मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिनकी कारतूत जानकर खुद पुलिस भी हैरान है. यह गिरोह न सिर्फ गाड़ियों की चोरी करता था, बल्कि नशेड़ी और मरे हुए लोगों के नाम पर गाड़ियों को फाइनेंस करवाता फिर इन्हें बेचता था. इतना ही नहीं बाद में गाड़ियों को फिर से चोरी करवा देता था. पुलिस ने अभी इस गिरोह के चार लोगों को गिरफ्तार किया है लेकिन जल्द ही इस गिरोह से जुड़े सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने का दावा किया जा रहा है.
उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने इस गिरोह के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 13 जुलाई 2025 को ढाबा रोड क्षेत्र में रहने वाले आवेश पिता अयूब खान उम्र 25 साल की मोटरसाइकिल चोरी हो गई थी. इस मामले में जीवाजीगंज थाना पुलिस ने जब जांच की तो सीसीटीवी फुटेज में तीन आरोपी दिखाई दिए थे. जिनकी पहचान जीशान, मोंटू रघुवंशी और इमरान के रूप में हुई थी. पुलिस ने जब आवेश को इन चोरों के बारे में बताया तो आवेश ने इन चोरों को तुरंत पहचान लिया क्योंकि यह तीनों जावेद उर्फ गोलू के परिचित थे और इन्ही से आवेश ने बाइक खरीदी थी.
पुलिस को बाइक के बारे में यह भी जानकारी मिली थी कि यह बाइक जीशान के मृत पिता अनवर खान के नाम पर है, जिसे 4 साल पहले फर्जी तरीके से फाइनेंस करवाया गया था. बस इसी जानकारी के बाद पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही थी और गिरोह का पर्दाफाश कर दिया.
ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा
जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि जीशान पिता अनवर खान, इमरान उर्फ लालू पिता असलम खान, मोंटू पिता वीरेंद्र रघुवंशी निवासी नागदा और जावेद उर्फ गोलू पिता जमील खान नशेड़ी लोगों से सस्ते में दस्तावेज खरीदते थे. फिर इन दस्तावेजों का उपयोग कर गाड़ी फाइनेंस करवा लेते थे. गाड़ी फाइनेंस होने के बाद यह लोग पहले इन गाड़ियों को बेच देते थे और बाद में इन गाड़ियों को चोरी भी करवा देते थे. इस गिरोह का गोरखधंधा यही खत्म नहीं होता था. चोरी की गई गाड़ियों को फिर नए ग्राहकों को बेच दिया जाता था. नशेड़ी लोगों के साथ ही मृत लोगों के नाम पर भी इस गिरोह ने कई गाड़ियां फाइनेंस करवाई. सभी गाड़ियों की जानकारी पुलिस जुटाने में लगी हुई है.
इसलिए झांसे मे आ जाते थे लोग
पुलिस को इस वाहन चोर गिरोह के द्वारा फाइनेंस की दो पहिया वाहन बेचने की जानकारी लगी है, जो की उज्जैन ही नहीं बल्कि रतलाम, बड़नगर, नागदा, राजस्थान और बदनावर तक बेची गई है. पुलिस को जानकारी लगी कि वाहन चोर गिरोह के सदस्य लोगों को बेची जाने वाली गाड़ियां सीजिंग की बताते थे. इन गाड़ियों को सस्ते दामों पर बेच देते थे. दो से ढाई लाख रुपए कीमत रखने वाली बुलेट को यह गिरोह 70,000 रुपए में ही बेच देता था. यही कारण है कि काफी लोग इनके झांसे में आ जाते थे और गाड़ियां खरीद लेते थे.
पुलिस ने चार को किया अरेस्ट
पुलिस ने अभी भले ही इस मामले में जावेद खान, जीशान, इमरान और मोंटू को गिरफ्तार किया हो लेकिन जल्द ही इस मामले में आरोपियों की संख्या बढ़ सकती है. पुलिस का कहना है कि यह पहला ऐसा मामला है जिसमें फर्जी दस्तावेजों से फाइनेंस कंपनियों के साथ साठ-गांठ कर फर्जीवाड़ा किया जा रहा था. नशेड़ियों के साथ ही मृत लोगों के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर धड़ल्ले से फाइनेंस किए जा रहे थे.