देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे जस्टिस बीआर गवई , CJI संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार को भेजी सिफारिश

 जस्टिस बीआर गवई देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे। वर्तमान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना ने बुधवार (16 अप्रैल) को आधिकारिक तौर पर जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई को अपना उत्तराधिकारी बनाने की सिफारिश कर दी। CJI ने उनके नाम को मंजूरी के लिए केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेज दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस बीआर गवई 14 मई को मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ लेंगे। मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर होंगे।

जस्टिस गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ लेंगे। 64 वर्षीय जस्टिस खन्ना ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में छह महीने का कार्यकाल पूरा किया है। जस्टिस गवई के 14 मई को शपथ लेने की उम्मीद है। जस्टिस गवई का शीर्ष अदालत के जज के रूप में छह महीने का कार्यकाल होगा।

परंपरा के अनुसार, वर्मतान मुख्य न्यायाधीश अपना उत्तराधिकारी नामित करते हुए केंद्रीय कानून मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजता है। मंत्रालय ने पहले मुख्य न्यायाधीश से उनके उत्तराधिकारी के नाम का प्रस्ताव मांगा था। जस्टिस गवई लगभग छह महीने तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहेंगे क्योंकि वे नवंबर में रिटायर होने वाले हैं। जस्टिस केजी बालकृष्णन के बाद वे मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने वाले दूसरे दलित होंगे। उन्हें 2007 में देश के शीर्ष न्यायिक पद पर प्रमोट किया गया था।

6 महीने का होगा अगले मुख्य न्यायधीश का कार्यकाल

जस्टिस गवई का 6 महीने का कार्यकाल होगा और वह 23 नवंबर, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। वह मई 2019 में ही सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे और संयोग है कि इसी महीने में शीर्ष अदालत के चीफ जस्टिस हो जाएंगे। बीते साल 11 नवंबर को सीजेआई खन्ना ने पदभार संभाला था। उन्होंने केंद्रीय कानून मंत्रालय के समक्ष जस्टिस बीआर गवई के नाम की सिफारिश भेजी है। सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए रिटायरमेंट की उम्र 70 साल है। महाराष्ट्र के अमरावती जिले में जस्टिस बीआर गवई का जन्म 24 नवंबर, 1960 को हुआ था। वह बॉम्बे हाई कोर्ट का हिस्सा 14 नवंबर 2003 को बने थे, जब उन्हें अतिरिक्त जज की जिम्मेदारी मिली थी।

इसके बाद नवंबर 2005 में ही वह हाई कोर्ट के स्थायी जज बन गए थे। जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे हैं। इसके अलावा कई संवैधानिक बेचों में उन्हें शामिल किया गया है। आर्टिकल 370 हटाए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की जिस 5 मेंबर वाली संवैधानिक बेंच ने सुनवाई की थी, उसका एक हिस्सा जस्टिस गवई भी थे। इसके अलावा राजनीतिक फंडिंग के लिए लाई गई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को खारिज करने वाली बेंच का भी वह हिस्सा थे। यही नहीं नोटबंदी के खिलाफ दायर अर्जियों पर सुनवाई करने वाली बेंच में भी वह शामिल थे।

भूषण रामकृष्ण गवई से जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई तक का सफर..

24 नवंबर, 1960 को अमरावती में जन्मे गवई ने 16 मार्च, 1985 को एक वकील के रूप में नामांकन कराया। शुरुआत में उन्होंने 1987 तक दिवंगत बार राजा एस भोंसले, पूर्व महाधिवक्ता और हाई कोर्ट के जज के अधीन काम किया। फिर उन्होंने 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रेक्टिस किया। 1990 के बाद उन्होंने मुख्य रूप से बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रेक्टिस किया।

उन्होंने नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती यूनिवर्सिटी के लिए स्थायी वकील के रूप में कार्य किया। उन्हें 14 नवंबर, 2003 को हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में नियुक्त किया गया था। फिर 12 नवंबर, 2005 को बॉम्बे हाई कोर्ट के स्थायी जज के रूप में नियुक्ति की गई थी।

अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने मुंबई में मुख्य सीट और नागपुर, औरंगाबाद और पणजी में बेंचों में विभिन्न मामलों की अध्यक्षता की। उन्हें 24 मई, 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के जज के पद पर प्रमोट किया गया। उनकी रिटायरमेंट की तारीख 23 नवंबर, 2025 निर्धारित है।

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