बलिदानी रंजीत की खबर जैसे ही गांव पहुंची, पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। बुजुर्ग मां-बाप का सहारा छिन गया और रंजीत की तीन मासूम बेटियों के सिर से हमेशा के लिए पिता का साया उठ गया।
हमले में 33 असम राइफल्स के नायब सूबेदार श्याम गुरुंग (58) और राइफलमैन रंजीत सिंह कश्यप (29) बलिदानी हो गए। तीन अन्य जवान गंभीर रूप से घायल हैं। इनमें से एक की हालत नाजुक है।
इधर बलिदानी रंजीत की खबर जैसे ही गांव पहुंची, पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। बुजुर्ग मां-बाप का सहारा छिन गया और रंजीत की तीन मासूम बेटियों के सिर से हमेशा के लिए पिता का साया उठ गया।
छुट्टी से लौटे पांच दिन भी नहीं बीते
ग्रामीणों ने बताया कि रंजीत पिछले महीने छुट्टी पर घर आया था। करीब एक माह तक उसने स्वजन के साथ समय बिताया और मात्र पांच दिन पहले ही ड्यूटी पर लौटा था।
उसने अपने साथियों से कहा था कि सेवा के तीन साल शेष हैं, जिसके बाद सेवानिवृत्त होकर गांव लौटेगा और अपने मां-बाप का सहारा बनेगा। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।
परिजनों ने बताया कि रंजीत शुरू से ही सेना में जाकर देश की रक्षा करना चाहता था। उसी सपने को पूरा करते हुए वह असम राइफल्स में भर्ती हुआ। उसकी तीन बेटियां हैं, जबकि बहन की शादी भी एक बीएसएफ जवान से हुई है।