बाइक का चेसिस नंबर नहीं मिल पाया… मालेगांव ब्लास्ट केस में ऐसे बरी हो गईं साध्वी प्रज्ञा

बाइक का चेसिस नंबर नहीं मिल पाया… मालेगांव ब्लास्ट केस में ऐसे बरी हो गईं साध्वी प्रज्ञा
मालेगांव ब्‍लास्‍ट मामले में साध्‍वी प्रज्ञा बरी

महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए बम धमाके मामले में NIA की स्पेशल कोर्ट का फैसला सामने आ चुका है. कोर्ट ने सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बम धमाका हुआ था. हालांकि प्रॉसिक्यूशन ये साबित नहीं कर पाया कि बम को बाइक में प्लांट किया गया था. साध्वी प्रज्ञा को इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया था.

कोर्ट ने फैसला सुनते हुए साध्वी प्रज्ञा फैसला सुनकर भावुक हो गईं. कोर्ट के फैसले पर उन्होंने कहा कि ये मेरी जीत नहीं बल्कि ये भगवे की जीत हुई है. मुझे 17 सालों तक अपमानित किया गया. एक सन्यासी को आतंकवादी बना दिया गया. ये हिंदुत्व की विजय हुई है. मेरा जीवन सार्थक हो गया.

साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ क्या था सबूत?

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ NIA ने कोर्ट में बताया कि बाइक उनके ही नाम पर थी, जिसमें मस्जिद के बाहर ब्लास्ट किया गया था. NIA ने बताया कि इस बाइक पर फर्जी नंबर प्लेट लगाई गई थी. इसके साथ ही चैसिज नंबर और इंजन नंबर को मिटा दिया गया था. nia ने इस गाड़ी को ही प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ सबसे बड़ा सबूत बताया था. यही कारण है कि उन्हें पूरे मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया था.

गाड़ी की पहचान ही साबित नहीं कर पाई NIA- कोर्ट

इस पूरे मामले को लेकर NIA स्पेशल कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्रॉसिक्यूशन ने ये तो साबित कर दिया कि बम धमाका हुआ था. हालांकि ये साबित नहीं कर पाए कि बम को गाड़ी में ही प्लांट किया गया था. इसके साथ ही जज एके लाहोटी ने अपने फैसले में कहा कि बाइक का चेसिस नंबर में कभी रिकवर नहीं हुआ. साध्वी प्रज्ञा उस बाइक की मालिक थी, यह सिद्ध नहीं हो पाया.

प्रज्ञा ठाकुर को बरी करने के पीछे सबसे बड़ा कारण बाइक की पहचान न हो पाना है. कोर्ट ने भी माना कि केवल कहने से कुछ नहीं होता है. दोषी साबित करने के लिए ठोस सबूत होने चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि जो बम बाइकमें लगाने की बात की गई है उसको लेकर ऐसा कहा गया था कि उसे कर्नल प्रसाद पुरोहित ने बताया था. ये भी साबित नहीं हो पाया है.

इन लोगों को बनाया गया था आरोपी

पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा, कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिलकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकरधर द्विवेदी आरोपी बनाया गया था. कोर्ट ने इन सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.