तो रूस-अमेरिका के बीच संघर्ष का नया दौर शुरू होगा… पुतिन ने ऐसा क्यों कहा?

तो रूस-अमेरिका के बीच संघर्ष का नया दौर शुरू होगा… पुतिन ने ऐसा क्यों कहा?

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि अगर अमेरिका यूक्रेन को टॉमहॉक मिसाइलें देता है, तो इससे रूस-अमेरिका के रिश्ते पूरी तरह खराब हो जाएंगे. दोनों देशों के बीच संघर्ष का नया और खतरनाक दौर शुरू हो जाएगा. हाल ही में अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वांस ने कहा था कि वे यूक्रेन को टॉमहॉक मिसाइलें देने पर विचार कर रहे हैं, जिससे यूक्रेन रूस के भीतर मॉस्को जैसे बड़े शहरों को निशाना बना सके.

टॉमहॉक मिसाइल की रेंज लगभग 2,500 किलोमीटर होती है. यानी इससे पूरे रूस को नुकसान पहुंचाया जा सकता है. हालांकि कुछ अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि इन मिसाइलों का ज्यादा हिस्सा अमेरिकी नौसेना और अन्य विभागों के पास पहले से ही रिजर्व में है. इसलिए यूक्रेन को देना आसान नहीं होगा.

रूस-US के बीच संघर्ष का नया दौर शुरू होगा: पुतिन

पुतिन ने रूसी टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर अमेरिका ने यूक्रेन को ये मिसाइलें दीं, तो यह बहुत ही बुरा होगा. पुतिन ने यह भी कहा कि रूस इन मिसाइलों को रोकने के लिए अपनी एयर डिफेंस प्रणाली को मजबूत कर रहा है. पुतिन ने रूस और पश्चिम के बीच संबंधों को 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद सबसे खराब दौर बताया.

पुतिन ने कहा कि NATO के विस्तार ने रूस की सुरक्षा को खतरा पहुंचाया है और यह रूस के क्षेत्रीय प्रभाव को कम करने की कोशिश है. पश्चिमी देश और यूक्रेन इसे एक आक्रमण और रूस की साम्राज्यवादी सोच के रूप में देखते हैं. वहीं यूरोप के नेताओं का कहना है कि अगर रूस को हराया नहीं गया तो पुतिन NATO देशों पर हमला कर सकते हैं, लेकिन पुतिन यह आरोप कई बार नकार चुके हैं.

ट्रंप-पुतिन के बीच तल्खी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त में यूक्रेन जंग रोकने की पहल की थी. ट्रंप और पुतिन के बीच अलास्का में मुलाकात हुई थी. इसके बाद वॉशिंगटन में ट्रंप ने जेलेंस्की और यूरोपीय देशों के नेताओं के साथ मीटिंग की. इसके बावजूद किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका.

अब रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई तेज होती जा रही है. ट्रंप ने रूस को कमजोर बताया है, वहीं पुतिन ने NATO को कमजोर बताया. इस बीच अमेरिका रूस की ऊर्जा संस्थानों पर हमले के लिए यूक्रेन को खुफिया जानकारी देने की योजना बना रहा है. यह कदम रूस के खिलाफ दबाव बढ़ाने के लिए है.