याचिका का पटाक्षेप करते हुए अपने आदेश में कहा कि अन्य कोई कारण नहीं है, जिससे प्रकरण स्थानांतरित करने के संबंध में आदेश पारित किया जाए।