साइबर ठगों का शिकार हुए लोग अपने जीवनभर की कमाई गंवा बैठे। मुश्किल है- यह वापस मिले। ठगों ने कंगाल कर जीवनभर का दर्द दिया, यह ऐसा दर्द है- जो कभी भुलाया नहीं जा सकता। अब अपनों द्वारा दी जा रही जिल्लत इन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है।
बात-बात पर इनका मजाक बनाया जाता है…इन्हें अपनों से सहानुभूति नहीं बल्कि उपहास, जिल्लत मिली। बात-बात पर इनके अपने ही ताना देते हैं…ठगी का शिकार हुए लोगों में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे नौकरीपेशा और व्यापारी हैं। इनके साथ लाखों की ठगी हुई। अब अपनों द्वारा उपहास उड़ाए जाने से ऐसे लोग तनाव में जा रहे हैं।
कुछ ने तो लोगों से इस बारे में बात करना ही बंद कर दी। नईदुनिया ने साइबर ठगी का शिकार हुए लोगों से बात की, जिसमें उनकी पीड़ा सामने आई। पढ़िए…केस स्टडी- किस तरह से यह लोग ठगे जाने के बाद अब अपनों के ताने से किस तरह प्रताड़ित हो रहे, क्या कहते हैं- मनोवैज्ञानिक?
मैं पीटीएस तिघरा में आरक्षक हूं। मैं आइसीआइसीआइ बैंक का क्रेडिट कार्ड चलाता हूं। मेरे पास पिछले दिनों अंजान नंबर से काल आया। काल करने वाले ने खुद को बैंक की क्रेडिट कार्ड शाखा का कर्मचारी बताया। प्वाइंट रिडीम करने के बहाने पूरी जानकारी ले ली, पासवर्ड पूछ लिया और मेरे खाते से 1.51 लाख रुपए निकाल लिए। मेरे साथ ठगी हो गई, यह जितने लोगों को लगा, बार-बार यही बोलते हैं- तुम तो पुलिस वाले हो, फिर कैसे ठग गए। लोगों को समझना चाहिए, पुलिस भी तो इंसान ही है। चूक किसी से भी हो सकती है। फिर साइबर ठगी के नए-नए तरीके तो बहुत ही खतरनाक हैं। – शंभुदयाल
डॉक्टर बोले- नाम मत देना, फिर वही सवाल होने लगेंगे
गोला का मंदिर क्षेत्र में रहने वाले डाक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया था। उनके साथ करीब 20 लाख रुपए की ठगी हुई थी। जब उनसे नईदुनिया संवाददाता ने बात की तो बोले कि अब नाम मत छापना। जब ठगी हुई थी तब लोगों के सवाल चुभने लगे थे। वह ऐसी-ऐसी बातें करते थे। अब नाम छापा जाएगा तो फिर वही सवाल होने लगेंगे।
छात्रा का दर्द, माता-पिता भी अब भरोसा नहीं करते
लश्कर क्षेत्र में रहने वाली 21 वर्षीय छात्रा ने अपना दर्द नईदुनिया से साझा किया। छात्रा ने बताया कि पार्ट टाइम जाब के नाम पर उसे एक विज्ञापन दिखा था। दिसंबर 2023 में जब उसने दिए गए नंबर पर काल किया तो ऑनलाइन साक्षात्कार लिया गया।
इस दौरान ऑनलाइन नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिया। फिर अलग-अलग टास्क दिए गए, शुरुआत में कुछ रुपए मिले। फिर और टास्क दिए गए। मुझसे करीब 30 हजार रुपए ले लिए गए। तब पता लगा कि मेरे साथ ठगी हो गई। इस घटना के बाद से माता-पिता भी भरोसा नहीं करते। सभी कहते हैं- पढ़े लिखे होकर भी ठग गए।
ऐसे में लोग शिकायत करने नहीं आएंगे
ठगे गए लोगों का उपहास उड़ाया जाता है। ऐसे में कई बार बदनामी के डर से लोग शिकायत करने ही आगे ही नहीं आते। जरूरत है, ऐसे समय में लोग उनका साथ दें। अगर लोग शिकायत करने ही नहीं आएंगे तो अपराधी कैसे पकड़े जाएंगे। – चातक वाजपेयी, साइबर एक्सपर्ट।
साथ खड़े रहें, उन्हें संबल दें
ठगी का शिकार अब अधिकांश पढ़े-लिखे लोग हो रहे हैं। ठग इस आत्मविश्वास के साथ खुद को पेश करते हैं, कोई भी उनके झांसे में आ जाए। ठगे गए लोगों का धन तो गया, समाज में भी उन्हें क्रिटिसाइस किया जाता है। जिससे वह तनाव में आ जाते हैं। ऐसे लोग एडजस्टमेंट डिसआर्डर का शिकार होते हैं। उनके अपनों को जरूरत है, उनके साथ खड़े रहें, उन्हें संबल दें। ऐसे लोग अपनी एनर्जी को पाजीटिवली डायवर्ट कर सकते हैं। वह इस घटना से हारकर न बैठें, बल्कि जागरूकता फैलाने का काम करें। काउंसलर से सलाह लें। – डॉ.प्रियंका शर्मा, मनोरोग विशेषज्ञ जेएएच।