नेपाल में Gen-Z प्रदर्शनकारियों पर अब सेना ने क्यों तान दी बंदूकें?

नेपाल में Gen-Z प्रदर्शनकारियों पर अब सेना ने क्यों तान दी बंदूकें?


नेपाल में फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. (Photo- Social Media)

केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद भी नेपाल की राजधानी काठमांडू का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. अंतरिम प्रधानमंत्री को लेकर जेनरेशन-जेड के बीच नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है. इसलिए जेनरेशन-जेड के कई प्रदर्शनकारी सेना मुख्यालय पर हंगामा करने पहुंच गए हैं. जेनरेशन-जेड के प्रदर्शन को देखते हुए सेना ने प्रदर्शनकारियों पर बंदूकें तान दी है.

आर्मी हेडक्वाटर की तरफ जाने वाले सभी रास्तों पर स्नाइपर ने मोर्चा संभाल लिया है. किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो जाए, इसलिए सेना ने यह फैसला किया है. उधर सेना प्रमुख ने सरकार गठन की कवायद के लिए कार्की को बुलावा भेजा है. कार्की और सेना प्रमुख में बात बनने के बाद दोनों राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल से मुलाकात करेंगे.

कार्की के नाम पर पेच क्यों फंसा है?

जेनरेशन-जेड ने ऑनलाइन वोटिंग के जरिए सुशीला कार्की के नाम को आगे बढ़ाया है, लेकिन जेनरेशन-जेड के ही कई प्रदर्शनकारी उनके नाम पर सहमत नहीं हैं. काठमांडू के मेयर बालेन साह ने कार्की के नाम को समर्थन जरूर दिया है, लेकिन अभी तक बात नहीं बन पाई है.

काठमांडू के डिप्टी मेयर समेत कई ऐसे लोग हैं, जो खुद इस पद पर काबिज होना चाहते हैं. राजशाही को समर्थन करने वाले दुर्गा प्रसाई ने तो सेना प्रमुख से मुलाकात भी की है. दुर्गा प्रसाई का कहना है कि कोई जिम्मेदारी नहीं लेगा, तो हम इसे निभाएंगे.

दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड, शेर बहादुर देउबा और केपी शर्मा ओली ने संविधान के हिसाब से फैसला करने की बात कही है. पूर्व पीएम बाबूराम भट्टराई का कहना है कि प्रतिनिधि सभा की बैठक बुलाई जाए. उसमें सभी फैसले लिए जाए.

नेपाल के संविधान में कहा गया है कि जब तक प्रतिनिधि सभा को भंग नहीं किया जा सकता है, तब तक अंतरिम सरकार का गठन नहीं होगा. वर्तमान में प्रतिनिधि सभा को भंग नहीं किया गया है. भंग करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है. यानी फाइनल फैसला राष्ट्रपति को ही लेना है.