तुलसी से गंगा तक, ‘क्योंकि सास…’ के इन 7 किरदारों को भुला पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है

तुलसी से गंगा तक, ‘क्योंकि सास…’ के इन 7 किरदारों को भुला पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है
रोनित रॉय, स्मृति ईरानी और शिल्पा सकलानी Image Credit source: सोशल मीडिया

बालाजी टेलीफिल्म्स का मशहूर टीवी सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ 25 साल पहले यानी साल 2000 में शुरू हुआ था. स्टार प्लस पर एयर होने वाला ये शो पूरे 8 साल तक चला. 2008 में स्मृति ईरानी के इस शो ने दर्शकों से विदा लिया. लेकिन इस 8 साल के सफर में ‘वीरानी परिवार’ और उनके रिश्ते दर्शकों के लिए अपने परिवार जैसे बन गए थे. शो खत्म होने के इतने सालों बाद भी इसके किरदार लोगों को बखूबी याद हैं. यही वजह है कि स्मृति ईरानी फिर एक बार इस शो के सीजन 2 से टीवी पर कमबैक करने जा रही हैं. इस खास मौके पर आइए एक नजर डालते हैं इस शो के 7 ऐसे किरदारों पर, जिन्हें दर्शकों ने खूब मिस किया.

1. तुलसी वीरानी (स्मृति ईरानी)

स्मृति ईरानी का किरदार इस शो की जान था. एक आदर्श बहू, पत्नी और फिर एक मजबूत सास के रूप में तुलसी ने हर घर में जगह बनाई. स्मृति ईरानी ने इस किरदार को इतनी शिद्दत से निभाया कि आज भी उन्हें ‘तुलसी’ के नाम से जाना जाता है, भले ही वो अब देश की एक सफल पॉलिटिशियन बन चुकी हैं. तुलसी के किरदार में उनका सादगी भरा लुक, साड़ी पहनने का तरीका और हर मुश्किल से लड़ने का जज्बा, सब कुछ दर्शकों को खूब पसंद आया था.

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स्मृति ईरानी और अमर उपाध्याय

2. मिहिर वीरानी (अमर उपाध्याय/रोनित रॉय)

तुलसी के पति मिहिर का किरदार भी बेहद लोकप्रिय हुआ. अमर उपाध्याय इस शो के पहले ‘मिहिर’ थे और उनकी मौत (और फिर वापसी!) के ट्रैक ने तो पूरे देश को हिला दिया था. अमर के बाद रोनित रॉय ने इस किरदार को फिर से नई पहचान दिलाई. मिहिर एक जिम्मेदार बेटा, प्यार करने वाला पति और एक समझदार पिता था, जिसने विरानी परिवार को हमेशा जोड़े रखा.

3. बा (सुधा शिवपुरी)

बा का किरदार परिवार की सबसे मजबूत कड़ी थी. सुधा शिवपुरी ने एक ऐसी दादी मां को हमारे सामने पेश किया, जो परंपरा को अपने साथ लेकर चलती थी. उनका हर स्थिति में अपने परिवार के साथ खड़ा होना, लोगों को बहुत पसंद आता था. उनकी समझदारी भरी बातें, उनका आशीर्वाद और उनकी उपस्थिति ही पूरे परिवार को जोड़े रखती थी. बा का किरदार आज भी एक आदर्श दादी के रूप में याद किया जाता है. लेकिन इस किरदार को निभाने वाली एक्ट्रेस सुधा शिवपुरी अब हमारे बीच नहीं हैं.

4. मंदिरा कपाड़िया (मंदिरा बेदी)

शो की खलनायिका के तौर पर मंदिरा ने दर्शकों के मन में एक अलग जगह बनाई. भले ही उनका किरदार निगेटिव था, लेकिन मंदिरा बेदी ने उसे इतनी बखूबी निभाया कि लोग उनसे नफरत भी करते थे और उनकी एक्टिंग के कायल भी थे. तुलसी और मिहिर की जिंदगी में मुश्किलें पैदा करने वाली मंदिरा ने शो में कई बड़े ट्विस्ट लाए.

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सोशल मीडिया

5. पायल मेहता (केतकी दवे)

पायल मिहिर की भाभी थीं. ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ का ये एक मजेदार किरदार था. केतकी दवे ने अपनी कॉमिक टाइमिंग और खास अंदाज़ से इस किरदार को यादगार बना दिया. उनकी हंसी और उनका अंदाज आज भी कई लोगों को याद है.

6. गंगा साहिल वीरानी (शिल्पा सकलानी अग्निहोत्री)

गंगा का किरदार भी दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय रहा. मिहिर की जिंदगी में एक समय पर आईं और बाद में साहिल की पत्नी बनीं गंगा ने विरानी परिवार में अपनी एक अलग पहचान बनाई. शिल्पा सकलानी ने एक सुलझी हुई और मजबूत महिला का किरदार बखूबी निभाया, जिसने परिवार के कई उतार-चढ़ावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

7. करण वीरानी (हितेन तेजवानी)

वीरानी परिवार के बेटों में से एक करण का किरदार भी दर्शकों को बहुत पसंद आया. हितेन तेजवानी ने शांत स्वभाव और समझदार बेटे के रूप में अपनी पहचान बनाई. उनका अपनी मां तुलसी के प्रति सम्मान और परिवार के लिए प्यार लोगों को खूब पसंद आया. करण की लव स्टोरी और तुलसी के साथ उनका रिश्ता इस शो का एक अहम हिस्सा था.