बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर बवाल मचा हुआ है. बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग ने SIR की तैयारी शुरू कर दी है. मतदाता सूची में संशोधन का काम अगस्त की शुरुआत में शुरू हो सकता है, लेकिन उससे पहले ही पश्चिम बंगाल में रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्या में खलबली मच गई है.
शनिवार को यह खुलासा हुआ है कि बांग्लादेश के एक बीएनपी नेता ने पहले पश्चिम बंगाल की लड़की से शादी की और उस आधार पर न केवल वोटर कार्ड बनाया, बल्कि चुनाव के दौरान मतदान भी किया है और अब जब चुनाव आयोग के सामने यह मामला सामने आया है तो उसका नाम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन इस घटना से पश्चिम बंगाल में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की पोल खोल दी है.
यह मामला पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बागदा के बागी गांव का है. बीएनपी नेता भारत आया, एक भारतीय महिला से शादी की और यहां का वोटर कार्ड बनवाया और चुनाव के दौरान मतदान भी किया, लेकिन बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद वह बांग्लादेश वापस चला गया. अब जिला चुनाव प्रशासन की यह जानकारी मिली है, उसके बाद उसका नाम मतदाता सूची से हटाने की पहल शुरू हुई है.
बांग्लादेशी नेता ने बंगाली लड़की से शादी की और बनाया वोटर कार्ड
प्राप्त जानकारी के अनुसार बांग्लादेश निवासी रेजाउल मंडल ने उत्तर 24 परगना के बागी गांव की निवासी शेरफुल मंडल से विवाह किया. शुरुआत में शेरफुल को यह पता ही नहीं चला कि उसका पति बांग्लादेशी है. बाद में उसे पता चला कि उसका पति वास्तव में बांग्लादेश से था. उनके तीन बच्चे हैं. हाल ही में, हसीना सरकार के पतन के बाद, उसका पति बांग्लादेश चले गए. सबसे बड़ा बेटा फिरोज मंडल भी अपने पिता के साथ बांग्लादेश गया।
इस बीच, कुछ दिन पहले बागदा बीडीओ को एक शिकायत मिली थी. शिकायत की जांच के दौरान प्रशासन को पता चला कि फिरोज और उसके पिता रेजाउल लापता है. रेजाउल की गुरुवार को चुनाव कार्यालय में सुनवाई हुई. उनकी पत्नी वहां पहुंचीं और बताया कि उनके पति और बेटा बांग्लादेश चले गए हैं.
इस संबंध में बागदा बीडीओ प्रसून प्रमाणिक ने बताया कि शिकायत के आधार पर जांच के दौरान पिता-पुत्र के पास कोई पहचान संबंधी दस्तावेज नहीं मिला. बताया गया है कि मामले की जांच की जा रही है और कार्रवाई की जाएगी.
शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद वापस लौटा बांग्लादेश
अपने पति के बारे में उनकी पत्नी शेरफुल मंडल ने कहा कि उनकी शादी 30 साल पहले हुई थी. शुरुआत में उन्हें यह नहीं पता था कि उनके पति बांग्लादेशी हैं. शेरफुल ने कहा, “उन्होंने मेरी मां को अपनी ‘मां’ बताकर वोटर कार्ड बनाया.
चुनाव में मतदान किया और फिर हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश चले गये. बाद में मेरा बड़ा बेटा भी बांग्लादेश चला गया. बीडीओ ने कहा, ‘वो मेरे पति और मेरे बेटे का नाम वोटर लिस्ट से हटा देंगे, लेकिन लेकिन हम भारतीय हैं, ऐसा इंतजाम करो कि हमारा वोटर कार्ड रहे.
चुनाव आयोग ने शुरू की जांच, गरमाई सियासत
स्थानीय तृणमूल कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के नेता शाहदाद मंडल ने कहा, “हमें पता चला कि रेजाउल मंडल बांग्लादेशी है और वह बीएनपी नेता था. हाल ही में, हसीना सरकार के पतन के बाद, वह बांग्लादेश लौट गया. हमने उसका नाम मतदाता सूची से हटाने के लिए आवेदन किया है, लेकिन रेजाउल की पत्नी इस देश की निवासी है. हमें यह पता है. उसका बेटा भी भारतीय है., ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि वे यहीं रह सकें.”
इस संबंध में बनगांव जिला भाजपा अध्यक्ष देवदास मंडल ने कहा, “बांग्लादेशी निवासी नेता का पासपोर्ट यहां खो गया है. हमारा मानना है कि वह पासपोर्ट लेकर भाग गया है.” उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में बांग्लादेश के निवासियों को इस देश इस तरह से मतदाता बनाया जा रहा है.
अवैध बांग्लादेशी पर बीजेपी का टीएमसी पर हमला
भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित मालवीय ने अवैध बांग्लादेशी को लेकर ममता बनर्जी की सरकार पर हमला बोला है. अमित मालवीय ने सोशल साइट एक्स पर कहा, “ममता बनर्जी अब अवैध बांग्लादेशियों के लिए खूब आंसू बहाएंगी और दावा करेंगी कि वे “बांग्ला बोलते हैं” और उनके साथ उनके मेहमान जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए. यह करुणा नहीं है, यह सबसे बुरी तरह की विकृति है, जहां अवैधता को उचित ठहराने के लिए भाषा को हथियार बनाया जाता है.”
Mamata Banerjee will now shed copious tears for illegal Bangladeshis, claiming they speak Bangla and should be treated as her guests.
This isnt compassion, it is the worst kind of perversion, where language is weaponised to justify illegality.
The Chief Minister of Bengal is https://t.co/IqFFHGg7iK
— Amit Malviya (@amitmalviya) July 26, 2025
उन्होंने कहा किबंगाल की मुख्यमंत्री अपनी तुच्छ वोट बैंक की राजनीति के लिए भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से खुलेआम समझौता कर रही हैं. जब तुष्टीकरण को राष्ट्रीय हित से ऊपर प्राथमिकता दी जाती है, तो राष्ट्र को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है.