एक ओर भोपाल को देश के सबसे स्वच्छ शहरों में दूसरे स्थान का अवॉर्ड मिला है, तो दूसरी ओर वहां की आम जनता को स्वच्छता के नाम पर जेब ढीली करनी पड़ रही है. हाल ही में भोपाल नगर निगम ने सुलभ शौचालयों के उपयोग शुल्क में वृद्धि करते हुए इसे 6 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया है. चाहे स्नान हो या शौच, दोनों के लिए अब नागरिकों को 10-10 रुपये चुकाने होंगे.
भोपाल में सार्वजनिक शौचालयों की संख्या शहर की ज़रूरत से करीब 43% कम है. ऐसे में शुल्क बढ़ाया जाना आम नागरिकों के लिए परेशानियों का कारण बनता जा रहा है.
‘खाना सस्ता टॉयलेट महंगा’
दरअसल, राज्य सरकार की दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना के तहत गरीबों को 5 रुपये में भोजन उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन अब टॉयलेट इस्तेमाल करने पर उससे दोगुना खर्च देना पड़ेगा. यही कारण है कि लोग व्यंग्य कर रहे हैं — “पेट भरने से महंगा पेट खाली करना है”
यह निर्णय भोपाल नगर निगम की मेयर-इन-काउंसिल बैठक में लिया गया था, जिसकी अध्यक्षता महापौर मालती राय ने की. शहरी प्रशासन और विकास विभाग (UADD) ने सभी नगर निकायों को स्वयं की आय बढ़ाने के निर्देश दिए हैं, और इसी दिशा में यह निर्णय लिया गया है.
विपक्ष हमलावर
सार्वजनिक शौचालय के शुल्क बढ़ने के बाद से स्थानीय नागरिकों में नाराज़गी देखी जा रही है. वहीं, कांग्रेस पार्टी ने इस कदम को गरीबों के अधिकारों पर चोट बताते हुए राज्य सरकार पर बुनियादी सुविधाओं में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. कांग्रेस पार्षद योगेंद्र सिंह गुड्डू चौहान ने कहा कि इस मुद्दे को परिषद की बैठक में उठाएंगे यह गरीबों की जेब पर सरकारी डाका है. लोग महंगाई से परेशान होकर खुले में शौच के लिए जायेंगे और फिर भोपाल स्वच्छता में पिछड़ जाएगा.