मध्य प्रदेश में पुलों की घटिया डिजाइन और अधूरी निर्माण प्रक्रियाओं को लेकर मचे बवाल के बीच अब राज्य सरकार एक्शन मोड में आ गई है. लोक निर्माण विभाग (PWD) ने पूरे प्रदेश के पुलों की व्यापक जांच के आदेश दिए हैं. हर जिले से रिपोर्ट मांगी गई है और जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति भी गठित की जा रही है.
PWD मंत्री राकेश सिंह ने कहा है कि अब लापरवाही और गलत इंजीनियरिंग किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि
जहां भी डिजाइन में गलती है या निर्माण अधूरा है, वहां कार्रवाई की जाएगी. मंत्री ने ये भी बताया कि इंजीनियरों पर एक्शन शुरू हो चुका है. ऐशबाग ब्रिज मामले में 7 अफसरों पर गाज गिर चुकी है.
एक्सपर्ट कमेटी की जा रही गठित
मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि ऐशबाग ब्रिज 90 डिग्री नहीं बल्कि 114 डिग्री का है. ब्रिज में सभी जरूरी सेफ्टी मेजर्स मौजूद हैं, जो एक अच्छे ब्रिज में होने चाहिए. इसमें 15 मीटर का टर्निंग रेडियस होना चाहिए जबकि इसमें 20 मीटर है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी निर्माणाधीन ब्रिज की रिपोर्ट मांगी गई है. साथ ही एक एक्सपर्ट कमेटी भी गठित की जा रही है ताकि भविष्य में कहीं भी कोई ऐसी बात आए तो उसका परीक्षण करा सकें.
‘प्रदेश में पुल नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के स्मारक बन रहे’
वहीं कांग्रेस ने सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि अब सरकार मजबूरी में जांच का नाटक कर रही है. कांग्रेस नेता
सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि मध्य प्रदेश में पुल नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के स्मारक बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को जब जनता ने घेरा, तब जाकर उसकी नींच खुली और अब पुलों की जांच का नाटक किया जा रहा है.
आखिर पुलों की जांच क्यों जरूरी हो गई है?. दरअसल हाल फिलहाल में पुलों की डिजाइल में लापरवाही के मामले सामने आए हैं, जिससे राज्य सरकार पर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
डिजाइन में लापरवाही के ताजा उदाहरण
भोपाल का ऐशबाग ब्रिज- 90 डिग्री के तीखे मोड़ वाला यह पुल सोशल मीडिया पर ट्रोल हो चुका है. एक्सीडेंटल जोन बनने की आशंका के चलते अब ये सवालों के घेरे में है.
इंदौर का Z-आकार ब्रिज- इस पुल में भी दो-दो 90 डिग्री के मोड़ हैं. जिससे ट्रैफिक सेफ्टी को लेकर लोगों में काफी नाराजगी है.
सुभाष नगर फ्लाईओवर (भोपाल)- सर्पाकार डिजाइन, बिना डिवाइडर के बनाया गया, अब हादसों के बाद ब्रिज पर ताबड़तोड़ सुधार किए जा रहे हैं. इसमें स्पीड ब्रेकर लगाए जा रहे हैं.
पुराने और जर्जर पुलों की बढ़ती चिंता
100+ ब्रिज अंग्रेजों के समय के हैं जो अब कमजोर हो चुके हैं.
नर्मदापुरम के सुखतवा का पुल पहले ही गिर चुका है.
खंडवा का पुल, जिसे NHAI और MPRDC दोनों ने खतरनाक घोषित किया है, फिर भी उस पर भारी वाहन गुजर रहे हैं.
अधूरे और लापरवाह निर्माण कार्य
नरसिंहपुर में 6 करोड़ का पुल, 7 साल से अधूरा पड़ा है.
कई जगहों पर निर्माण के बीच में ही ठेकेदारों ने काम रोक दिया या घटिया सामग्री का उपयोग किया.
राज्य में पुलों का आंकड़ा (अनुमानित)
कुल निर्माणाधीन/निर्मित पुल-पुलिया- 1600+
अंग्रेज़ों के ज़माने के पुराने पुल- 100+
17 जिलों में स्वीकृत नए पुल- 9
नए ओवरब्रिज स्वीकृत- 105

