पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद भारत और चीन के रिश्तों में एक नया मोड़ आया है. दोनों देशों के बीच तनाव कुछ कम हुआ है, और अब कंपनियों के बीच साझेदारी को लेकर बातचीत तेज़ हो रही है. खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में संयुक्त उपक्रम (जॉइंट वेंचर्स) और रणनीतिक निवेश पर ज़ोर दिया जा रहा है.
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका ने भारत पर भारी टैक्स (टैरिफ) लगा दिए हैं, जिसका असर दुनियाभर के व्यापार पर पड़ रहा है. ऐसे माहौल में भारत और चीन के बीच बढ़ती नजदीकी को देश के व्यापार के लिए एक अच्छा संकेत माना जा रहा है.
49% हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में हायर
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की मशहूर होम अप्लायंसेज कंपनी Haier ने अपनी भारतीय सब्सिडियरी में 49% हिस्सेदारी बेचने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है. बताया जा रहा है कि बीते दो दिनों में इस सौदे ने ताज़ा रफ्तार पकड़ी है. उद्योग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, इस हिस्सेदारी को खरीदने को लेकर भारतीय उद्योगपति सुनील मित्तल के साथ बातचीत लंबे समय से चल रही थी, जो हाल में कुछ कारणों से धीमी पड़ गई थी. अब, Haier चाहती है कि 49% हिस्सा भारतीय निवेशक को बेचा जाए, 49% हिस्सेदारी वह खुद रखे और बाकी 2% कंपनी के कर्मचारियों को दे दी जाए. इस प्रस्ताव पर सोमवार और मंगलवार को कंपनी और मर्चेंट बैंकरों के बीच कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं.
चीन के साथ डिक्सन की बड़ी डील
भारत की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी Dixon Technologies अब चीनी कंपनियों के साथ मिलकर बड़े कदम उठाने की तैयारी में है. कंपनी जल्द ही चीन की Chongqing Yuhai के साथ जॉइंट वेंचर के लिए प्रेस नोट 3 के तहत आवेदन करने वाली है. इस साझेदारी के ज़रिए लैपटॉप जैसे उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले हाई-टेक कंपोनेंट्स भारत में ही बनाए जाएंगे. इतना ही नहीं, Dixon को उम्मीद है कि उसकी दो और लंबित योजनाओं — HKC और Vivo के साथ संयुक्त उपक्रम को भी जल्द सरकार की मंजूरी मिल जाएगी.
ऑटो सेक्टर को भी राहत की उम्मीद
इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले हेवी रियर अर्थ मैग्नेट्स पर चीन से आयात में लगी रोक की वजह से कई भारतीय कंपनियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. खासकर Bajaj Auto जैसी दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. लेकिन अब उम्मीद जताई जा रही है कि हालिया राजनयिक पहल के बाद इन प्रतिबंधों में कुछ ढील मिल सकती है, जिससे उद्योग जगत को बड़ी राहत मिलेगी. एक ऑटो कंपोनेंट कंपनी के सीनियर अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री की चीन यात्रा के बाद अब हालात में सुधार की उम्मीद बंधी है, और आने वाले समय में कुछ सकारात्मक कदम देखने को मिल सकते हैं.
अशोक लेलैंड और हिंदुजा ग्रुप की बड़ी डील
भारत की प्रमुख ऑटो कंपनी Ashok Leyland और उसकी पैरेंट कंपनी Hinduja Group ने भी चीन में बड़ा कदम उठाया है. कंपनी के एमडी शेनु अग्रवाल और हिंदुजा ग्रुप के अध्यक्ष शोम हिंदुजा ने सोमवार को चीन में मौजूद रहकर एक अहम समझौते पर दस्तखत किए. यह साझेदारी चीन की CALB Group के साथ हुई है, जिसके तहत अगली पीढ़ी की बैटरी तकनीक पर मिलकर काम किया जाएगा. ये बैटरियां ऑटोमोबाइल और नॉन-ऑटोमोबाइल दोनों क्षेत्रों के लिए होंगी.
बड़े भारतीय उद्योगपतियों की चीन यात्रा
फिलहाल जो माहौल बना है, उसे देखते हुए कई बड़ी भारतीय कंपनियों के टॉप अधिकारी चीन का रुख कर रहे हैं. Dixon Technologies, Micromax की सब्सिडियरी Bhagwati Products और PG Electroplast जैसी कंपनियों का सीनियर मैनेजमेंट जल्द ही चीन जाकर संभावित सौदों को अंतिम रूप देगा. Bhagwati Products के निदेशक राजेश अग्रवाल ने कहा, पिछले कुछ महीनों से माहौल पहले से बेहतर था, लेकिन भारत और चीन के नेताओं की सौहार्दपूर्ण मुलाकात के बाद अब चीजें तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं. हम अब अपने जॉइंट वेंचर्स को आखिरी रूप देने की तैयारी में हैं. इससे साफ है कि दोनों देशों के बीच रिश्तों में आई नरमी का असर सीधे तौर पर व्यापार पर दिखने लगा है.