देश में बनी पहली सुपर फास्ट माउंटेड गन, 85 सेकंड में फायरिंग के लिए तैयार, मिनटों में दुश्मन तबाह

देश में बनी पहली सुपर फास्ट माउंटेड गन, 85 सेकंड में फायरिंग के लिए तैयार, मिनटों में दुश्मन तबाह
स्वदेशी माउंटेड गन सिस्टम तैयार.

देश की सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए DRDO ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. DRDO के व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (VRDE) ने पूरी तरह स्वदेशी माउंटेड गन सिस्टम (MGS) तैयार कर लिया है, जो जल्द ही भारतीय सेना में शामिल होगा.

क्या है माउंटेड गन सिस्टम?

माउंटेड गन सिस्टम यानी ऐसी भारी तोप, जो एक हाई-मोबिलिटी आर्म्ड ट्रक पर लगाई जाती है. यह 155 मिमी/52 कैलिबर की तोप है, जिसकी मारक क्षमता 45 किलोमीटर तक है. सबसे खास बात यह है कि यह तोप सिर्फ 85 सेकंड में फायरिंग के लिए तैयार हो जाती है और 1 मिनट में 6 गोले दाग सकती है.

कहीं भी हो सकती है तैनाती

इस गन की सबसे बड़ी ताकत है, इसका हाई मोबिलिटी सिस्टम. चाहे राजस्थान का तपता रेगिस्तान हो या सियाचिन की बर्फीली चोटियां, यह तोप हर इलाके में आसानी से तैनात की जा सकती है. इसका ट्रांसपोर्टेशन भी आसान है, इसे रेलगाड़ी या वायुसेना के भारी ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से कहीं भी पहुंचाया जा सकता है.

Super Fast Mounted Gun

शूट एंड स्कूट…दुश्मन को भनक तक नहीं लगेगी

  • माउंटेड गन सिस्टम में शूट एंड स्कूट तकनीक है. मतलब यह तेजी से फायरिंग करके तुरंत जगह बदल सकती है, ताकि दुश्मन जवाबी हमला न कर सके. इससे सेना को भारी फायदा़ होगा और जवानों की सुरक्षा भी बढ़ेगी.
  • यह भारी तोप सिस्टम उबड़-खाबड़ इलाकों में 60 किलोमीटर प्रति घंटा और समतल इलाके में 90 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकती है.
  • इसका कुल वजन करीब 30 टन है, जिसमें 15 टन गन और 15 टन ट्रक का वजन है.
  • गन में एक एडवांस ATAGS (अटैक गन सिस्टम) लगा है, जो पहले ही भारतीय सेना में शामिल है.
  • यह पूरी तरह ऑटोमैटिक है. लोकेशन फीड करने के बाद तुरंत निशाना साधकर हमला करता है.
  • एक फायर में करीब 50 स्क्वायर मीटर का इलाका तबाह कर सकता है.
  • इस गन में सात क्रू मेंबर के लिए बुलेटप्रूफ केबिन है, जिससे जवान पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं.

सिर्फ 15 करोड़ रुपए में तैयार

सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना के लिए करीब 700 से 800 माउंटेड गन सिस्टम की जरूरत है. खास बात यह है कि विदेश से ऐसी तोप मंगाने में 30 से 35 करोड़ रुपए लगेंगे. लेकिन भारत में बनी यह गन सिर्फ 15 करोड़ रुपए में तैयार हो रही है. ज्यादा ऑर्डर मिलने पर यह और सस्ती हो सकती है. सूत्रों के अनुसार सेना जल्द ही इस सिस्टम का फील्ड ट्रायल करने जा रही है. इसके बाद इसे पहले उन इलाकों में तैनात किया जाएगा जहां तेज मूवमेंट और ऊंचे पहाड़ी या रेगिस्तानी इलाके हैं जैसे राजस्थान, पंजाब बॉर्डर, उत्तर-पूर्वी राज्य और सियाचिन.

दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल हुआ भारत

अब तक दुनिया के गिनती के देश ही ऐसी माउंटेड गन बना पाए हैं. अब भारत भी इस तकनीक में आत्मनिर्भर बन गया है. रूस-यूक्रेन युद्ध ने साफ दिखा दिया है कि ऐसी गन किसी भी जंग की दिशा बदल सकती है. DRDO और VRDE की इस कामयाबी से भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ेगी और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में यह तोप गेमचेंजर साबित होगी.