भारतीय हॉकी टीम की पेरिस में नहीं बदली कहानी, अब जर्मनी ने फेरा उम्मीदों पर पानी; 44 साल बाद भी ये गम बरकरार


भारतीय हॉकी टीम की पेरिस ओलंपिक 2024 में भी कहानी नहीं बदली। भारत को एक बार फिर सेमीफाइनल में हार का मुंह देखना पड़ा है। भारत की उम्मीदों पर अब जर्मनी ने पानी फेरा है। हरमनप्रीत कौर के नेतृत्व वाली टीम को मंगलवार को पुरुष हॉकी के दूसरे सेमीफाइनल में जर्मनी ने 3-2 से मात दी। भारत को टोक्यो ओलंपिक में भी सेमीफाइनल में शिक्सत झेलनी पड़ी थी। भारत को तब बेल्जियम ने हराया था। हालांकि, भारत ने टोक्यो में जर्मनी को ब्रॉन्ज मेडल मैच में हराकर चार दशक का सूखा समाप्त किया था। भारत की इस बार कांस्य पदक मुकाबले में स्पेन से टक्कर होगी। यह मैच आठ अगस्त को खेला जाएगा।

भारत का 44 साल बाद भी ये गम बरकरार

जर्मनी से हारने के साथ भारतीय टीम के एक गम की मियाद और बढ़ गई है। भारत ने 44 साल से ओलंपिक में हॉकी का फाइनल नहीं खेला है। भारत ने आखिरी बार 1980 में मॉस्को ओलंपिक के फाइनल में जगह बनाई थी और स्पेन को हराकर अपना आठवां गोल्ड मेडल जीता था। इंडिया वर्सेस जर्मनी मैच की बात करें तो अब तक अभेद दिख रहा हरमन ब्रिगेड डिफेंस उतना दमदार नजर नहीं आया। भारतीय डिफेंस में वर्ल्ड चैंपियन जर्मनी ने बड़ी चतुराई से सेंध मारकर भारतीयों का दिल तोड़ दिया। पहले क्वार्टर में बढ़त बनाने के बावजूद भारतीय टीम लय कायम नहीं रख पाई।

बुरी तरह खली अमित रोहिदास की कमी

भारत को अपने अनुभवी फर्स्ट रशर अमित रोहिदास की कमी बुरी तरह खली। अमित ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में मिले रेडकार्ड के कारण एक मैच का प्रतिबंध झेल रहे थे। भारत को मैच में 12 पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन दो ही गोल में बदल सके। भारत के लिए सातवें मिनट में हरमनप्रीत ने और 36वें मिनट में सुखजीत सिंह ने गोल किया जबकि जर्मनी के लिए गोंजालो पेयाट ने 18वें, क्रिस्टोफर रूर ने 27वें और मार्को मिल्टकाउ ने 54वें मिनट में गोल दागे। पहले 15 मिनट में भारत ने दबदबा बनाए रखा और विरोधी गोल पर लगातार हमले बोले।

दूसरे क्वार्टर में जर्मनी की आक्रामक वापसी

दूसरे क्वार्टर में जर्मनी ने आक्रामक वापसी की और 18वें मिनट में मैच का पहला पेनल्टी कॉर्नर बनाया जिसे पेलाट ने गोल में बदला। इस बीच जर्मनी को 27वें मिनट में मिला पेनल्टी कॉर्नर वीडियो रेफरल पर पेनल्टी स्ट्रोक में बदला गया जिसे रूर ने गोल में बदलकर भारत पर 2-1 से बढत बना ली। हाफटाइम तक जर्मनी के पास यह बढत बरकरार रही। भारत को 36वें मिनट में मैच का 11वां पेनल्टी कॉर्नर मिला जिस पर पहली बार वैरिएशन का इस्तेमाल किया गया तो जर्मन डिफेंस चकमा खा गया । हरमनप्रीत की फ्लिक को सुखजीत ने जर्मन गोल में डिफ्लैक्ट करके भारत को बराबरी दिलाई।

आखिरी क्वार्टर में शर्तिया गोल बचाया

आखिरी क्वार्टर में भारतीय डिफेंस में शुरुआती मिनटों में ही जर्मनी का शर्तिया गोल बचाया। पेनल्टी कॉर्नर पर पेयाट का पहला शॉट श्रीजेश ने बचाया लेकिन गोल के सामने ही से रिबाउंड पर दूसरा शॉट युवा डिफेंडर संजय ने बहुत मुस्तैदी से बाहर निकाला। जर्मनी को 51वें मिनट में फिर पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन लुकास विंडफेडर के शॉट को श्रीजेश ने बचाया और गेंद को सर्कल से हरमनप्रीत ने बाहर निकाला । इस बीच जर्मन स्ट्राइकर लगातार भारतीय गोल के भीतर ही गेंद को रखे हुए थे और तीन मिनट बाद मार्को मिल्टकाउ ने पेयाट के बेहतरीन पास पर उतनी ही खूबसूरती से स्टिक का कमाल दिखाकर गेंद को गोल के भीतर डाला। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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