दुश्मन के हौसले होंगे पस्त, भारतीय नौसेना की और बढ़ेगी ताकत, प्रोजेक्ट-18 के तहत बनेगा नेक्स्ट जेनरेशन डेस्ट्रॉयर बेड़ा

दुश्मन के हौसले होंगे पस्त, भारतीय नौसेना की और बढ़ेगी ताकत, प्रोजेक्ट-18 के तहत बनेगा नेक्स्ट जेनरेशन डेस्ट्रॉयर बेड़ा


भारतीय नौसेना की बढ़ेगी ताकत

भारतीय नौसेना अपनी समुद्री ताकत को नई ऊंचाई देने के लिए तैयार है. सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय से 4 नेक्स्ट जेनरेशन डेस्ट्रॉयर बनाने की Acceptance of Necessity (AoN) मंजूरी जल्द मिलने वाली है. यह जहाज प्रोजेक्ट-18 (P-18) के तहत तैयार किए जाएंगे. पहले चरण में 4 जहाज बनाए जाएंगे, काफी लंबे समय से नौसेना ऐसे 10 एडवांस्ड युद्धपोत हासिल करने की योजना बना रही है. ये जहाज 10,000 से 13,000 टन के होंगे और भारत की नौसैनिक मारक क्षमता में बड़ा इजाफा करेंगे.

P-18 डेस्ट्रॉयर को भारतीय नौसेना की मौजूदा विशाखापत्तनम-क्लास (प्रोजेक्ट 15B) का उत्तराधिकारी माना जा रहा है. जनवरी 2025 में INS सूरत के कमीशन होने के साथ ही चार-जहाज वाले प्रोजेक्ट-15B की श्रृंखला पूरी हो गई. ऐसे में ये पहली बार होगा जब नौसेना के पास कोई डेस्ट्रॉयर निर्माणाधीन नहीं है. P-18 इसी कमी को पूरा करेगा और हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच नौसेना की जरूरत को पूरा करेगा.

वर्तमान हालात और चुनौती

भारतीय नौसेना के पास इस समय कुल 13 डेस्ट्रॉयर हैं, जिनमें पुराने राजपूत, दिल्ली, कोलकाता और नए विशाखापत्तनम-क्लास शामिल हैं. इसके मुकाबले:

  1. चीन के पास 50 से ज्यादा डेस्ट्रॉयर हैं.
  2. जापान के पास 42 डेस्ट्रॉयर हैं.
  3. भारत ने 2035 तक नौसेना में 200 से ज्यादा युद्धपोत और पनडुब्बियों को रखने का लक्ष्य तय किया है, जिनमें दर्जनों डेस्ट्रॉयर, फ्रिगेट और पनडुब्बियां नौसेना के बेड़े में शामिल होंगे.
  4. इन पर 2030 तक 300 से ज्यादा ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें तैनात करने की योजना है.

आत्मनिर्भर भारत से जुड़ा सपना

P-18 जहाज नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (WDB) की ओर से डिजाइन किए जा रहे हैं. यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत मिशन से जुड़ी है. जुलाई 2025 में WDB ने नेशन बिल्डिंग थ्रू शिपबिल्डिंग सेमिनार के दौरान P-18 का कॉन्सेप्ट डिजाइन पेश किया. उसी मौके पर 100वां स्वदेशी युद्धपोत सौंपने का जश्न भी मनाया गया. इससे भारत की नौसेना के बायर्स नेवी से बिल्डर्स नेवी बनने की दिशा में बदलाव का संकेत मिला.

डिजाइन और क्षमताएं: भविष्य की छलांग

  1. P-18 जहाजों का वजन 10,000-13,000 टन होगा. यह उन्हें अब तक भारत में बने सबसे बड़े सतही युद्धपोत बनाएगा. अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से ये क्रूजर श्रेणी में गिने जा सकते हैं.
  2. 144 VLS (वर्टिकल लॉन्च सिस्टम) सेल्स, जो चीन के टाइप 055 (112 VLS) से ज्यादा हैं और अमेरिका के Arleigh Burke-क्लास (96 VLS) के बराबर हैं. इनमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक, हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-II, लॉन्ग रेंज लैंड-अटैक क्रूज मिसाइल (LR-LACM) और SMART सिस्टम (Supersonic Missile Assisted Release of Torpedo) शामिल होंगे.

रडार के पीछे होंगे 8 अतिरिक्त लॉन्चर

मुख्य रडार के पीछे आठ अतिरिक्त लॉन्चर हाइपरसोनिक ब्रह्मोस के लिए रखे जाएंगे.

  1. S-बैंड AESA रडार मुख्य मल्टी-मिशन सेंसर होगा. वॉल्यूम सर्च रडार और मल्टी-सेंसर मास्ट से 360-डिग्री कवरेज मिलेगी. BEL और DRDO द्वारा विकसित ये सिस्टम 500 किमी से ज्यादा दूरी तक हवाई, सतही और पनडुब्बी खतरों का पता लगा सकते हैं.
  2. एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल (ABM) सिस्टम शामिल होगा. इसमें PGLRSAM इंटरसेप्टर (250 किमी रेंज) होगा जो चीन की एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल जैसे खतरों से सुरक्षा देगा.
  3. एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, एक्टिव/पैसिव सोनार और मानव रहित प्रणालियां (UUVs, UAVs, कामिकाज़े ड्रोन) शामिल होंगी. इनसे निगरानी, माइंस डिटेक्शन और एंटी-सबमरीन युद्ध में बढ़त मिलेगी.
  4. डिज़ाइन में स्टेल्थ फीचर और मॉड्यूलर कंस्ट्रक्शन पर फोकस होगा. लक्ष्य है कि हर जहाज को 4-5 साल में तैयार किया जाए (वर्तमान समय 7-8 साल है). स्वदेशीकरण स्तर: हुल 90%, प्रोपल्शन 60%, हथियार 50%.

P-18 डेस्ट्रॉयर आने वाले दशकों में भारतीय नौसेना की रीढ़ बनेंगे और पुराने राजपूत-क्लास (5,000 टन) और दिल्ली-क्लास (6,700 टन) जहाजों की जगह लेंगे.